क्या है दुर्गावती जलाशय परियोजना, जिसका पीएम मोदी ने किया जिक्र

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Published : Oct 23, 2020, 12:35 PM IST

पीएम मोदी

इस परियोजना को राज्य सरकार ने 1961 में मंजूरी दी थी. हालांकि, इस पर काम अगले 15 सालों तक शुरू नहीं हो सका. 1976 में काम शुरू तो हुआ, लेकिन रफ्तार काफी सुस्त रही. इस वजह से 28 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति वाली इस परियोजना को पूरा करने में राज्य सरकार को 800 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि खर्च करना पड़ा.

सासाराम: दुर्गावती जलाशय परियोजना एक ऐसी आग है जिस पर 45 सालों से राजनीति की रोटी सेंकी जा रही है. 1975 में सासाराम के तत्कालीन सांसद सह केन्द्रीय मंत्री बाबू जगजीवन राम ने दुर्गावती जलाशय परियोजना का तानाबाना बुना था. कैमूर के करमचट में जलाशय और दोनों तरफ नहरों के निर्माण की आधारशिला रखी.

हर चुनाव में दुर्गावती जलाशय परियोजना चुनावी मुद्दा रही. निर्माण पूरा कराने का सभी दल के नेताओं ने वादा किया. किसी ने बाबूजी का सपना बताकर पूरा कराने की बात कही तो किसी ने परियोजना में आई बाधाओं को दूर कराकर काम शुरू कराने का दावा किया. आज एक बार फिर पीएम मोदी ने सासाराम की चुनावी रैली में मंच से दुर्गावती जलाशय परियोजना का जिक्र किया. आइये जानते है कि आखिर क्या है ये परियोजना, जिसे किसान चुनाव बीत जाने के बाद परियोजना पूरी होने की बाट जोहते रहते है.

क्या है दुर्गावती जलाशय परियोजना
इस परियोजना से राज्य में करीब 33 हजार हेक्टेयर खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा. इस परियोजना को राज्य सरकार ने 1961 में मंजूरी दी थी. हालांकि, इस पर काम अगले 15 सालों तक शुरू नहीं हो सका. 1976 में काम शुरू तो हुआ, लेकिन रफ्तार काफी सुस्त रही. इस वजह से 28 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति वाली इस परियोजना को पूरा करने में राज्य सरकार को 800 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि खर्च करना पड़ा है.

हालांकि, सूखे की वजह से इसमें बीच में थोड़ी रुकावट जरूर सामने आई. हमने अगस्त में ही इसके उद्घाटन का फैसला लिया था, लेकिन उस वक्त सूखे की वजह से जलाशय में पानी का स्तर काफी कम था. हालांकि, अब यह परियोजना शुरू होने के लिए पूरी तरह तैयार है.

2020-21 के अंत तक पूरी होगी योजना : संजय झा
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इसी साल बजटीय मांग पर चर्चा के दौरान कहा था कि, रोहतास और कैमूर जिला की 'दुर्गावती जलाशय परियोजना' 2020-21 के अंत तक पूरी हो जाएगी. उन्होंने कहा था कि, दुर्गावती जलाशय परियोजना की परिकल्पित सिंचाई क्षमता 39610 हेक्टेयर है.

दरअसल, इस परियोजना की आधारशिला 1976 में पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम द्वारा रखी गई थी लेकिन विभिन्न कारणों से यह अधर में लटकी रही और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर इस मृतप्राय परियोजना को पुनर्जीवित किया गया. इस परियोजना से राज्य सरकार को करीब 33,000 हेक्टेयर के इलाके में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. इससे सबसे ज्यादा फायदा राज्य के अरवल, कैमूर, रोहतास और औरंगाबाद जिलों को मिलेगा.

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क्या है व्यवस्था और क्षमता

  • जलाशय की पूर्ण क्षमता : 2,32000 एकड़ फूट
  • डेड स्टोरेज : 109 मीटर
  • बाये नहर के लिए फाटक का तल : 115 मीटर
  • जलाशय में पूरा पानी भरने का तल: 128.6 मीटर
  • नदी के द्वारा सिंचाई के लिए गेट : 109 मीटर
  • जलाशय में पानी का तल (वर्तमान): 117.5 मीटर
  • वर्तमान में जलाशय की क्षमता : 60 हजार एकड़ फुट
  • 115 मीटर पर जलाशय में पानी कुदरा बीयर : 48 हजार एकड़ फुट पानी
  • 11715-115 - 2.5 मीटर : 12 हजार फुट पानी
  • कुदरा बीयर से सिंचाई : 40 हजार एकड़
  • दुर्गावती जलाशय की नहरों से सिंचाई (बांया एवं दायां ) 50 हजार एकड़ में सिंचाई होगी

किसानों को साल भर सिंचाई की सुविधा मिलेगी
बता दें कि इन इलाकों को बिहार के धान के कटोरे के रूप में विख्यात हैं. इस परियोजना के चालू हो जाने से इन जिलों में किसानों को साल भर सिंचाई की सुविधा मिलेगी. इससे हमें राज्य की कृषि पैदावार में जबरदस्त इजाफे की उम्मीद है. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अब तक इन जिलों में औसतन 30-45 दिनों तक ही सिंचाई की सुविधा मिल पाती थी. हालांकि, इस परियोजना के चालू होने से इन जिलों में अब किसानों को रबी के मौसम में कम से कम 60 दिन और खरीफ के मौसम में 90 दिनों तक की सिंचाई की सुविधा मिल पाएगी.

जल संसाधन विभाग के मुताबिक, गंगा वाटर लाइफ स्कीम के तहत मानसून के चार महीनों में गंगा जल को लिफ्ट कर उसे जलशोधन संयंत्रों में शोधित कर पीने के लायक बनाया जाएगा और इस पेयजल को पाइपलाइन के जरिए घर घर तक पहुंचाया जाएगा. इसके प्रथम चरण को अगले साल जून तक पूरा कर लिया जाएगा.

प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 135 लीटर जल की होगी उपलब्धता
इस योजना के तहत पर्यटक स्थलों राजगीर, बोधगया और गया शहरों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 135 लीटर जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2001 में राज्य में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1594 क्यूबिक मीटर थी जो असामान्य वर्षा के कारण 2025 में घटकर 1006 क्यूबिक मीटर व 2050 तक 635 क्यूबिक मीटर हो जाने की संभावना है.

साथ ही, पितरों के मोक्ष की धरती गया में प्रत्येक साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने के मद्देनजर विष्णुपद मंदिर परिसर में पूर्वजों के पिंडदान के लिए फल्गु नदी में हमेशा कम से कम दो फीट पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की योजना पर काम जारी है.

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