सही शेप में आने के लिए कितना और किस तरह का व्यायाम होगा मददगार

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Published : Sep 20, 2021, 1:04 PM IST

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टोक्यो 2020 ओलंपिक में पुरुषों की 1500 मीटर दौड़ के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले जैकब इंगेब्रिग्त्सेन जैसे विशिष्ट एथलीट हर सप्ताह लगभग दस से 14 बार ट्रैक पर और जिम में कई घंटे दौड़ते हैं. लेकिन अपने शरीर को शेप में रखने के लिये इस दर्जे का व्यायाम करना आम आदमी के लिये सरल नहीं होता है. लेकिन कुछ प्रणालियों का अनुसरण और विशेष प्रकृति के व्यायाम आम आदमी को भी शेप में रहने में मदद कर सकते हैं.

हम आमतौर पर मोटापे के शिकार बॉडी बिल्डिंग से जुड़े लोगों से सुनते हैं कि उन्होंने अपनी बॉडी को शेप में लाने के लिए जीम में कितनी मेहनत की है और पसीना बहाया है. वे यह भी बताते हैं कि शरीर की शेप, वजन, लंबाई, चौड़ाई के आदर्श मानकों के अनुसार शरीर का आकार बनाए रखने के लिये जीम में किस तरह का कसरत आवश्यक होता है. वर्तमान समय में सिर्फ खिलाड़ी और व्यायाम के क्षेत्र से जुड़े लोग ही नहीं बल्कि आम जन भी परफेक्ट बॉडी तथा एब्स की चाह में अलग-अलग तरह के व्यायाम तथा प्रयास करते हैं.

जानकार मानते हैं की ऐसी इच्छा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिये शारीरिक प्रशिक्षण या व्यायाम रूटीन का निर्धारण निम्नलिखित कारकों के आधार पर होना चाहिए, जैसे प्रशिक्षण के लक्ष्य, व्यायाम की तीव्रता, और किसी भी प्रकार की चोट या सर्जरी का इतिहास आदि.

गौरतलब है की व्यायाम हमारे शरीर में विभिन्न प्रणालियों में सकारात्मक तनाव उत्पन्न करते हैं जोकि संबंधित अंगों के स्वास्थ और उनकी कार्यप्रणालियों के कार्यों को बेहतर करने में मदद करते हैं. साथ ही यह शरीर को ताकत व मजबूती भी प्रदान करते हैं. अलग-अलग प्रकार के व्यायाम और प्रशिक्षण शरीर के अलग-अलग अंगों पर असर दिखाते हैं.

ऐसा भी होता है की कोई प्रशिक्षण या व्यायाम शरीर के किसी एक ही अंग या प्रणाली को फायदा पहुंचाए, वहीं दूसरे अंगों पर उसका असर नगण्य या कम हो जैसे भारोत्तोलन जैसा प्रतिरोध प्रशिक्षण, मांसपेशियों की ताकत बनाने में मदद करता है. वहीं इससे हृदय की फिटनेस में सुधार होने की संभावना कम होती है क्योंकि यह हमारी मांसपेशियों पर हमारे दिल की तुलना में अधिक तनाव व दबाव डालता है.

लेकिन जब बात व्यायामों के माध्यम से शरीर की बनावट में सुधार लाने की आती है तो व्यायाम और अभ्यासों की पुनरावृत्ति और विभिन्न कारणों से शरीर को पहुँचने वाली क्षति से मुक्ति के प्रयासों का संयोजन जरूरी माना जाता है. वहीं यदि एक उद्देश्य को लेकर किए जा रहे प्रशिक्षण में नियमित तौर पर एक ही जैसे व्यायामों का अभ्यास ना हो, तो शरीर में सुधार नजर नहीं आता है.

जानकार मानते हैं की व्यायाम के सम्पूर्ण फ़ायदे प्राप्त करने के लिये, प्रशिक्षण सत्रों के दौरान लगने वाली चोटों और शारीरिक समस्याओं के कारण हुई क्षति को ठीक होने के लिये अभ्यास सारणी में आराम के लिये समय देने का प्रावधान भी जरूरी है. संक्षेप में कहा जाय तो फिटनेस में सुधार की कुंजी लगातार प्रशिक्षण और व्यायाम करने और पर्याप्त रूप से ठीक होने के बीच संतुलन बनाना है.

गौरतलब है की प्रशिक्षण के दौरान व्यायाम की आव्रती, उसका अभ्यास और सावधानियाँ सब प्रशिक्षण लेने वाले व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य और जरूरत पर निर्भर करते हैं. अलग-अलग प्रकार की जरूरत में निम्नलिखित व्यायाम और प्रशिक्षण मददगार हो सकते हैं.

