बिलासपुर में बंगाली समाज की पारंपरिक दुर्गा पूजा, धुनुची नृत्य से करते है देवी को खुश

author img

By

Published : Oct 3, 2022, 11:05 PM IST

Updated : Oct 4, 2022, 7:39 AM IST

बिलासपुर में बंगाली समाज की पारंपरिक दुर्गा पूजा

Bengali Durga Puja Tradition in Bilaspur बिलासपुर शहर में दुर्गा उत्सव का पर्व मनाया जा रहा है. नवरात्रि और दुर्गा पूजा का कलकत्ता में विशेष धूम रहता है. शहर के सिम्स मेडिकल कॉलेज के सामने बंगाली समाज मिलन मंदिर काली बाड़ी में बंगाली समाज पिछले 72 सालों से दुर्गा पूजा उत्सव करता आ रहा है.

बिलासपुर: शहर में इस समय नवरात्रि की धूम मची हुई है. शहर के मंदिरों और पंडालों में दुर्गा देवी की प्रतिमाएं विराजित की गई है. शहर में अलग अलग राज्यों के लोग आकर बसे हुए है. सभी जगह अपने राज्यो की परंपराओं के अनुसार पूजा की जाती है. नवरात्रि के आठवें दिन और दुर्गा पूजा के महाअष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी-सरस्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की विशेष पूजा अर्चना की गई. यहां पश्चिम बंगाल की तर्ज पर दुर्गा पूजा मनाया जाता है. बंगाली दुर्गा पूजा की अपनी अलग परंपरा है. जिसे देखने के लिए यहां भक्तों की भीड़ जमा हो रही है. यहां हो रही आरती को देखकर लोग भक्ति में डूब रहे हैं. Bengali Durga Puja Tradition in Bilaspur

बिलासपुर में बंगाली समाज की पारंपरिक दुर्गा पूजा

बंगाल की ही भांति पूरे धार्मिक विधि विधान से होती है दुर्गा पूजा: बिलासपुर में भी बंगाल की ही भांति पूरे धार्मिक विधि विधान के साथ दुर्गा पूजा की जाती है. विशेषकर मिलन मंदिर, काली बाड़ी, गोंड़पारा और आसपास में इस पूजा को संपन्न कराने के लिए बंगाल से आये पुजारी, ढाकी और भोग तैयार करने वाले रसोइये अपने काम में जुट गए हैं. महा सप्तमी के बाद सोमवार महा अष्टमी पर सुबह से ही पंडालों में मंत्रोच्चार के साथ दुर्गा पूजा आरंभ हो गई. देवी दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना के साथ कुमारी पूजन भी किया गया. बंगाल की परंपरा के अनुसार श्रद्धालु दुर्गा पंडालों में फल फूल मिष्ठान आदि लेकर उन्हें अर्पित करने पहुंचे. ढाक की थाप और काशी की स्वर लहरी के बीच देवी दुर्गा की विशेष पूजा संपन्न होने के बाद भक्तों ने कतार लगाकर पुष्पांजलि दी.

यह भी पढ़ें: महिषासुर की जगह गांधी जैसी प्रतिमा दिखने पर बिलासपुर के बंगाली समाज ने की निंदा, कहा- राष्ट्रपिता का अपमान बर्दास्त नहीं


बंगाल की परंपरा अनुरूप मना रहे त्यौहार: बिलासपुर के काली बाड़ी में सुबह से ही मंत्रोच्चार के स्वर सुनाई पड़ने लगे. पारंपरिक परिधानों में समाज के लोग दुर्गा देवी की आराधना के लिए पहुंचे. बंगाल की परंपरा अनुरूप यहां आड्डा भी लग रहा है. अन्य शहरों में रहने वाले बंगाली दुर्गा पूजा पर अपने घर जरूर लौटते हैं और दुर्गा पूजा पंडाल में ही पुराने मित्रों, परिचितों और रिश्तेदारों से मेल मुलाकात होती है. जिससे सामाजिक ताना बाना और मजबूत होता है. इस परंपरा का निर्वहन बिलासपुर में भी लंबे वक्त से हो रहा है. इसे लेकर सभी उत्साहित नजर आ रहे हैं. बंगाल से दूर रहने वाले बंगाली आज भी इन परंपराओं के साथ खुद को अपनी जमीन से जुड़ा हुआ अनुभव करते हैं.

बंगाली धुनुची नृत्य की धूम: दुर्गा प्रतिमा के विराजमान होने के बाद बंगाली महिलाएं देवी दुर्गा को खुश करने विशेष बंगाली धुनुची नृत्य करती है. इस नृत्य को विशेष तरह से किया जाता है. महिलाए हाथ में 'धुपावाली" रखकर विशेष तरह का लुभान(धुनु) जलाकर नृत्य करती हैं. इस नृत्य को धुनुची कहा जाता है. माना जाता है कि दुर्गा देवी इससे खुश होती है और मनोकामना की पूर्ति करती है. ये नृत्य केवल बंगाल में होता है, जिसे महिलाएं करती हैं.

Last Updated :Oct 4, 2022, 7:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.