Ramcharitmanas Controversy: 22 जनवरी को पटना में लगेगा विद्वानों का जमघट, किशोर कुणाल करेंगे संगोष्ठी

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Published : Jan 19, 2023, 7:35 PM IST

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शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान से आहत आचार्य किशोर कुणाल 22 जनवरी को एक संगोष्ठी बुला रहे हैं. इसके लिए 20 विद्वानों से 20 जनवरी तक पक्ष-विपक्ष के समर्थन में तथ्यों की मांग की गई है. इस संगोष्ठि में मानस के विवादित विषयों पर तर्कपूर्ण, तथ्यात्मक चर्चा की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर-

आचार्य किशोर कुणाल, महावीर मंदिर न्यास परिषद के प्रमुख

पटना : बिहार के पटना हनुमान मंदिर के प्रमुख पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल 'सामाजिक सद्भाव के प्रवर्तक गोस्वामी तुलसीदास' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन करने जा रहे हैं. बता दें कि उन्होंने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर दिए विवादित बयान (controversial Statement on Ramcharitmanas) पर बहस करने का निमंत्रण दिया था, जिसके बाद अब किशोर कुणाल 22 जनवरी को संगोष्ठी कराने जा रहे हैं. इससे पहले उन्होंने अपने इस सेमिनार में शिक्षा मंत्री को भी आने का निमंत्रण दिया था.

''रामचरितमानस की जिस चौपाई को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो0 चन्द्रशेखर ने सवाल उठाया था, वो पंडित सदल मिश्र का पहला मुद्रित संस्करण 1810 ई0 में फोर्ड विलियम कॉलेज, कोलकत्ता से प्रकाशित पुस्तक में 'ढोल गँवार शुद्र पशु नारी..' नहीं बल्कि वो वास्तव में 'ढोल, गँवार, क्षुद्र, पशु मारी' है. शिक्षा मंत्री के बयान से आहत होकर मैं 22 जनवरी को सेमिनार बुला रहा हूं. सभी विद्वानों से इसमें शामिल होने का आग्रह है.'' - आचार्य किशोर कुणाल, महावीर मंदिर न्यास परिषद के प्रमुख

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रामचरितमानस पर दिए विवादित बयान से किशोर कुणाल आहत: बिहार के शिक्षा मंत्री ने जो रामचरितमानस को लेकर जो बयान दिया था उससे किशोर कुणाल आहत हैं. उन्होंने राजनीतिक बयान बाजी या कटाक्ष करने की बजाय तथ्य का सहारा लिया है. उन्होंने इसके लिये पटना में आगामी 22 जनवरी को विद्वानों का जमघट लगाकर तार्किक शास्त्रार्थ करने का एलान किया है.


रामचरितमानस सामाजिक सद्भाव का प्रेरक ग्रंथ : गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई 'रामचरितमानस' सामाजिक सद्भाव का प्रेरक महाकाव्य है. लोकभाषा में इसकी रचना गोस्वामीजी ने इसलिए की थी ताकि धार्मिक तथा सामाजिक स्तर पर सभी वर्गों के लोगों को एकसाथ जोड़ते हुए समाज और राष्ट्र को मजबूत किया जा सके. विगत शताब्दी में जब भारतीय मजदूरों को मॉरीशस भेजा जा रहा था, तब वे सर्वस्व के रूप में अपने साथ रामचरितमानस की प्रति लेते गये थे. इस ऐतिहासिक घटना से 'मानस' का व्यापक सामाजिक प्रभाव आँका जा सकता है.


22 जनवरी को सेमिनार आयोजित: ऐसी स्थिति में किसी कारणवश ऐसे पवित्र ग्रंथ पर आक्षेप लगाने की असहज स्थिति में महावीर मन्दिर पटना के द्वारा 'सामाजिक सद्भाव के प्रवर्तक गोस्वामी तुलसीदास' विषय पर एक विद्वद्-गोष्ठी (सेमिनार) का आयोजन किया जा रहा है. यह सेमिनार 22 जनवरी को विद्यापति-भवन (पटना संग्रहालय के पीछे वाले मार्ग पर), विद्यापति मार्ग, पटना में दोपहर 1:00 बजे से होगा. इस सेमिनार में पक्ष एवं विपक्ष में विद्वानों के विचार आमंत्रित हैं, ताकि लोगों में फैलती जा रही भ्रान्तियाँ दूर हो सके. सोशल मीडिया तथा अन्य संचार माध्यमों के द्वारा दोनों पक्षों की ओर से जो आधे-अधूरे वक्तव्य आ रहे हैं, वे धर्म तथा समाज के लिए ठीक नहीं हैं. महावीर मन्दिर के द्वारा इसे दूर करने हेतु स्वस्थ परम्परा का निर्वाह करते हुए सेमिनार आयोजित करने का कदम उठाया गया है.

प्रतिभागियों को यहां करना होगा आवेदन: इस सेमिनार के लिए महावीर मन्दिर की पत्रिका 'धर्मायण' के सम्पादक पं. भवनाथ झा को संयोजक बनाया गया है. इस सेमिनार में पुष्ट प्रमाणों के साथ पक्ष अथवा विपक्ष में विषय केन्द्रित वार्ता के लिए इच्छुक विद्वान उनके सम्पर्क नं. 9430676240 पर ह्वाट्सएप अथवा सम्पर्क कर सकते हैं, या dharmayanhindi@gmail.com पर संदेश भेज सकते हैं.

20 जनवरी तक देना होगा लिखित आवेदन: कार्यक्रम को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए यह आवश्यक है कि विद्वानों का प्रस्ताव वक्तव्य के शीर्षक सहित दिनांक 20 जनवरी की संध्या तक आ जायें, ताकि कार्यक्रम की रूपरेखा निर्धारित कर 21 जनवरी को वक्ताओं को कार्यक्रम के एक दिन पूर्व विधिवत् सूचना दी जा सके. उपर्युक्त विषय की पक्ष-स्थापना पर आचार्य किशोर कुणाल का वक्तव्य होगा. वक्ताओं से सहमति लेकर दूसरे व्यक्ति भी किन्हीं का नाम सुझा सकते हैं. वार्ता में भाग लेने वाले विद्वानों से लिखित आलेख लाने का निवेदन किया गया है, ताकि बाद में उसे 'घर्मायण' पत्रिका में प्रकाशित किया जा सके.

'..ताकि धार्मिक ग्रंथों पर न हो बयानबाजी' : कुल मिलाकर रामचरितमानस के प्रति सजग और आस्था रखने वाले 'महावीर मंदिर न्यास परिषद' के प्रमुख किशोर कुणाल ने तथ्यों के जरिये समाज में फैल चुकी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया है. साथ ही उन्होंने वैसे नेताओं को सबक देने की पुरजोर कोशिश की है जो बिना जाने समझे किसी भी घर्म के घार्मिक ग्रंथ के खिलाफ अनाप शनाप बोलते हैं.

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