छपरा : नगर निगम मार्केट के 65 दुकानों को तोड़ने का जिला प्रशासन ने दिया नोटिस

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Published : Sep 9, 2021, 11:38 PM IST

छपरा में 65 दुकानों को तोड़ने का जिला प्रशासन ने दिया नोटिस

छपरा में जलजमाव की समस्या से निजात पाने को लेकर जिला प्रशासन ने एनजीटी के निर्देश पर नगर निगम मार्केट में बनी 65 दुकानों को तोड़ने का नोटिस दे दिया है. जिसको लेकर स्थानीय दुकानदारो में हड़कंप मच गया है.

सारण ( छपरा) : बिहार के छपरा (Chapra) में इन दिनों एनजीटी (NGT) के निर्देश पर खनुआ नाला पर बनी दुकानों को तोड़ने का आदेश जिला प्रशासन के द्वारा दिया गया है. जिला प्रशासन लगातार खनुआ नाला बने दुकानों पर लगातार बुलडोजर चला कर ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है. पहले चरण में दो दुकानों को हटाया गया था उसके बाद दूसरे चरण में 20 दुकानों को तोड़ दिया गया. इस प्रकार अभी तक 22 दुकानों को जिला प्रशासन ने तोड़ दिया है. जिला प्रशासन के फैसले से स्थानीय दुकानदारों में नाराजगी है.

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वहीं इसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय से सटे नगर निगम मार्केट में बनी 65 दुकानों को 13 सितंबर तक खाली करने का नोटिस जारी किया गया है. जिसको लेकर स्थानीय दुकानदारो में हड़कंप मचा हुआ है. इन दुकानदारों ने अपना सामान जल्द से जल्द हटाना शुरू कर दिया है. इस प्रकार एक तरफ जहां खनुआ नाला पर से दुकानें हटाने की प्रक्रिया शुरु हो गयी है. वहीं इससे बहुत हद तक शहर में जल जमाव की समस्या का खत्म हो जाने की उम्मीद है. लेकिन इन उम्मीदों से बढ़ कर यहां के दुकानदारों के सामने बेरोजगारी की समस्या भी मुंह बाए खड़ी है.

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वहीं शहर के ह्र्दय स्थली में स्थित यह मार्केट कल की तारीख में मलवे के ढेर में तब्दील हो जायेगा. जिससे कई लोगों के सामने रोजी- रोटी और निवाले का भी संकट खड़ा हो गया है. वहीं इन दुकानदारों को कहीं पुनर्वास करने की दिशा में भी जिला प्रशासन और राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए. लेकिन इनकी ओर कोई भी देखने को तैयार नहीं है. वही छपरा में अपने सरकारी दौरे पर आए उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद के सामने ईटीवी भारत ने प्रमुखता से रखा था. उपमुख्यमंत्री ने आश्वासन भी दिया था की विस्थापित दुकानदारों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.

बता दें कि छपरा में टोडरमल के समय में शहर के मध्य में सामान को लाने ले जाने वाले एक नहर का निर्माण किया गया था. जिसमें नाव चला करता था. परिवहन का एक साधन भी था. समय के साथ साथ यह नहर एक गंदे नाले में तबदील हो गया. उसके बाद जिला प्रशासन ने वर्ष 1995 में इस नाले पर 286 दुकानों का निर्माण करा कर लोगों को अलॉट कर दिया. उसके बाद इस नाले का प्रवाह अवरुद्ध हो गया. शहर में भीषण जल जमाव की समस्या होने लगी.

उसके बाद स्थानीय लोगों ने कोर्ट कचहरी की शरण ली. उसके बाद एनजीटी का आदेश आया कि खनुआ नाले को उसके वास्तविक स्वरूप में लाया जाए. जिसके बाद ये कार्रवाई की जा रही हैं. लेकिन शहर की साफ सफाई के नाम पर तो यह ठीक है. लेकिन पुननिर्माण में जो दुकानदार विस्थापित हुए हैं. वे अतिक्रमण कर के वहां स्थापित नहीं हुए हैं, उन्हें बकायदा अलॉट किया गया हैं लेकिन इन दुकानदारों के सामने बसने और उजड़ने की बारी एक बार फिर आ गयी है.

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