गौ रक्षा हमारा परम धर्म: गीर गाय की सेवा के लिए शुरू की नायाब पहल, मेंबरशिप लेने वालों को दूध-घी फ्री

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Published : Jan 22, 2022, 10:54 PM IST

गौ सेवा की मिसाल

हिंदू धर्म के अनुसार गौ सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है. गाय को पालने से घर में शांति मिलती है. साथ ही भगवान श्री कृष्ण और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. गाय को संपूर्ण देवताओं से संबंध रखने वाली कहा गया है. पटना के रहने वाले विनोद सिंह एक ऐसे ही शख्स हैं, जो गौ सेवा की मिसाल (Gau Sewa in Patna) पेश कर रहे हैं. उनकी गौशाला में जितनी भी गायें और बछड़े हैं, उन सभी से इनका आत्मीय लगाव है.

पटना: वेद में दूध की तुलना अमृत से की गई है लेकिन आज की तारीख में लोगों को शुद्ध दूध मिलना मुश्किल हो गया है. लोग दूध तो पी रहे हैं लेकिन उसमें शुद्धता का अभाव है. ऐसे में राजधानी पटना के एक शख्स विनोद सिंह ने एक शानदार पहल की है. जिसके तहत उन्होंने न केवल गाय बचाने का बीड़ा उठाया है, बल्कि लोगों के लिए शुद्ध दूध और घी भी उपलब्ध कराते हैं. राजधानी पटना के बिहटा-सरमेरा पथ पर बिशनपुरा गांव में 55 बीघे के परिसर में गौशाला आज राजधानी पटना वासियों के लिए आकर्षण का केंद्र है. गौशाला में आकर लोगों को दैवीय अनुभूति होती है. ऑक्सीजन गौशाला के नाम से प्रचलित फार्म में डेढ़ सौ से ज्यादा गीर गाय की गौशाला (Gir Cow Shed) हैं.

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तीन साल पहले विनोद सिंह के मन में गाय को बचाने की परिकल्पना आई और गौशाला स्थापित करने का फैसला लिया. वे इन गायों की तो सेवा करते ही हैं, साथ ही साथ बछड़ों को भी उतना ही तवज्जो देते हैं. वे कहते हैं कि गौशाला में 53 बछड़े हैं, जिनसे इनका आत्मिक लगाव है. विनोद सिंह का कहना है कि बछड़े भले भले ही दूध नहीं देते हैं लेकिन यह बड़े होकर नंदी बनेंगे और कृषि कार्य में सहयोगी होंगे.

विश्व के कई देशों में दूध को दो कैटेगरी में बांटा गया है. यूरोप के देशों में दूध को A1 और A2 में वर्गीकृत किया जाता है. यूरोपीय देशों में दूध को सीधे उपयोग में नहीं लाया जाता है, क्योंकि इससे आगे चलकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आती हैं. वहीं भारत में अब तक दूध का कोई मानककरण नहीं है. ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यूरोपीय देशों में दूध को 2 कैटेगरी में बांटा गया है. भारतीय नस्ल की गाय A2 दूध देती है, जो पूरे तौर पर स्वास्थ्यवर्धक है और खास तौर पर गीर गाय का दूध तो अद्वितीय है.

ऑक्सीजन गौशाला का सदस्य बनकर आप भी गौ सेवा कर सकते हैं, बस उसके लिए कुछ शर्ते हैं. आपको सनातनी होना होगा. साल में दो बार गौ सेवा के लिए गौशाला आना पड़ेगा और साथ ही गाय के रखरखाव के लिए सेवा शुल्क देना होगा. आपको बता दें कि गीर गाय के दूध आसानी से उपलब्ध नहीं है. अगर दूध के रेट की बात कर ले तो ₹140 प्रति लीटर दूध की कीमत है और शुद्ध घी की कीमत ₹4800 प्रति किलो है. 1 किलो घी बनाने में 30 किलो दूध की दरकार होती है.

संस्था ने सदस्यता के लिए जो शुल्क रखे हैं, वह इस प्रकार है...

  • संस्था की ओर से ₹14000 में गोपाल सदस्यता दी जाती है, जिसके तहत 200 दिन तक आधा लीटर दूध हर रोज आपको उपलब्ध कराया जाता है.
  • ब्लेसिंग मेंबरशिप के तहत आपको ₹91000 देने होते हैं जिसके बदले में 1 लीटर दूध आपको 700 दिनों तक उपलब्ध कराया जाता है. अगर आपको शुद्ध घी लेना है तो इसके तहत 19 महीने तक आपको एक किलो शुद्ध घी उपलब्ध कराया जाता है.
  • वहीं, नंदिनी मेंबरशिप के तहत आपको ₹200000 देने होते हैं, जिसके तहत आपको 4 साल तक एक लीटर दूध हर रोज उपलब्ध कराया जाता है. अगर आप चार लाख की सदस्यता लेते हैं तो आपको 4 साल तक एक लीटर दूध उपलब्ध कराया जाता है. इस योजना के तहत आपको 4 साल तक शुद्ध घी भी उपलब्ध कराया जा सकता है. अगर आप बिहार से दूर रहते हैं तो शुद्ध घी का विकल्प चुन सकते हैं और 4 साल पूरे होने के बाद आप चाहे तो पूरे पैसा वापस ले सकते हैं.

गाय को ईश्वरीय कृति मानने वाले गो पालक विनोद सिंह (Gau Palak Vinod Singh) ने अपना जीवन गौ सेवा के लिए समर्पित कर दिया है. वे कहते हैं कि अगर हम ने गाय को बचा लिया तो हमारा समाज बच जाएगा. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान विनोद सिंह ने कहा कि हम दूध और घी बेचते नहीं हैं, बल्कि जो हमारे संस्था से सदस्य जुड़ते हैं उन तक प्रसाद स्वरूप दूध और घी पहुंचवाने का काम करते हैं. उनका ये भी मानना है कि गीर गाय हो या देसी गाय, वह A2 कैटेगरी के हैं और वह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं.

वहीं, गौशाला में प्राकृतिक तौर पर गायों को रखा जाता है. दूध निकालने के लिए ना तो मशीन का प्रयोग किया जाता है ना ही गायों को रस्सी में बांधा जाता है. अब तक 200 लोगों ने सदस्यता ली है. विनोद सिंह यहां मौजूद तमाम गायों को उनके नामों से बुलाते हैं. कमाल की बात ये भी है कि जिसका भी नाम लेकर आवाज देते हैं, वो उनकी ओर दौड़े चली आती है.

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