बिहार के घूसखोर साल 2022 को कभी नहीं रखना चाहेंगे याद, संपति और पद दोनों गए

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Published : Dec 29, 2022, 6:03 AM IST

2022 not good for bribe taking officers in bihar

साल 2022 को बिहार के रिश्वतखोर खासकर सरकारी बाबू कभी भी याद रखना नहीं चाहेंगे. सरकार ने इस साल कई करेप्टेड अधिकारियों पर शिकंजा कसा. 2021 की तुलना में 2022 में यह संख्या ज्यादा रही. पढ़िए भ्रष्ट अधिकारियों का गुजरने वाला साल कैसा था.. (year ender 2022 )

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास

पटना: राज्य में भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में वर्ष 2022 को खासतौर से याद किया जायेगा. इस बार घूस लेते रंगे हाथ, आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले और अन्य मामलों में 67 भ्रष्ट लोकसेवकों को पकड़ा गया. यह पिछले वर्ष की संख्या 57 लोकसेवकों के मुकाबले 10 अधिक है. (2022 not good for bribe taking officers in bihar) (2022 of bribery officials in Bihar)

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अच्छा नहीं रहा घूसखोरों का साल 2022 : इसमें ट्रैप कांड में 48, आय से अधिक संपत्ति मामले में 15, पद के भ्रष्ट दुरुपयोग मामले में तीन और अन्य कांड में पकड़े गये एक लोकसेवक शामिल हैं. ट्रैप कांड में तीन वारंटी समेत 62 कर्मियों की गिरफ्तारी की गयी है. इस बार ट्रैप कांड में 31 लाख 59 हजार रुपये पकड़े गये. सबसे ज्यादा 80 लोकसेवकों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किये गये हैं. वहीं, पिछले 54 लाख 50 हजार रुपये ट्रैप कांड में पकड़े गये थे और 53 के खिलाफ ही आरोप-पत्र दायर हो पाया था. इस वर्ष निगरानी ने आय से अधिक संपत्ति मामले में धनाढ्य लोक सेवकों को अधिक दबोचा है. 15 में 12 लोकसेवकों की अवैध संपत्ति करोड़ों में है. (Vigilance Department bihar ) (Charge sheet against 80 public servants in Bihar)

क्लर्क और बड़ा बाबू भी नपे : घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गये 48 लोकसेवकों में 10 पुलिस महकमा में दारोगा से लेकर सिपाही तक के कर्मी शामिल हैं. जबकि दो मुखिया और आठ राजस्व विभाग में सीओ समेत अन्य पदाधिकारी हैं. इस बार सबसे ज्यादा घूस लेते एक दर्जन से ज्यादा विभिन्न सरकारी कार्यालयों में तैनात क्लर्क या बड़ा बाबू पकड़े गये. विभिन्न कार्य विभागों और बिजली के अलावा अन्य विभागों के इंजीनियर और उसके सहायोगियों को भी घूस लेते गिरफ्तार किया गया है.

80 लोकसेवकों के विरुद्ध चार्जशीट: निगरानी ब्यूरो ने इस बार 80 लोकसेवकों के विरुद्ध चार्जशीट भी दायर की है. यानी इन लोगों को कोर्ट से सजा दिलाने के लिए इनके खिलाफ जांच पूरी कर कार्रवाई की गति तेज की है. डीए केस में जिन लोकसेवकों के खिलाफ अकूत अवैध संपत्ति मिली है, उसमें इंजीनियरों की संख्या सबसे ज्यादा है. भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार के खिलाफ सबसे ज्यादा 2.61 करोड़ रुपये का डीए केस किया गया.

इंजीनियरों के पास अकूत संपति: इसके अलावा मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी संतोष कुमार के खिलाफ 2.42 करोड़, जिला परिषद छपरा के कनीय अभियंता शंभूनाथ सिंह पर 1.96 करोड़, पटना-5 के औषधि निरीक्षक जितेंद्र कुमार पर 1.59 करोड़, पूर्णिया नगर निगम के कनीय अभियंता शिव शंकर सिंह पर 1.21 करोड़, पूर्वी चंपारण के जिला अवर निबंधक बृज बिहारी शरण पर 1.29 करोड़, बेतिया सदर के सीओ श्यामाकांत प्रसाद पर 1.17 करोड़, सुपौल वन प्रमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार शरण पर 1.22 करोड़, मोतिहारी में भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता मधुकांत मंडल पर 1.09 करोड़ का डीए केस दर्ज किया गया है.

