बिहार के इस मंदिर के तोतों पर नहीं डालता कोई बुरी नजर, साथ ले जाने पर आती है विपदा

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Published : Sep 28, 2021, 1:58 PM IST

Parrots nest in Sindhwas temple

बिहार के शेखपुरा में एक ऐसा मंदिर है जहां तोतों का बसेरा है. लेकिन तोतों को अपने साथ ले जाना मना है. इतना ही नहीं अगर कोई तोता लेकर अपने घर चला गया तो तोते की मौत हो जाती है. साथ ही उस व्यक्ति के घर में भी विपदा आना तय माना जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा के सदर प्रखंड के सिंधवास मंदिर (Sindhwas Temple) को देखने लोग दूर दूर से आते हैं. मंदिर की अपनी महिमा है. इसकी मान्यताओं के कारण इसकी ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है. सिंधवास मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती है. साथ ही यहां हनुमान जी की भी आराधना की जाती है. लेकिन मंदिर में सैंकड़ों तोतों का वास (Parrots Nest In Sindhwas Temple) करना इसे और भी खास बनता है.

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कुसुम्भा पंचायत अंतर्गत बांकरपुर बांक गांव में यह सिंधवास मन्दिर है. सिंधवास मन्दिर, जिसको महतो मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर परिसर में लगभग 500 तोतों का बसेरा है, जो वर्षों से इस मंदिर में रहते आ रहे हैं. हैरत वाली बात ये है कि मंदिर के आस-पास कोई बाग-बगीचा भी उपलब्ध नहीं है.

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ग्रामीणों के अनुसार इन तोतों को कोई हाथ तक नहीं लगाता है.अगर तोतों को पालने के उद्देश्य से कोई घर ले जाता है तो दो से तीन दिन में उस तोते की मृत्यु हो जाती है एवं उस घर मे अनिष्ट होने की आशंका बनी रहती है.

इस ऐतिहासिक मन्दिर के बाबत बांक निवासियों का कहना है कि इस ऐतिहासिक मन्दिर का निर्माण सिंध से आये कुर्मी-पटेल समाज के पूर्वजों ने किया था. लोगों का कहना है कि मंदिर निर्माण कब हुआ, इसकी जानकारी हमारे पूर्वजों को भी नहीं थी. इसलिए हम लोग इसके निर्माण तिथि से अनभिज्ञ है. इस मंदिर में हमारे पूर्वजों द्वारा ही यहां के पिंड को पूजा जा रहा है.

मन्दिर की देखरेख महतो बाबा किया करते थे. ये हनुमान जी के भक्त थे. महतो बाबा ने मन्दिर परिसर में हनुमान मंदिर भी बनवाया था और गांव में समाधि ली थी. समय के अनुसार इस गांव के बहुत से परिवार अन्य राज्यों में भी जाकर बस गए, किन्तु गांव से बाहर रहने के बावजूद शादी-ब्याह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य करने से पहले गांव आकर सिंधवास मंदिर में अपने कुलदेवता की पूजा करते हैं एवं इनके द्वारा मन्दिर परिसर में भंडारे का भी आयोजन किया जाता है.

इस गांव की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है. जिसकी वजह से लोग यहां मंदिर में शादी-ब्याह व मुंडन संस्कार कराने दूर-दूर से आते हैं. मंदिर में आये आगंतुक मन्दिर परिसर में रहने वाले तोतों को देखकर काफी आश्चर्यचकित होते हैं. गांवों वालों का मानना है कि सिंधवास बाबा की कृपा से आज तक इस गांव में कोई विपदा नहीं आयी है.

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