आनंद मोहन पैरोल पर रिहा, जेल से बाहर आने के बाद पढ़ी गीता की पंक्तियां

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Published : Nov 4, 2022, 2:23 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 4:50 PM IST

आनंद मोहन पैरोल पर रिहा

पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan in Saharsa Jail) को 15 दिनों की पैरोल मिली है. आनंद मोहन पहले ही निकलने वाले थे लेकिन अदालती कार्य पूरा नहीं हो पाया था. आज दोपहर सहरसा जेल से बाहर निकले हैं. पढ़ें पूरी खबर

सहरसा: बिहार के गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन पैरोल (Anand Mohn got parole) पर शुक्रवार को 15 दिनों के लिए बाहर (anand mohan release on parole) आ गए है. आनंद मोहन के जेल से बाहर आने की खबर के बाद बड़ी संख्या में समर्थक जुटे थे. जेल से बाहर आने के बाद उन्‍होंने गीता की कुछ पंक्तियां सुनाई. उन्होंने कहा कि 'जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा होगा.'

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''शुभ काम के लिए जेल से बाहर आए हैं. प्रायोजन क्या है ये आपको पता है. सबको आजादी अच्छी लगती है. जितने दिन बाहर रहूंगा समर्थकों और सभी अपील है कि मेरा साथ दें. ये अस्थाई मुक्ति है. इसमें बहुत कुछ बंधा हुआ है.'' - आनंद मोहन, पूर्व सांसद

2007 से ही सहरसा मंडल कारा में बंद थे: पूर्व सांसद आनंद मोहन वर्ष 2007 से ही सहरसा मंडल कारा में बंद थे. लगभग पंद्रह साल से जेल में बंद आनंद मोहन को पहली बार पैरोल मिली है. आनंद मोहन ने पैरोल पर रिहाई के लिए अर्जी दी थी. बताया था कि वे अपनी बेटी की सगाई में शामिल होना चाहते हैं और बूढ़ी मां को देखना चाहते हैं. वहीं कयास ये भी लगाए गए जा रहे हैं कि विपक्ष के सवालों से बचने के लिए उपचुनाव से ठीक एक दिन पहले उन्हें छोड़ना सरकार ने सही नहीं समझा, जिसकी वजह से ये देरी हुई थी.

क्या है डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड? : मुजफ्फरपुर जिले में 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी. इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. बताया जाता है कि तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज वापस जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया. मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई. ये घटना उन दिनों काफी सुर्खियों में रही थी. हादसे के समय जी. कृष्णैया की आयु 35 साल के करीब थी.

मौत की सजा पाने वाले पहले सांसद हैं आनंद मोहनः इस मामले में निचली अदालत ने 2007 में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी. बताया जाता है कि आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हुए, जिन्हें मौत की सजा मिली थी. हालांकि, दिसंबर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनके मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. डीएम हत्याकांड में वे सजा पहले ही पूरी कर चुके हैं. इसके अलावा आचार संहिता उल्लंघन के 31 साल पुराने मामले में भी वह पहले ही बरी हो चुके हैं.

Last Updated :Nov 4, 2022, 4:50 PM IST
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