World Refugee Day 2022 : जानिए रायपुर के माना में रहने वाले शरणार्थियों की जिंदगी कितनी बदली ?

author img

By

Published : Jun 20, 2022, 12:24 PM IST

Updated : Jun 21, 2022, 12:49 AM IST

Raipur mana camp refugee life

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के माना कैंप में आज से 50 साल पहले बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को बसाया गया (Raipur mana camp refugee life) था. ईटीवी भारत की टीम ने विश्व शरणार्थी दिवस के मौके पर यहां रहने वाले लोगों का हाल जाना.

रायपुर: हर साल 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता (World Refugee Day 2022 ) है. आज के दिन दुनिया भर में शरणार्थियों की मदद की जाती है. इसके साथ ही उनकी स्थिति के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है. हर साल रिफ्यूजी डे के लिए एक थीम तय किया जाता है. थीम के आधार पर ही शरणार्थी दिवस मनाया जाता है. इस साल ये थीम "सुरक्षा की तलाश का अधिकार" पर आधारित है. विश्व रिफ्यूजी डे की मौके पर ईटीवी भारत की टीम माना कैंप पहुंची. यहां साल 1964 में आए बांग्लादेशी शरणार्थियों को बसाया गया था. वर्तमान में अभी पीएल होम माना कैम्प में 108 शरणार्थी परिवार रहते हैं. हालांकि ज्यादातर लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा (Raipur mana camp refugee life) है.

जानिए रायपुर के माना में रहने वाले शरणार्थियों की जिंदगी कितनी बदली

क्या है शरणार्थियों की हालत : पिछले 50 साल से भी अधिक समय से माना के पीएल होम में बांग्लादेश से आए शरणार्थी परिवार रह रहे (bangladesh Refugee in raipur mana camp) हैं. आज वहां के मकानों की स्थिति इतनी जर्जर हो गई है कि अब रहना मुश्किल हो रहा है. लोगों ने बताया की बारिश का समय आ चुका है. घर की छत से पानी टपक रहा है. 108 लोगों में लगभग 50 लोगों के घर बन गए हैं. बाकी लोगों के घर की स्थिति को सुधारा नहीं गया है. रिफ्यूजी कैंप में रह रही सुकुली ने बताया कि " हमारे घर की स्थिति बेहद जर्जर है. काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गर्मी ,बरसात, ठंड सभी मौसम में काफी दिक्कतें होती हैं. आज तक सड़क नहीं बनी है. सड़क भी बनाया जाए.''

बुनियादी सुविधाओं की कमी : माना कैंप (mana refugee camp raipur) में रह रहे परिवारों की मांग है कि जल्द से जल्द सरकार उन पर ध्यान दे और बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाएं. माना कैंप की ही निवासी जामिनि कीटोनिया ने बताया कि" 21 साल की थी तब बांग्लादेश से अपना घर, जमीन सारी चीजें छोड़कर आई थी. आज पीएल होम माना में पिछले 50 साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं. अब मकान की छत से पानी टपकता है. जो सुविधाएं शरणार्थियों को मिलनी चाहिए. वो नहीं मिल रही है. सभी बड़ी तकलीफ से अपना जीवन चला पा रहे हैं."

शिकायत से भी डरते हैं शरणार्थी : ईटीवी भारत की टीम जब शरणार्थियों की बस्ती पीएल होम पहुंची तो ज्यादातर शरणार्थियों ने ऑन कैमरा बातचीत नहीं की. ज्यादातर लोगों ने कहा कि अगर वे ऑन कैमरा आकर शिकायत करेंगे तो उनका बनने वाला घर भी नहीं बनेगा. जो सुविधाएं मिलती हैं, हो सकता है वह भी बंद हो जाए. नाम ना छापने की शर्त पर एक शरणार्थी ने बताया कि पहले उन्हें स्वास्थ और चिकित्सा के लिए सुविधाएं मिलती थी. अब उस तरह की सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. पहले इसके लिए अलग से राशि दी जाती थी लेकिन अब कोई राशि नहीं मिलती. शरणार्थियों के लिए बहुत सारी योजनाएं हैं, उसे लेकर पहले काम होता था. लेकिन आज के समय में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण काफी परेशानियां हो रही हैं.

बच्चों के लिए भी नहीं है सुविधाएं : बच्चों के लिए इस कैंप में झूले लगने वाले थे. लेकिन फ्रेम बनने के बाद एक भी झूला नहीं लग पाया. लोगों का कहना है कि वो जिम्मेदारों के पास जाते हैं लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिलता. कैंप में आधे लोगों के मकान बन चुके हैं. लेकिन अब भी कई लोग ऐसे हैं, जिनके सिर की टूटी छत को मरम्मत का इंतजार है.

Last Updated :Jun 21, 2022, 12:49 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.