अवैध खनन में शामिल कर्मियों पर सबसे ज्यादा कार्रवाई: वर्ष 2022 में बालू के अवैध खनन करने वालों माफियाओं और इन्हें संरक्षण देने वाले लोकसेवकों के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में 10 मुकदमे हुए. इसमें नौ मामले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ हुए. जिन्होंने अवैध तरीके से अकूत संपत्ति जमा कर ली थी. अवैध बालू खनन मामले में 23 पुलिस एवं प्रशासनिक पदाधिकारी पर डीए केस दर्ज किये गये, जिसमें 10 मामले 2022 में और शेष मामले 2021 में दर्ज किये गये हैं. इसके अलावा ईओयू ने 13 कुख्यात अपराधियों की 13.23 करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त कर ली है.

सुलझाए गये जटिल केस : इस बार ईओयू ने बीपीएससी पेपर लीक मामले का खुलासा करके बेहद अहम उपलब्धि हासिल की है. 17 अभियुक्त गिरफ्तार किये गये हैं, जिसमें तीन राजपत्रित पदाधिकारी शामिल हैं. इस केस का इतनी जल्दी खुलासा करके ईओयू ने नजीर पेश की है. ईओयू ने बीबोस (बिहार बोर्ड ऑफ ओपन स्कूलिंग एंड एक्जामिनेशन) में चल रहे फर्जी डिग्री मामले को भी उजागर किया है.

एसवीयू ने आईपीएस के खिलाफ दर्ज किये मामले: विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने दो आईपीएस गया के तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा और वहीं के तत्कालीन एसपी आदित्य कुमार के खिलाफ पद के भ्रष्ट दुरुपयोग और अवैध आय से संबंधित मामला दर्ज किया है. आईपीएस आदित्य कुमार के ठिकानों पर सर्च भी की गयी. इसके अलावा आधा दर्जन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ भी इकाई ने डीए केस में मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। इसमें तिरहुत प्रमंडल (मुजफ्फरपुर) के एआईजी निबंधक प्रशांत कुमार के खिलाफ दो करोड़ छह लाख रुपये का डीए केस दर्ज कर कार्रवाई की गयी.

'जीरो टॉलरेंस नीति के तहत काम': बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो बिहार सरकार के निर्देश पर बिहार पुलिस मुख्यालय विशेष निगरानी विभाग, निगरानी विभाग और बिहार की आर्थिक अपराध इकाई जांच एजेंसी जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रही है. जो भी भ्रष्ट अधिकारी चाहे वह किसी भी विभाग के हो अगर गलत करते पकड़े जाएंगे तो उन पर कार्रवाई की जाएगी जिसके तहत ही साल 2021 की तुलना में साल 2022 में अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है.

"भ्रष्ट अधिकारियों पर लगातार विभाग के साथ-साथ तीनों जांच एजेंसियां अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. साल 2022 में कई वरिष्ठ अधिकारी के साथ-साथ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर भी कार्रवाई की गई है. गलत करते हुए पकड़े जाएंगे तो चाहे वह छोटे कर्मचारी हो या बड़े अधिकारी किसी को बख्शा नहीं जाएगा."- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय

बिहार में लगातार भ्रष्ट अधिकारियों पर हो रही कार्रवाई को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि लोकसेवकों मैं नैतिकता खत्म हो चुकी है. इसके अलावा भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर उचित कार्रवाई नहीं होने के कारण उनका मनोबल बढ़ा रहता है.

"दूसरे अधिकारी भी भ्रष्टाचार में संलिप्त रहते हैं. अगर भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी तो दूसरे अधिकारी गलत करने से पहले 10 बार सोचेंगे. लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार के मामले में कड़ी कार्रवाई करने की अति आवश्यकता है."- अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी

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