पूर्व सांसद आनंद मोहन को राहत, आचार संहिता उल्लंघन के 31 साल पुराने मामले में बरी

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Published : Jul 27, 2022, 6:40 PM IST

पूर्व सांसद आनंद मोहन

पूर्व सांसद आनंद मोहन को 31 साल पुराने आचार संहिता उल्लंधन के मामले (Ex MP Anand Mohan got Relief) में कोर्ट ने बरी कर दिया है. 1991 के मामले की सुनवाई सहरसा में एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट के एडीजे थ्री विकास कुमार सिंह के न्यायालय में मामला चल रहा था. पढ़ें पूरी खबर..

सहरसाः 31 पुराने आचार संहित उल्लंधन के मामले में कोर्ट ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को सबूत के अभाव में बाइज्जत बरी कर (Relief In 31 year old case of violation of code of conduct ) दिया है. सहरसा में एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट के एडीजे-3 विकास कुमार सिंह की ओर से 431/2003 मामले की सुनवाई की जा रही थी. लोकसभा उपचुनाव के दौरान 1991 में दर्ज मुकदमें में अभियोजन पक्ष की ओर से आरोप साबित नहीं किये जाने और मामले में सबूत नहीं होने के कारण पूर्व सांसद आनंद मोहन को कोर्ट ने बुधवार बरी कर दिया. जेल से आने के बाद आनंद मोहन ने कोर्ट के प्रति आभार व्यक्त किया. वहीं आनंद मोहन के समर्थकों की ओर खुशी में मिठाईयां बांटी जा रही है.

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"एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट ने 31 साल पुराने मामले में कोर्ट की ओर से बरी किया गया है. लोक सभा के समय दर्ज मामले में सबूत के आभाव में बरी कर दिया है. वहीं गोापलगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा पूरा करने के बाद मुझे रिहा नहीं किया गया था. डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में मैं पूरी तरह से निर्दोष हूं. यह बात बिहार का बच्चा-बच्चा और राज्य के तमाम राजनीतिक दलों के नेता जानते हैं. जल्द ही सभी आरोपों से बरी हो जाउंगा. "- आनंद मोहन, पूर्व सांसद

अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो सूरज को उगने से नहीं रोका नहीं जा सकता हैः अपनी रिहाई के बाद पूर्व सासंद आनंद मोहन ने कहा कि गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा पूरी होने के बाद भी 14 वर्षों से अधिक समय से जेल में हूं. इसके बाद भी निराश नहीं हूं. क्योंकि हम जानते हैं अंधेरा चाहे कितना भी घना क्यों नहीं हो सूरज को उगने से कोई नहीं रोक सकता है. रात की औकात नहीं है कि वो सुबह होने से रोक दे. इसलिए हम इन बातों से घबराते नहीं हैं. हो सकता है नियति हमारे लिए बड़ी भूमिका तय की हो. इसलिए हम निराश नहीं हैं.

क्या है डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड? मुजफ्फरपुर जिले में 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी. इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. बताया जाता है कि तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज वापस जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया. मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई. इस घटना उन दिनों काफी सुर्खियों में रहा था. हादसे के समय जी. कृष्णैया की आयु 35 साल के करीब था.

मौत की सजा पाने वाले पहले पूर्व विधायक और सांसद हैं आनंद मोहनः इस मामले में आनंद मोहन को जेल गये थे. निचली अदालत ने 2007 में उन्हें मौत की सजा सुना दी. बताया जाता है कि आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हुए, जिन्हें मौत की सजा मिली थी. हालांकि, दिसंबर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनके मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. डीएम हत्याकांड में वे सजा पहले ही पूरी कर चुके हैं.

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