सहनशक्ति व्यायाम (एंडयूरेन्स एक्सरसाइज )

एंडयूरेन्स एक्सरसाइज में प्रशिक्षण के दौरान हल्की तीव्रता वाले व्यायाम नियमितता के साथ किए जाते हैं. गौरतलब है की नियमित व्यायाम की आदत होने पर हमारा शरीर ऑक्सीजन को अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाता है. जिससे व्यायाम कर्ता का समय के साथ बेहतर और ज्यादा समय तक व्यायाम करना आसान हो जाता है.

कौशल आधारित खेल

तैराकी, टेनिस और मार्शल आर्ट सहित कई खेलों में शारीरिक और तकनीकी कौशल के संयोजन की आवश्यकता होती है. इस प्रकार के खेलों में प्रदर्शन में सुधार के लिये लगातार और उद्देश्यपूर्ण अभ्यास जरूरी होता है. उदाहरण के लिए, स्विमिंग कोच ज्यादा देर तक, कम तीव्रता वाले प्रशिक्षण (तकनीक पर ध्यान केंद्रित करने) को महत्व देते हैं, ताकि उनके तैराक पानी में अधिक कुशलता और आसानी से आगे बढ़ सकें. लेकिन जब हम एक ही प्रकार का प्रशिक्षण बार-बार करते हैं, तो मांसपेशियों में तनाव या चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए प्रशिक्षण के दौरान व्यायाम तथा अभ्यास के समय का निर्धारण इस प्रकार होना चाहिए की शरीर को तनाव से बचाया जा सके .

वहीं उच्च-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधियाँ जैसे दौड़ना या टेनिस खेलने का लगातार अभ्यास हमारे शरीर की केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है. हालांकि इन खेलों के कौशल में सुधार के लिए लगातार अभ्यास जरूरी माना जाता है, लेकिन चोट से बचने के लिये यदि इन गतिविधियों से संबंधित व्यायामों का अभ्यास आवश्यक तीव्रता के साथ नियंत्रित समय के लिए ही किया जाना बेहतर होता है.

प्रतिरोध प्रशिक्षण

जब बात मांसपेशियों की मजबूती और उनके निर्माण की आती है, तो ऐसे लोग जो लगातार और ज्यादा मात्रा में व्यायाम और अभ्यास करते हैं, ज्यादा मजबूत और बेहतर स्तिथि में माने जाते हैं. ऐसा शायद इसलिए होता है की अधिक व्यायाम मांसपेशियों के आकार और ताकत दोनों में वृद्धि करते हैं. लेकिन बावजूद इसके, मांसपेशियों को ज्यादा समय तक मजबूत रखने और उन्हे चोटील होने से बचाने के लिये प्रशिक्षण के दौरान उचित पोषण के साथ आराम और रिकवरी का ध्यान रखना भी जरूरी है. आम तौर पर, यह अनुशंसा की जाती है कि मांसपेशियों और हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रति सप्ताह दो या उससे अधिक दिनों में मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम करने चाहिए .

यदि व्यायाम कर्ता का उद्देश्य सिर्फ मांसपेशियों का आकार बढ़ाना या एब्स बनाना है, तो ऐसे में अलग-अलग दिनों में अलग-अलग मांसपेशी समूहों के लिये व्यायाम किया जाना मददगार हो सकता है. लेकिन यहाँ यह सुनिश्चित किया जाना भी जरूरी है की आप खुद को वर्कआउट के बीच ठीक होने के लिए पर्याप्त समय दे रहे हैं. इसके साथ ही इस बात पर ध्यान देना भी जरूरी है की हमेशा अति में व्यायाम या प्रशिक्षण कई बार अतिरिक्त लाभ नहीं देता है. इसलिए जरूरी है की कुछ विशेष प्रकार के प्रशिक्षणों को विशेष परिसतिथ्यों के लिये बचा कर रखा जाए.

आरोग्य और स्वस्थता

एक आम आदमी के लिए शरीर को शेप में लाने के लिये किए जाने वाले व्यायाम की अवधि या मात्रा नहीं बल्कि उनके अभ्यास की गुणवत्ता जरूरी होती है. उदाहरण के लिए, हाई इंटेनसीटी इंटरवल ट्रेनिंग बेहतर फिटनेस और बेहतर स्वास्थ्य जैसे परिणाम देती है. इस प्रकार के प्रशिक्षण में थोड़े समय में ज्यादा अभ्यास करने वाले व्यायाम शामिल होते हैं. इसके साथ ही व्यायाम के दौरान आराम की अवधि भी निर्धारित होती है. हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि सप्ताह में एक से तीन बार 75 सेकंड के आराम के साथ एक मिनट तक गहन व्यायाम करने से फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. तो जो लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं, उनके लिए प्रति सप्ताह 30 मिनट तक का व्यायाम करना भी फायदेमंद हो सकता है.

(पीटीआई)

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