पश्चिम चंपारण की जीविका दीदीयों की मेहनत लाई रंग, मास्क उत्पादन में पहले पायदान पर जिला

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Published : May 19, 2020, 8:40 PM IST

पश्चिम चम्पारण

पश्चिम चम्पारण में दर्जनों जीविका समूह द्वारा मास्क उत्पादन किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सबसे अहम अस्त्र माने जा रहे मास्क का उत्पादन जीविका समूह के महिलाओं ने लॉकडाउन में मास्क की भारी किल्लत शुरू होने पर किया था.

पश्चिम चम्पारण: जिले की जीविका दीदीयों की मेहनत रंग लाने लगी है. पीएम मोदी के आत्मनिर्भरता वाले संदेश और मूल मंत्र को सही साबित करने में जुटी जीविका समूह के सदस्यों ने मास्क उत्पादन में जिले का नाम रोशन किया है. इनके मेहनत का ही परिणाम है कि पिछले दो महीने में इन्होंने मास्क उत्पादन के क्षेत्र में पूरे सूबे में जिले को पहले पायदान पर ला खड़ा किया है.

प्रखंड परियोजना पदाधिकारी के मुताबिक जिले के जीविका समूहों द्वारा अब तक 2 लाख से ज्यादा मास्क का उत्पादन किया गया है. जो कि प्रदेश के किसी भी जिले के लिए रिकॉर्ड है.

पश्चिम चम्पारण में दर्जनों जीविका समूह द्वारा मास्क उत्पादन किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सबसे अहम अस्त्र माने जा रहे मास्क का उत्पादन जीविका समूह के महिलाओं ने लॉकडाउन में मास्क की भारी किल्लत शुरू होने पर किया था. जीविका के बीपीओ वासिफ अली ने बताया कि इसी किल्लत को दूर करने के लिहाज से जीविका समूहों द्वारा मास्क उत्पादन के काम पर जोर दिया गया. जिसके परिणाम स्वरूप आज पूरे बिहार में पश्चिम चम्पारण जिला मास्क उत्पादन के क्षेत्र में पहले पायदान पर पहुंच गया है.

पश्चिम चम्पारण
जीविका समूह द्वारा मास्क निर्माण

'20 हजार से ज्यादा मास्क उत्पादन'
वासिफ अली ने आगे बताया कि इस उपलब्धी से जिला प्रशासन में काफी खुशी है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि बगहा के थरुहट क्षेत्र में 3 जीविका सेंटर चल रहे हैं. वहीं, बगहा दो प्रखंड के अंतर्गत थरुहट इलाके में तीन जीविका सेंटरों का संचालन किया जा रहा है. सभी जीविका सेंटरों पर इस समय मुख्यत: मास्क का उत्पादन दर्जनों जीविका सदस्य कर रही हैं. दुधौरा, सेमरा और हरनाटांड़ में सत्याग्रह, कर्मभूमि और हिमालय नाम से जीविका समूह चलाये जा रहे हैं जहां जीविका दीदियों ने अब तक 20 हजार से ज्यादा मास्क उत्पादन किया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पीएम के आत्मनिर्भरता संदेश को सच कर रही दीदीयां
जीविका सदस्यों का कहना है कि वे मास्क बनाने से पहले कपड़े को नीम वाले गर्म पानी में धुलकर डिटॉल और रिवेंज से सेनेटाइज करती हैं. फिर मास्क की सिलाई की जाती है. दरअसल, जीविका से जुड़ी महिलाएं लोगों को कोरोना संक्रमण जे बचाने हेतु आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं. जो भी महिलाएं मास्क सिलाई करती हैं, उन्हें प्रति मास्क 3 रुपये के दर से आमदनी होती है. जीविका की प्रत्येक सदस्य एक दिन में 60 से 70 मास्क बनाती हैं. जिससे उन्हें तकरीबन लगभग रोजाना 200 की आमदनी हो जाती है. जो कि जीविकोपार्जन के लिए लॉकडाउन जैसे समय मे काफी है.

सांसद और विधायकों ने जीविका सदस्यों का नहीं दिया साथ
दरअसल, जीविका बहनों द्वारा बनाया गया मास्क मनरेगा सहित कई सरकारी विभागों में उचित दर पर सप्लाई किया जाता है. बिहार सरकार ने सभी सांसद और विधायकों को एक एडवाइजरी जारी कर जीविका समूहों द्वारा निर्मित मास्क खरीदकर अपने-अपने इलाके के ग्रामीणों के बीच एहतियातन तौर पर वितरित करने का निर्देश दिया था. वहीं, अब तक किसी भी सांसद और विधायक ने यहां से मास्क नहीं खरीदा है. बल्कि सभी प्रतिनिधियों ने निजी दुकानों से खरीद कर ही बांटा है.

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