छत्तीसगढ़ में अंग्रेजी शराब महंगी, बढ़े महुआ और देसी शराब के शौकीन

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Published : Sep 22, 2022, 7:08 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 7:27 PM IST

Demand for Mahua and country liquor increased

Bilaspur police action on illegal liquor sellers: बिलासपुर पुलिस ने 4 साल में अवैध शराब के मामले के 5500 मामले दर्ज किए हैं. इससे एक तरह नशे के कारोबार को लेकर पुलिस की सजगता के बारे में पता चलता है तो दूसरी ओर महुआ और देसी शराब की डिमांड किस तरह बढ़ने लगी है ये बात भी सामने आ रही है. साल 2022 में ही पुलिस ने 1477 मामलों में 4216 लीटर अवैध शराब जब्त कर 1518 लोगों को गिरफ्तार किया है.Mahua liquor sales increased in Bilaspur

बिलासपुर: जिले में देसी महुआ शराब पीने का चलन बढ़ने लगा है. शराब के शौकीनों के लिए आसानी से सस्ती कीमत में उपलब्ध होने वाली महुआ शराब पीने वालो की संख्या में अचानक बढ़ोतरी होने लगी है. जिले में अवैध देसी और महुआ शराब पर पिछले चार सालों में की गई पुलिस कारवाई के आंकड़े बताते है कि साल दर साल अवैध शराब बेचने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. शराब बेचने वालों की संख्या में भी महुआ और देसी शराब पीने वालों की संख्या बढ़ी है. बिलासपुर पुलिस ने जिले में पिछले चार सालों में 5830 मामले पंजीबद्ध किए है और शराब बेचने वाले 6 हजार से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. जब्त अवैध शराब 18 हजार लीटर तक पहुंच गई है.Demand for Mahua and country liquor increased in Bilaspur

बिलासपुर में महुआ और देशी शराब की डिमांड

तीन सालों का टूटा रिकॉर्ड: जिले में लगातार अवैध देसी और महुआ शराब की बिक्री बढ़ गई है. इस साल पुलिस कारवाई के चौकाने वाले आंकड़े सामने आए है. जिले की एसएसपी पारुल माथुर ने बताया "पिछले चार साल में जितनी कार्रवाई हुई है उसमें पुलिस विभाग ने अवैध शराब की बिक्री को रोकने में काफी काम किया है. विभागीय आंकड़ों की बात करें तो तीन साल में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए है. 2019 से 2022 तक पिछले 3 सालो में हर साल हुई कार्रवाई के आंकड़ों में इस साल 8 महीनों में सबसे ज्यादा अवैध शराब के मामले में एक्शन लिया गया है. बिलासपुर पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है. पुलिस ने 8 महीनों में 1477 मामलों में 4216 लीटर अवैध शराब जब्त कर 1518 लोगों को गिरफ्तार किया है.

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महुआ और देशी शराब की डिमांड ज्यादा: भाजपा की पूर्ववर्ती रमन सरकार ने शराब दुकान को ठेके से हटाकर सरकारी शराब दुकान चलाने का निर्णय लिया था. भाजपा सरकार के इस निर्णय के बाद राज्य सरकार की तरफ से कॉर्पोरेशन के माध्यम से सरकारी दुकान के जरिए शराब बेची जा रही है. सरकार के निर्णय के बाद और शराब की कीमतों में हुई वृद्धि ने शराब के शौकीनों को अंग्रेजी शराब से दूर कर उनकी पहली पसंद महुआ शराब को कर दिया है. बिलासपुर जिले में अब तक हुई पुलिस कारवाई और जब्त अवैध महुआ शराब और अवैध देशी शराब के आंकड़े बताते है कि शराब के शौकीनो की पहली पसंद महुआ और देशी शराब हो गई है.

ठेका प्रथा में प्रतिस्पर्धा से बिकती थी सस्ती शराब: अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी अंग्रेजी और देसी शराब का ठेका हुआ करता था. इसे निजी तौर पर ठेकेदार संचालित करते थे. जिले में अलग अलग दुकानों के लिए बोली लगाई जाती थी और ठेकेदार एरिया के हिसाब से दुकान संचालित करते थे, लेकिन कुछ साल पहले रमन सिंह की सरकार ने इसे खत्म कर दिया था. बीजेपी सरकार ने ठेका पद्धति खत्म करते हुए कॉरपोरेशन बनाकर इसे सरकारी तौर पर बेचने का काम शुरू किया था. ठेका पद्धति के दौरान ठेकेदारों की आपसी लड़ाई और प्रतिस्पर्धा से शराब ठेकेदार एक दूसरे के एरिया में जाकर सस्ती और अच्छे ब्रांड की अंग्रेजी शराब बेचते थे, जिससे शराब के शौकीनों को आसानी से मनपसंद ब्रांड सस्ती कीमत में मिल जाती थी, लेकिन शराब बिक्री सरकारी होने के बाद कीमत तो बढ़ गई साथ ही ठेकेदारों की प्रतिस्पर्धा भी खत्म हो गई. यही वजह है कि शराब महंगी होने की वजह से लोगों का ध्यान महुआ से बनने वाली शराब और देसी शराब की ओर चला गया है.

Last Updated :Sep 22, 2022, 7:27 PM IST
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