दक्षिण अमेरिकी ऊंट/लामा की नैनोबॉडी कोविड-19 से लड़ने में कारगर: शोध

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Published : Sep 23, 2021, 2:38 PM IST

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हालाँकि, दुनिया भर के अधिकांश देशों में COVID-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू हुए कई महीने हो चुके हैं, फिर भी वायरस से संक्रमित होने का डर बना रहता है क्योंकि अभी तक इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है. परन्तु हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि दक्षिण अमेरिकी ऊंट या लामाओं द्वारा उत्पादित छोटे एंटीबॉडी कोविड​​-19 के खिलाफ एक नया उपचार प्रदान कर सकती है.

दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले लामास यानी ऊंट के शरीर में बनने वाला एक अद्वितीय प्रकार का छोटा एंटीबॉडी कोविड-19 के एक नए तरीके से उपचार में अग्रणी भूमिका निभा सकता है. उपचार के लिए मरीज इंजेक्शन के बजाय इसे नाक में स्प्रे के रूप में ले सकते हैं. यूके में रोजालिंड फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में पाया गया है कि नैनोबॉडी - लामाओं (ऊंटों) द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी का एक छोटा, सरल रूप कोविड-19 के वेरिएंट सार्स-कोविड-2 वायरस को प्रभावी ढंग से निशाना बना सकता है.

उन्होंने पाया कि अणुओं की छोटी श्रृंखलाएं, जिन्हें प्रयोगशाला में बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जा सकता है, संक्रमित पशु मॉडल पर आजमाने पर कोविड-19 रोग के लक्षणों को काफी कम कर देता है.

नेचर कम्युनिकेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित परिणाम, कोविड-19 के खिलाफ एक नए प्रकार के उपचार को विकसित करने की दिशा में पहला कदम है. मानव की तुलना में सस्ते और उत्पादन में आसान हैं. एंटीबॉडी और कोल्ड स्टोरेज सुविधा में संग्रहीत करने की जरूरत नहीं है.

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा कि शोध के मुताबिक, नैनोबॉडी में कोविड-19 की रोकथाम और उपचार दोनों की महत्वपूर्ण क्षमता है. यह सबसे प्रभावी सार्स-कोविड-2 को बेअसर करने वाले एजेंटों में से एक है.

शोधपत्र के प्रमुख लेखक प्रोफेसर रे ओवेन्स, जो संस्थान में प्रोटीन उत्पादन के प्रमुख हैं, ने कहा, "मानव एंटीबॉडी पर नैनोबॉडी के कई फायदे हैं. वे उत्पादन करने के लिए सस्ते हैं और नेबुलाइजर या नाक स्प्रे के माध्यम से सीधे वायुमार्ग में पहुंचाए जा सकते हैं, इसलिए इसे इंजेक्शन के बजाय घर में खुद आजमाया जा सकता है. यह सीधे श्वसन मार्ग में संक्रमण की जगह जाकर भी उपचार करता है."

टीम ने सार्स-कोविड-2 स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से को फिफी नामक लामा में इंजेक्ट करके नैनोबॉडी तैयार की.

जबकि इंजेक्शन ने फिफी को बीमार नहीं किया, इसने उसके खिलाफ नैनोबॉडी पैदा करके वायरस प्रोटीन से लड़ने के लिए उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को ट्रिगर किया. तब लामा से एक छोटा रक्त नमूना लिया गया और शोधकर्ता कोविड-19 वायरस से बंधने में सक्षम चार नैनोबॉडी को शुद्ध करने में सक्षम थे.

टीम ने पाया कि तीन नैनो-श्रृंखलाएं कोविड-19 वायरस के मूल वेरिएंट और अल्फा वेरिएंट दोनों को बेअसर करने में सक्षम था, जिन्हें पहली बार यूके में पहचाना गया था. एक चौथी नैनोबॉडी श्रृंखला पहले दक्षिण अफ्रीका में पहचाने गए बीटा वर्जन को बेअसर करने में सक्षम था.

-आईएएनएस

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