छत्तीसगढ़ में प्रवासी पक्षी भगवान भरोसे !

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Published : Jun 16, 2022, 3:10 PM IST

बिलासपुर में प्रवासी पक्षियों का शिकार जोरों पर है.ना ही वन विभाग और ना ही प्रशासन ने इस ओर अब तक कोई ध्यान दिया (God trusts migratory birds in Chhattisgarh) है.

बिलासपुर : जिले में बढ़ती गर्मी और तालाब, पोखर के सूखने पर पशु पक्षियों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. जिसका फायदा शिकारी उठा रहे हैं. मौके का फायदा उठाकर पक्षियों और जंगली जानवरों के शिकार के लिए ये सभी घात लगाए बैठे (Migratory birds hunting in Bilaspur) हैं. पिछले दिनों सीपत के एक गांव में पक्षियों के शिकार के लिये जाल बिछाकर शिकार कर रहे शिकारी को एक किसान ने पकड़ लिया था. शिकारी से कुछ पक्षियों को छुड़ाया भी गया था. लेकिन शिकारी के खिलाफ वन विभाग ने कोई कार्रवाई नही की. क्योंकि शिकारी किसान को चकमा देकर भाग गया था. इस मामले ने ये तो साबित कर दिया है कि बिलासपुर में पक्षियों का शिकार हो रहा है और वन अमला हाथ पर हाथ धरा बैठा है.

बिलासपुर में प्रवासी पक्षियों का शिकार

कहां हो रहा है शिकार : बिलासपुर जिले के आस-पास के गांव और जंगलों में इन दिनों बड़ी संख्या में देसी पक्षियों का शिकार हो रहा है. शिकारी सूखते तालाब और पोखरों के किनारे जाल बिछाकर पक्षियों का शिकार कर रहे हैं. ये बातें तब सामने आई जब सीपत के एक गांव में शिकारी शिकार के लिए तालाब के किनारे जाल बिछा रहा था. उसके जाल पर रेड हेडेड पक्षी फंस गई (Bird hunting in Kopra village of Bilaspur) थी. पक्षी के शिकार का एक वीडियो भी वायरल हुआ तक जिसमे शिकारी के जाल में फंसी चिड़िया को बचाने एक किसान आ गया था.किसान ने शिकारी और जाल में फंसी चिड़िया का शिकार करते वीडियो भी बना लिया था. किसान ने शिकारी से रेड हेडेड पक्षी को छुड़ाया भी और ऐसे करने से मना भी किया. शिकारी के चंगुल से कुछ पक्षियों को छुड़ाकर किसान ने उन्हें आजाद कर दिया. इस वीडियो के वायरल होने के बाद ये बात तो जरूर हैं कि जिले में बड़ी संख्या में पक्षियों का शिकार हो रहा है. वे उन्हें पकड़ शिकारी ऊंची कीमत पर बाजार में बेच रहे हैं.

कहां आते हैं प्रवासी पक्षी : बिलासपुर के सकरी क्षेत्र के बेलमुंडी और कोपरा जलाशय के आसपास बड़ी संख्या में पक्षी प्रवास पर रहते हैं. यहां वे ठंड के शुरुआत में आते हैं और अपना कुनबा बढ़ाकर मई-जून के बीच वापस चले जाते हैं. यहां प्रवासी पक्षी हिमालय पार कर मंगोल, चाइना और आधा दर्जन से भी ज्यादा देशों से आते हैं. इसके अलावा साइबेरिया के कई अलग-अलग प्रजाति के पक्षी भी यहां आते हैं. कोपरा जलाशय के आसपास अप्रवासी पक्षियों का जमघट रहता है. बावजूद इसके वन विभाग यहां उनकी सुरक्षा के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की है, जिससे हमेशा ही इनके जान को खतरा रहता (Hunters active in Belmundi and Kopra reservoir)है. शिकारी देर शाम और रात के वक्त पक्षियों का शिकार भी करते हैं, हालांकि अब तक इस मामले में कोई भी पकड़ा नहीं गया है, लेकिन ग्रामीणों की माने तो यहां आए दिन प्रवासी पक्षियों का शिकार होता है.


हिमालय पार कर आते है कुछ प्रवासी पक्षी : बिलासपुर जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में हिमालय पारकर मंगोलिया और साईबेरिया से आने वाले रेड हेडेड गुज पक्षी धरती से करीब 29 हजार से 37 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता रखने वाले ‘बार हेडिड गूज’, ब्लैक हेडेड गुज और हंस प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं. इतनी दूर से आने वाले इन अप्रवासी पक्षियों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नही करना आश्चर्य की बात हैं .

क्या कहते है पक्षी प्रेमी : बिलासपुर के पक्षी प्रेमी मंसूर खान ने सीपत के शिकारी से किसान के साथ मिलकर जाल में फंसे पक्षी को छुड़ाया है. उनका कहना है कि ''जिले में पक्षियों का शिकार तो हो रहा है, कुछ मामले ही शिकार के प्रकाश में आ रहे हैं. लेकिन बहुत सारे मामलों में पता ही नहीं चल पाता कि पक्षियों का शिकार हो रहा है. इसके अलावा शिकारी उन जगहों पर ज्यादा पाए जाते हैं जहां गर्मी के सीजन में सूखते पानी के स्त्रोत में पक्षी अपनी प्यास बुझाने आते हैं. वन विभाग को पक्षियों के शिकार होने के मामले में किसी तरह का सरोकार नहीं है.वह केवल जानवरों पर ही अपना ध्यान रखते हैं, जबकि पक्षियों का शिकार बहुतायत हो रहा है. पक्षी भी इको फ्रेंडली होते हैं और उन्हें बचाना भी वन विभाग के साथ ही आम लोगों की भी जिम्मेदारी है.''

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