मेहनत के हिसाब से नहीं हो रही आमदनी, बांस की जगह पीतल का सुपली और दउरा खरीद रहे लोग

मेहनत के हिसाब से नहीं हो रही आमदनी, बांस की जगह पीतल का सुपली और दउरा खरीद रहे लोग
Chhath Puja 2023 In Bagaha:छठ पूजा में बांस की दउरा व सुपली का विशेष महत्व होता है. सुपली और दउरा की कीमत आसमान छू रही है. बावजूद इसको मनाने वाले बांसफोड निराश हैं. बाजार में 400 से 500 रुपये में बिक रही है. कारीगर दउरा और सुपली बनाकर ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं.
बगहा: चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत आज नहाए खाए से शुरू हो चुकी है. छठ पूजा में बांस की सुपली में पूजन सामग्री रखकर अर्घ्य देने का विधान है. बढ़ती मंहगाई के कारण बांस से निर्मित दउरा व सुपली का स्थान पीतल और लोहे की सुपली ने ले लिया. इसकी सबसे बड़ी वजह इनका टिकाऊ होना है. क्योंकि बांस से बनी इन सामग्रियों को हर साल खरीदना पड़ता है, वहीं पीतल से बनी सुपली एक बार खरीद लेने के बाद बार-बार प्रयोग की जा सकती है.
"छठ महापर्व में सुपली-दौरा का काफी महत्व है, लेकिन जो दौरा 150 से 200 में बिकता था. वह अब 500 में मिल रहा है. वहीं सुपली 80 रुपए जोड़ा मिलता था उसकी कीमत 130 रुपये जोड़ा हो गई है. बावजूद यह लोक आस्था का पर्व है तो इसके महत्व को देखते हुए खरीदना तो मजबूरी है." - शालू देवी, छठ व्रती
बगहा में छठ पर महंगाई की मार: छठ में मंहगाई का असर साफ साफ दिख रहा है. व्रती मंहगाई के कारण बांस से बनी सुपली और दउरा नहीं खरीद रहे हैं. बाजार में एक दउरे की कीमत 400 से 500 रुपये हैं. ऐसे में छठ व्रती बांस के बने दउरा और सुपली नहीं खरीद रहे हैं. पीतल और लोहे के बने दउरा और सुपली खरीद रहे हैं. जिस कारण से बांस की सुपली और दउरे की बिक्री नहीं हो रही है.
"छठ का पर्व घर परिवार के लोगों की समृद्धि के लिए मनाया जाता है. इसमें साफ सफाई का बहुत महत्व होता है. बांस के बने सुपली और दउरा में ही व्रत का प्रसाद रखा जाता है. इस बार दौरा का रेट 200 से बढ़कर 500 हो गया है. बावजूद श्रद्धा और भक्ति को देखते हुए कोई समझौता नहीं किया जा सकता."-मीरा देवी, छठ व्रती
सुपली और दउरा की बिक्री घटीः सुपली-दउरा बनाने वाले बांसफोड समुदाय के लोग इन सामानों की अच्छी कीमत मिलने के बावजूद निराश हैं। उनका कहना है की बांस की कीमत दोगुनी हो गई है. जो बांस पहले 100 रुपए में मिलता था वह अब 250 में मिल रहा है. लोग अब बांस के सुपली-दउरा के बजाय पीतल और प्लास्टिक के सुपली-दउरा का उपयोग करने लगे हैं. लिहाजा उनकी बिक्री काफी प्रभावित हो रही है. मेहनत के हिसाब से आमदनी नहीं हो पा रही है.
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