रोहतास में छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य, छठ व्रतियों ने की सुख-शांति और समृद्धि की कामना

रोहतास में छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य, छठ व्रतियों ने की सुख-शांति और समृद्धि की कामना
Chhath Puja 2023: रोहतास जिले में भी छठ पूजा धूमधाम से संपन्न हो गई. छठ पूजा को लेकर चारों ओर भक्तिभाव का माहौल भरा हुआ था. इस दौरान छठ व्रतियों ने पूरे राज्य और अपने घर परिवार की सुख और शांति की कामना की.
रोहतास: बिहार के रोहतास में चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही सम्पन्न हो गया. इसको लेकर जिले के डेहरी सोन नदी स्थित इमलिया घाट, पॉलिटेक्निक घाट, हनुमान घाट, स्पाइसी घाट, शिवगंज घाट, एकलव्य घाट समेत विभिन्न घाटों पर छठ व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और छठी मैया की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की.
छठ घाटों पर मुस्तैद रही पुलिस: वहीं इस मौके पर आर्थिक अपराध इकाई के एसपी सुशील कुमार ने भी सपरिवार उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया. छठ पूजा को लेकर पुलिस प्रशासन छठ घाटों पर मुस्तैद नजर आई. छठ पूजा के अंतिम दिन भी विधि-व्यवस्था कायम रहे इसका खास ख्याल रखा गया. इसको लेकर सोन नदी सहित सोन नहर में एसडीआरएफ की दो टीमें पेट्रोलिंग करती दिखी.
सुरक्षा को लेकर घाटों पर कड़े इंतजाम: इस दौरान जिले के सभी छठ घाटों पर गोताखोरों को भी तैनात किया गया था. घाट पर कंट्रोल रूम भी बनाए गए थे, जिसकी मॉनिटरिंग खुद सीओ अनामिका कुमारी कर रही थीं. वहीं डालमियानगर थानाध्यक्ष खुशी राज व डेहरी नगर थानाध्यक्ष राजीव रंजन भी विभिन्न छठ घाट का जायजा लेते देखे गए.
छठ करने से संतान सुख की प्राप्ति: मान्यता है कि छठ पूजा संतान सुख और घर में सुख समृद्धी के लिए किया जाता है. इस महाअनुष्ठान को करने से छठी मैया निसंतान दंपतियों को संतान का वरदान देती हैं, वहीं जिनकी संतान है उनके दीर्घायु होने का आशिर्वाद देती हैं. इस व्रत को पूरे नियम के साथ किया जाता है.
चार दिनों के महापर्व का समापन: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ शुरू होता है, जिसमें पहले दिन दाल, चावल और कद्दू की सब्जी का भोग लगता है. उसके दूसरे दिन खरना होता है जिसमें साठी चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाया जाता है. छठ व्रतियों के द्वारा इस प्रसाद को ग्रहण किया जाता हैं. खरना के बाद छठ व्रतियों के द्वारा 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है. और फिर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य अपर्ण के साथ महापर्व की समाप्ति हो जाती है.
"लोक आस्था का महापर्व बिहार में बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं. पूरे राज्य में शांति और भाईचारा बना रहे, यही हमारी कामना है." - मधुबाला, छठ व्रती
