बिहार में चिकित्सकों-स्वास्थ्यकर्मियों और अस्पतालों की कमी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट ने खोली पोल

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Published : May 18, 2022, 1:38 PM IST

बिहार में चिकित्सकों और अस्पतालों की कमी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में चिकित्सकों और अस्पतालों की कमी (Shortage of doctors and hospitals in Bihar) है. हेल्थ सेंटर की कमी की बात करें तो बिहार के ग्रामीण इलाकों में जुलाई 2021 तक अनुमानित जनसंख्या 10.86 करोड़ है और इस हिसाब से 21933 स्वास्थ्य उपकेंद्र, 3647 पीएचसी और 911 सीएचसी होना चाहिए लेकिन वर्तमान समय में स्वास्थ्य केंद्र की संख्या 10258 है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) भले ही बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था (Health system in bihar) को दुरुस्त कर लिए जाने का लाख दावा कर लें लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी नए आंकड़ों ने सभी दावों की पोल खोल दी है. केंद्रीय एजेंसी के मुताबिक बिहार के अनुमंडल अस्पतालों में 66% और जिला अस्पतालों में 36% चिकित्सकों के पद खाली हैं. बता दें कि अनुमंडल अस्पतालों में 1595 स्वीकृत पदों में 547 चिकित्सक ही पदस्थापित हैं और जिला अस्पतालों में 1872 स्वीकृत पदों में 1204 चिकित्सक ही पदस्थापित हैं. इन सबके अलावा प्रदेश के जिला और अनुमंडल अस्पताल में मेडिकल स्टाफ के पद 50% से अधिक खाली हैं.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट: एनएफएचएस 5 के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जिला अस्पतालों के 8208 स्वीकृत पदों में 3020 और अनुमंडल अस्पतालों में 4400 स्वीकृत पदों में 1056 मेडिकल स्टाफ ही पदस्थापित हैं. हेल्थ सेंटर की कमी की बात करें तो बिहार के ग्रामीण इलाकों में जुलाई 2021 तक अनुमानित जनसंख्या 10.86 करोड़ है और इस हिसाब से 21933 स्वास्थ्य उपकेंद्र, 3647 पीएचसी और 911 सीएचसी होना चाहिए लेकिन वर्तमान समय में स्वास्थ्य केंद्र की संख्या 10258 है. यानी 11675 की कमी है. उसी प्रकार 1932 पीएचसी है यानी कि 1715 पीएचसी की कमी है और 306 सीएचसी है. यानी कि 605 सीएचसी की कमी है. कुल मिलाकर देखें तो बिहार के ग्रामीण इलाकों में जनसंख्या के मुताबिक स्वास्थ्य उपकेंद्र 53%, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 47% और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर 66% कम है.

बिहार में चिकित्सकों और अस्पतालों की कमी: वहीं, शहरी इलाकों की भी बात करें तो प्रदेश के शहरी क्षेत्र में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 66% कम है यानी कि शहरी इलाकों में जनसंख्या के मुताबिक जुलाई 2021 तक शहरी क्षेत्रों की जनसंख्या 1.50 करोड़ है. इसके अनुसार 301 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए लेकिन अभी वर्तमान समय में 102 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है यानी कि 199 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है. इनमें भी चिकित्सक, नर्स और फार्मासिस्ट के काफी पद रिक्त हैं जैसे कि 102 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 220 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं. इन में मात्र 30 की तैनाती है. यानी कि 190 खाली हैं. इसी प्रकार फार्मासिस्ट के लिए 110 पद स्वीकृत है और इनमें 46 ही तैनात हैं. वहीं नर्सिंग स्टाफ की बात करें तो 330 स्वीकृत पदों में मात्र 8 ही तैनात हैं.

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