मां से बच्चे को छीनना गंभीर आपराधिक कृत्य: डॉ किरणमयी नायक

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Published : Sep 16, 2022, 5:50 PM IST

Snatching child from mother is serious act

राज्य महिला आयोग ने गुरुवार को महिलाओं से संबंधित शिकायतों की सुनवाई की. एक गंभीर मामले में सुनवाई करते हुए डॉ किरणमयी नायक ने कहा है कि मां से बच्चे को छीनना गंभीर आपराधिक कृत्य है.

रायपुर: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की. एक मामले में अनावेदक ने महिला आयोग से समाज प्रमुखों की आड़ में प्रकरण वापस लेने के लिये महिला के ऊपर दबाव डाला है. एक अवैध इकारारनामा में हस्ताक्षर कराया है. जिसमें लिखा है कि संतान के 9 वर्ष पूरा होने पर पति अपने पास रखेगा. यह इकरारनामा अपने आप में दबावपूर्ण कराये जाने पर स्वयं शून्य हो जाता है. यह आवेदिका पर बंधककारी नहीं होता है, क्योंकि दबाव में कराया गया हस्ताक्षर कभी मान्य नहीं होता है. इसके साथ ही समाज के डर और दबाव में होने के कारण खुद शून्य हो जाता है. इसको वैद्यानिक सिद्ध करने की जिम्मेदारी अनावेदक पर होगी. Snatching child from mother is serious act

आवेदिका ने इस स्तर पर निवेदन किया है कि वह समाज के उन पदाधिकारियों को नाम लिखकर जमा करें, जिन्होंने ऐसा सहमतिनामा हस्ताक्षर कराया है. जिस बच्चे के गर्भ में रहने के दौरान अनावेदक के द्वारा आवेदिका को प्रताड़ित किया गया था. प्रसव पीड़ा के दौरान अनावेदक ने ईलाज कराने के दौरान लापरवाही भी किया था. ऐसा पिता जिम्मेदारी के लायक नहीं है, क्योंकि उसकी लापरवाही से बच्चे की जान भी जा सकती थी. अनावेदक दूसरी शादी करना चाहता है. ऐसी दशा में नाबालिक बच्चे का पालन पोषण उसके द्वारा किया जाना संभव नहीं है. आवेदिका को प्रति माह 15 सौ रुपये का भरण पोषण देकर बच्चे को छीनने की नीयत अनावेदक कर रहा है. जिसपर आवेदिका ने यह कहा कि वह अनावेदक से 15 सौ रूपये लेकर बच्चे को देने की शर्त पर राजी नहीं है.

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महिला ने कहा है कि वह खुद कामकाज कर पालन पोषण कर सकती है. उसकी देखरेख उसके मामा के पैसे से की जा रही है. आवेदिका स्वयं अपना और अपने बेटे को पालन पोषण करने के लिये काम करना शुरू करेगी. इस स्तर पर आवेदिका को पूर्णतः सुनिश्चित किया जाता है कि वह इस अवैध सहमतिनामा के बंधन से पूर्णतः मुक्त है. मां को उसके बच्चे से छीना जाना गंभीर अपराधिक कृत्य है. इस प्रकरण के निराकरण के लिये आगामी सुनवाई में रखा गया है.

एक अन्य प्रकरण में महिला ने बताया कि पति ने दूसरी महिला को पहले अपनी बहन बनाया था. अब उससे शादी कर लिया है. मेरी सास कहती है कि बेटे की खुशी है तो दोनों एक साथ रहें. प्रार्थी महिला के तीन बच्चे हैं. इस साल उसने पति के साथ पूरी फसल को काटा है, लेकिन उसे भरण पोषण नहीं दिया जा रहा है. महिला के पति का कहना है कि उसने कोई दूसरी शादी नहीं किया है. उसने अपनी मां की देखरेख के लिए दूसरी महिला को रखा है. वह महिला और बच्चों को भरण-पोषण नहीं दे रहा है.

आयोग की समझाइश के बाद वह प्रतिमाह पूरा राशन महिला को देगा. बच्चों की पढ़ाई की राशि देगा. प्रतिमाह महिला को 10 हजार रुपये भी देगा. धान की फसल का पैसा एक साथ देगा. आगामी सुनवाई में वह महिला को 10 हजार रुपये देगा. बच्चों के स्कूल की पुरानी फीस भी जमा करेगा और राशन खर्च भी देगा. आगामी सुनवाई में यदि दोनों पक्षकार आयोग के आदेश का पालन करेंगे तो सहमति पत्र भी बनवाया जाएगा. इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है.

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