सिवान नगर परिषद सभापति सिंधु सिंह बर्खास्त, करोड़ों की हेराफेरी का आरोप

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Published : Nov 30, 2021, 10:23 PM IST

सिवान नगर परिषद सिंधु सिंह बर्खास्त

सिवान नगर परिषद सभापति सिंधु सिंह (Sindhu Singh) को नगर विकास एवं आवास विभाग ने बर्खास्त कर दिया. उन पर करोड़ों की हेरा फेरी कर भ्रष्टाचार का आरोप है. पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर (Former Minister Vikram Kunwar) के लिखित शिकायत दिए जाने के बाद विभाग द्वारा ये कार्रवाई की है.

सिवान: बिहार सरकार (Bihar Government) के नगर विकास एवं आवास विभाग (Urban Development and Housing Department) ने सिवान नगर परिषद सभापति सिंधु सिंह को बर्खास्त (Siwan Municipal Council Chairman Sindhu Singh) कर दिया है. विभाग द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी गई. पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर के द्वारा लिखित शिकायत दिए जाने के बाद विभाग द्वारा ये कार्रवाई की गई है.

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दरअसल, पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर ने नगर सभापति सिंधु सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप (Sindhu Singh accused of corruption) लगाते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग और सिवान जिलाधिकारी को शिकायत की थी. जिसके बाद जिलाधिकारी द्वारा इसकी जांच कराई गई और मामलें में स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन सिंधु सिंह ने जो स्पष्टीकरण दिया, उससे विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया गया.

सिंधु सिंह पर आरोप है कि उन्होंने सिवान नगर परिषद के मुख्य पार्षद पद पर रहते हुए 27 जून 2017 को अस्पताल मोड़ से तरवारा मोड़ तक सड़क का 5 फीट चौड़ीकरण 49 लाख 91 हजार 500 रुपए की लागत से कार्य योजना का इकरारनामा किया और पार्षद रहते हुए इस कार्य को कराया. इस योजना में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की जांच कार्य के पहले और बाद में भी नहीं कराई गई. कार्यादेश के अनुसार 26 सितंबर 2017 को कार्य पूर्ण होने वाला था, जिसमें पद का दुरुपयोग करते हुए 20 फरवरी 2018 को पूर्ण किया गया और बिना समय विस्तार कराए और बिना 10% की राशि की कटौती किए हुए 5 किस्तों में पेमेंट का भुगतान किया गया.

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वहीं, कूड़ा निस्तारण के नाम पर सरकार के निर्देशों से हटकर बिना सक्षम अधिकारी से आदेश प्राप्त किये 4 करोड़ 3 हजार 785 रुपये जमीन क्रय के नाम पर खर्च किए गए. नगर परिषद सिवान को आम बैठक से 50 लाख की खरीदारी की प्रशासनिक स्वीकृति की शक्ति प्राप्त है. इतनी बड़ी राशि खरीद के लिए पूर्व में सक्षम प्राधिकार से स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई. क्रय की गई जमीन पर नगर परिषद अपना कब्जा नहीं कर पा रहा है. निजी भूमि की खरीदारी ग्रामीणों के विरोध के बावजूद भी स्वार्थ पूर्ति के लिए किया गया और जमीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है.

विभाग द्वारा जारी चिट्ठी में लिखा गया है कि मुख्य पार्षद नगर परिषद की सिंधु सिंह के द्वारा इस संबंध में स्पष्टीकरण समर्पित किया गया, जिसे स्वीकार योग्य नहीं पाया गया. स्पष्ट है कि इन्होंने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में भ्रष्टाचार किया है, इसलिए बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (5) में चिन्हित प्रधान के आलोक में नगर सभापति सिंधु सिंह को उनके पद से बर्खास्त किया जाता है.

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