छत्तीसगढ़ में कर्ज लेकर आंदोलन: दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के 34 दिन में 8 लाख खर्च

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Published : Sep 22, 2022, 6:00 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 6:52 PM IST

chhattisgarh Daily wage earners protest

protest by taking loans: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की हड़ताल 34 दिन से चल रही है. इन 34 दिनों में ये लोग 8 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुके हैं. आलम यह है कि किसी ने गहने गिरवी रखा है, किसी ने कर्जा लिया है तो कोई अपनी संपत्ति बेचकर आंदोलन में शामिल हुआ है. यानी इस बार डेलीवेज वर्कर आरपार के मूड में है. Daily wage workers became debtors in Chhattisgarh

रायपुर: राजधानी रायपुर में पिछले 34 दिनों से अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इनके हड़ताल पर चले जाने से वन विभाग के कई तरह के काम पूरी तरह बंद और ठप पड़े हुए हैं. बीते 34 दिनों के दौरान प्रदर्शनकारियों की जेब से अब तक 8 लाख से ज्यादा रुपए खर्च हो चुके हैं. बावजूद इसके दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने हिम्मत नहीं हारी है. आज भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर सड़क की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं. chhattisgarh Daily wage earners protest by taking loans

छत्तीसगढ़ में कर्ज लेकर आंदोलन कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी

अब तक खर्च हुई राशि प्रदर्शनकारियों ने खुद से जुगाड़ करके अपने खाने पीने और रहने की व्यवस्था की है. कई प्रदर्शनकारियों ने कर्ज और उधार लिया है. कुछ लोगों ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए. प्रदेश में इन कर्मचारियों की संख्या लगभग साढ़े 6 हजार है. यह सभी अपनी मांगों को लेकर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. protest of daily wage workers in Raipur

8 लाख से अधिक हो चुके खर्च: लंबे समय से राजधानी में जुटे इन प्रदर्शनकारियों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की और उनसे जानने की कोशिश की है कि आखिरकार उनके इस प्रदर्शन में अब तक कितना पैसा खर्च हो चुका है. पदाधिकारियों ने बताया कि ''अब तक 8 लाख से ज्यादा रुपए खर्च हो गए. यह पैसे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने आपस में ही चंदा कर जुटाए हैं.''
Daily wage workers became debtors in Chhattisgarh

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छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा ने बताया कि ''हम लोगों ने अलग अलग जगहों पर किराये का भवन लिया है. हम अपने ही पैसों से मंच और पंडाल के साथ ही भोजन की भी व्यवस्था करते हैं. ये व्यवस्था हमने अपने बच्चों के पेट को काटकर एक एक रुपये बचाकर जुटाए हैं ताकि हमारा प्रदर्शन जारी रहे.''

गहने जेवर गिरवी रखकर प्रदर्शन: प्रदर्शनकारी महिला ने बताया कि ''इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पैदल आती हूं. प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए भूखे प्यासे रहकर गहने जेवर भी गिरवी रखा है. 17 साल से वन विभाग में काम कर रही हूं, लेकिन न ही पेमेंट में कोई बढ़ोतरी होती है और न ही समय पर वेतन मिलता है. कांग्रेस ने सरकार बनने से पहले कहा था कि सत्ता में आने के बाद नियमितीकरण करेंगे, लेकिन अब तक नहीं किया है. 34 दिन से हमारा प्रदर्शन जारी है, बावजूद कोई देखने नहीं आ रहा है. हमारे साथी मर रहे हैं, सरकार यही चाहती है तो बताए, हम सभी फांसी पर लटकने को तैयार हैं.''

कर्ज लेकर प्रदर्शन में बैठे: कोरबा जिले से प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी शुभम जायसवाल ने बताया कि ''कोरबा जिले से भी बड़ी संख्या में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे हैं. इनमें से 75% लोगों ने कर्ज लिया है और प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए चंदा जुटाया है. हमारे प्रदर्शन को 34 दिन हो गए, लेकिन सरकार हमारी सुध नहीं ले रही है. जब से हमारा प्रदर्शन शुरू हुआ है, तब से लेकर अब तक हमारे 3 कर्मचारियों की मौत हो गई है. इसके बावजूद सरकार खामोशी का लबादा ओढ़ी हुई है.''

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किराए के भवन में ठहरे प्रदर्शनकारी: वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी प्रदेश व्यापी आंदोलन पर बैठे हुए हैं. राजधानी रायपुर के बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल में इनका प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारियों ने शहर के तीन जगहों पर किराए का भवन लिया है. गोपिया पारा में जानकी कुंज, जहां पर महीने भर का किराया एक लाख 20 हजार रुपये है. वहीं दूसरी जगह कुशालपुर के सामुदायिक भवन में प्रतिदिन 6 हजार रुपये का किराया है. आमानाका के एक मंदिर में रहने का प्रतिदिन का किराया 3 हजार है. इसके अलावा बचे हुए प्रदर्शनकारी गंदगी और बदहाली के बीच प्रदर्शन स्थल पर रात बिताने को मजबूर हैं.

प्रदर्शनकारियों की 2 सूत्रीय मांग: वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग है. जिसमें पहली मांग स्थायीकरण और दूसरी मांग नियमितीकरण की है. इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूरी कर लिए हैं, उन्हें स्थाई किया जाए. जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं, उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग साढ़े 6 हजार है. इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 10 हजार रुपये वेतन मिलता है. ये लोग वन विभाग में वाहन चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर, रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.

Last Updated :Sep 22, 2022, 6:52 PM IST
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