बगहा में बिहार-यूपी को जोड़ने वाली चचरी पुल, जान जोखिम में डालकर आवाजाही करते लोग, प्रशासन को बड़े हादसे का इंतजार

बगहा में बिहार-यूपी को जोड़ने वाली चचरी पुल, जान जोखिम में डालकर आवाजाही करते लोग, प्रशासन को बड़े हादसे का इंतजार
Chachari bridge in Bagaha बगहा के मधुबनी प्रखंड अंतर्गत यूपी-बिहार सीमा पर स्थित सिसवा गांव में आज भी लोग चचरी पुल के सहारे आने जाने को मजबूर हैं. आजादी के बाद से अब तक बांसी नदी पर पक्के पुल का निर्माण नहीं हुआ. इसी चचरी पुल से होकर ग्रामीण व्यवसाय करने जाते हैं और बच्चे शिक्षा ग्रहण करने. पढ़ें, पूरी खबर...
बगहाः पश्चिम चंपारण जिले के बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड में आज भी लोग चचरी पुल के सहारे रोज आना जाना कर रहे हैं. सिसवा गांव से होकर गुजरने वाली बांसी नदी पर आज भी बिहार यूपी के लोग चचरी पुल के सहारे ही आवागमन करने को मजबूर हैं. सिसवा घाट पर बना यह पुल दर्जनों गांवों के लिए लाइफ लाइन है. इस चचरी पुल पर प्रत्येक साल छोटे मोटे हादसे होते रहते हैं. लेकिन, प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में है.
जान जोखिम में डालकर आवाजाहीः ग्रामीणों ने बताया स्थायी पुल नहीं होने के कराण हर साल इस चचरी पुल को वो लोग खुद बनाते हैं. आपसी सहयोग व चंदा इकट्ठा कर श्रमदान से हर साल यहां चचरी पुल बनाया जाता है. बिहार यूपी को जोड़ने वाला यह चचरी पुल प्रत्येक चुनाव में मुद्दा बनता है. जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को दिलासा देकर अपना वोट लेते हैं और फिर इस तरफ कोई पलट कर नहीं देखता है. लिहाजा जान जोखिम में डालकर दर्जनों गांवों के लोग इसी चचरी पुल से आवाजाही करते हैं.
प्रशासन को बड़े हादसे का इंतजारः ग्रामीणों के मुताबिक इस चचरी पुल पर कई दफा हादसे हुए हैं. लेकिन न तो कोई अधिकारी ध्यान देता है औऱ ना ही किसी नेता का ध्यान इस तरफ जाता है. स्थानीय ग्रामीण चुन्नू प्रसाद, हरिहर यादव, राजू खरवार, लक्ष्मी गुप्ता ने बताया की जब जब चुनाव आता है तब नेता वादा करते हैं और फ़िर चुनाव बीत जाने के बाद कोई हाल जानने तक नही आता है. ग्रामीणों व दैनिक यात्रियों ने बताया कि गण्डक नदी के समीप इस सिसवा घाट के रास्ते सिसवा, बरवा, कठहा, धनहा, घघवा रूपहि, खैरवा, संतपट्टी सहित दर्जनों गांव के लोग इसी रास्ते आते जाते हैं.
बच्चे इसी पुल से होकर जाते हैं स्कूलः इसी चचरी पुल के रास्ते सैकड़ो बच्चों का स्कूल आना जाना भी होता है. दर्जनों गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण के लिए उत्तर प्रदेश में चचरी पुल के सहारे जाते हैं. इस चचरी पुल से हमेशा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. ग्रामीणों के मुताबिक हर साल बरसात में अधिक पानी होने के कारण चचरी पुल बह जाता है. उसके बाद ग्रामीण एवं बच्चे नाव के सहारे आते जाते हैं. इसी क्रम में पिछले वर्ष बच्चों से भरी नाव पलट गई थी. बाढ़ व बरसात के बाद ग्रामीणों द्वारा चचरी पुल पुनः तैयार कर आवाजाही किया जाता है. इस पुल से होकर बाइक भी गुजरती है.
