बिहार में फिर शुरू हुई 'चूहा पॉलिटिक्स', CM नीतीश के मंत्री के बयान पर घमासान

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Published : Sep 4, 2021, 4:49 PM IST

Updated : Sep 4, 2021, 5:36 PM IST

चूहा पॉलिटिक्स

चूहा एक बार फिर बिहार में सियासी मुद्दा बन गया है. बाढ़ आते ही नीतीश के मंत्री एक ही राग अलापने लगते हैं, 'चूहों ने बांध को काट डाला'. इस बार भी नीतीश के मंत्री ने ऐसा ही बयान दिया. जिस पर राजद प्रवक्ता ने तंज कसा है.

पटना: बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) की स्थिति भयावह है. ज्यादातर जिले बाढ़ की चपेट में हैं. गंगा, कोसी, महानंदा, गंडक हो या बूढ़ी गंडक, ऐसी ही कई नदियों ने लोगों के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. कई बांध भी टूट रहे हैं. लेकिन मंत्री यह बयान दे रहे हैं कि चूहा और बिलार की वजह से स्थिति खराब है. राहत कार्य करने के बजाय सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) हवाई सर्वेक्षण करते हैं. यह बातें राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कही. उन्होंने बाढ़ को लेकर सरकार के मंत्री के बयान पर तंज कसा है. इसके साथ ही बिहार में 'चूहा पॉलिटिक्स' फिर से शुरू हो गई है.

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'बिहार के बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत कार्य ठीक ढंग से नहीं चलाया जा रहा है. लोग काफी परेशान हैं. मुख्यमंत्री सिर्फ हवाई सर्वेक्षण कर खानापूर्ति कर रहे हैं. एक तरफ सरकार में बैठे मंत्री हास्यास्पद बयान दे रहे हैं कि नदियों के बांध को चूहा कुतरता है. बिलाड़ के कारण तटबंध कमजोर हुआ है. तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री लगातार आपदा की दुहाई देकर लोगों को सहायता करने का दिलासा देते नजर आते हैं. मुख्यमंत्री के दौरा के बावजूद कई ऐसे बाढ़ प्रभावित गांव हैं, जहां अभी तक सरकारी सहायता नहीं पहुंच पाई है. लोग घर द्वार छोड़कर सड़क पर बसे हुए हैं. वहां कोई भी अधिकारी उनसे खैरियत पूछने नहीं आते हैं.' -मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता

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मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जिस तरह से सरकार के मंत्री कभी यह कहते हैं कि शराब चूहा पी जाता है. कभी बांध को चूहा कुतर देता है. निश्चित तौर पर इस बार उनकी सरकार को भी चूहा ही कुतर के सत्ता से बाहर निकाल देगा.

उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है. 16 साल से यह सरकार आज तक बिहार में बाढ़ के निदान के लिए कोई कार्य नहीं की. अभी भी दर्जनों ऐसे तटबंध हैं जो टूटते रहते हैं. लोगों को बाढ़ का डर सताता रहता है.

बाढ़ प्रभावित जिले में सिर्फ सरकारी घोषणा होती दिखती है. जमीनी हकीकत यही है कि लोग अभी भी सरकारी राहत की बाट जोहते नजर आ रहे हैं. लोगों को हर साल एक छोटी सी मदद की आस लगी रहती है.

बता दें कि शुक्रवार को जदयू कार्यालय पटना में जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. जल संसाधन मंत्री संजय झा भी पहुंचे थे. इस मौके पर उन्होंने कमला बलान बांध का जिक्र किया. उन्होंने कहा, बांध पर मकई का डंठल रखा रहता है. चूहा और बिलार घर बना लेता है. चूहा बांध को अंदर से काट देता है. बिलार बांध को खोद देता है, जिससे बांध कमजोर पड़ जाती है.

उन्होंने कहा था कि मकई के डंठल के कारण इंजीनियर वहां जा भी नहीं पाते हैं. इसीलिए मकई के डंठल को हटाने का हमने निर्देश दिया है. जिससे लीकेज होने पर तुरंत उसकी मरम्मत की जा सके.

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चूहे पर गलती मढ़ने का यह कोई पहला मुद्दा नहीं है. पटना में चूहे ने शराब पी ली थी. जिसका ब्यौरा नहीं सौंपा जा सका. वहीं कोरोना महामारी के बीच फरवरी 2020 में कटिहार में चूहे का मुद्दा उठा था. तात्कालीन सिविल सर्जन ने दवाइयां और स्लाइन को चट कर जाने का जिम्मा चूहों पर मढ़ दिया था.

कटिहार के तात्कालीन सिविल सर्जन डॉ. अरविंद प्रसाद शाही ने कहा था कि हमारे यहां स्टोर में दवाइयां ज्यादा मात्रा में आ रही हैं, लेकिन रखरखाव के लिए कोई रूम नहीं है. अभी हमलोग दूसरी जगह भी दवा रखने का स्टोर बनाये हुए हैं और जो भी बाहर में दवा पड़ी हुई है. उसे बाहर खुला रहने की वजह से बरामदे में रखा गया था. जिसे चूहे चट कर गए थे.

फरवरी 2020 में ही चूहों का मुद्दा काफी ज्यादा गहरा गया था. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि नीतीश सरकार ने 1100 करोड़ का बांध घोटाला चूहों के नाम कर दिया. साथ ही नीतीश सरकार में चूहों ने 9 लाख लीटर शराब पी ली. इसको लेकर कांग्रेस ने एक पोस्टर भी जारी किया था. जिसमें लिखा था खौफनाक नीतीश सरकार. उस पोस्टर में ब्यौरा दिया था कि चूहे ने क्या-क्या बर्बाद किया.

पोस्टर के जरिए कांग्रेस ने कहा था कि इसके बाद 40 हजार नियोजित शिक्षकों की फाइलों को चूहों द्वारा खाए जाने का आरोप नीतीश सरकार ने लगाया है. अब दवा घोटाला भी नीतीश सरकार चूहों के माथे फोड़ने में लगी है. 2019 हो या 2020 और अब वर्ष 2021, सरकार हर साल बांध टूटने का सारा जिम्मा चूहों पर मढ़ती है. लोगों को इंतजार है कि सरकार कब बाढ़ ग्रसित इलाके से 'चूहों' को भगाएगी.

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Last Updated :Sep 4, 2021, 5:36 PM IST
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