पटना: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) को झटके पर झटके लग रहे हैं. पहले राज्यसभा का टिकट कटा और अब बंगला भी छीन लिया गया है. दरअसल आरसीपी सिंह जिस बंगले में रह रहे थे ऐसे तो यह बंगला 7 एमए स्ट्रैंड रोड नीतीश कुमार (CM Nitish Kamar) के नजदीकी और खासम खास संजय गांधी के नाम से था लेकिन इस बंगले को मुख्य सचिव के नाम से आवंटित कर दिया गया है और संजय गांधी को 10 एम स्ट्रैंड रोड में बंगला आवंटित कर दिया गया है.
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आरसीपी सिंह का बंगला खाली: एक तरफ जहां आरसीपी सिंह का बंगला खाली करा लिया गया है. वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह भी पिछले लंबे समय से सरकारी बंगले में रह रहे हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी न तो विधायक है ना विधान पार्षद फिर भी उन्हें सरकारी बंगला मिला हुआ है दोनों पर सरकार मेहरबान दिख रही है. इधर संजय गांधी ने कहा है कि अभी तक उन्हें बंगला नहीं मिला है. बंगला मिलेगा तो जैसे यहां रह रहे थे उसी तरह वहां आरसीपी सिंह वहां भी रह सकेंगे.
"हमारे आवास पर आरसीपी सिंह नहीं रहते थे हम रहते थे लेकिन जब वह दिल्ली से आते थे तो रहते थे. नया आवास मिला नहीं है. मिलेने के बाद जैसे यहां रहते थे वैसे वहां रहेंगे और कार्यालय का काम करेंगे."- संजय गांधी, जदयू एमएलसी
नीतीश कुमार के गुड बुक से आरसीपी सिंह बाहर! : भवन निर्माण विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी की गई थी. पार्टी में अभी आरसीपी सिंह का विरोधी खेमा आरसीपी सिंह पर भारी पड़ रहा है. आरसीपी सिंह के विरोधी खेमे में भवन निर्माण मंत्री अशोक सिंह का भी नाम लिया जाता है. कुल मिलाकर देखें तो अभी नीतीश कुमार के गुड बुक से आरसीपी सिंह बाहर जा रहे हैं. इसीलिए एक के बाद एक उनके खिलाफ फैसले हो रहे हैं. राज्यसभा में नहीं जाने के कारण अब केंद्रीय मंत्री पद से भी हटना तय है.
7 जुलाई तक मोदी कैबिनेट में मंत्री रहेंगे RCP: बता दें कि आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्री हैं और 7 जुलाई को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है. 7 जुलाई तक वह मंत्रिमंडल में बने रह सकते हैं. टिकट कटने के बाद आरसीपी सिंह मीडिया से मुखातिब हुए थे. आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार को जहां अपना नेता बताया था वहीं ललन सिंह के साथ किसी तरह के विवाद से इनकार किया था. फिलहाल आरसीपी सिंह को पार्टी में किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी गई है. लेकिन वह पार्टी में बतौर और कार्यकर्ता बने रहेंगे.
नीतीश से बढ़ती दूरी: पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार से नजदीकी के कारण आरसीपी सिंह का सिक्का जदयू में बोलता रहा. नीतीश कुमार के बाद दो नंबर कुर्सी के दावेदार माने जाते रहे हैं. जदयू में आरसीपी सिंह का कद इसी से पता चलता था कि बिना उनकी अनुमति के विधानसभा लोकसभा और विधान परिषद के लिए उम्मीदवार बनना संभव नहीं था. पार्टी में ललन सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन गए. लेकिन केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ही आरसीपी सिंह की पार्टी पर पकड़ कमजोर होती गई.
हाशिए पर RCP सिंह की पॉलिटिक्स!: आज स्थिति यहां तक आ गई कि राज्यसभा के लिए उन्हें उम्मीदवार तक नहीं बनाया गया. केंद्र में मंत्री पद भी जाना तय है. जिस बंगले में पिछले 10 सालों से भी अधिक समय से रह रहे थे वह भी हाथ से चला गया और चुन-चुन कर उनके समर्थकों पर कार्रवाई भी होने लगी है. अभी तक आधा दर्जन उनके समर्थकों पर कार्रवाई हो चुकी है जिसमें दो प्रवक्ता सहेली मेहता और अजय आलोक शामिल हैं. उसके अलावा पार्टी मुख्यालय में संगठन का कामकाज देख रहे अनिल कुमार, विपिन यादव जैसे नेताओं पर भी गाज गिरी है. अब सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि 40 से अधिक समर्थकों की लिस्ट तैयार की गई है उन्हें चेतावनी दी जा रही है और अनुशासन के नाम पर आने वाले दिनों में उनपर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है. आरसीपी सिंह को पूरी तरह से पंगु बनाने की कोशिश जदयू में हो रही है. एक तरह से आरसीपी सिंह को राजनीतिक रूप से हाशिए पर पहुंचाने की रणनीति तैयार की गई है.
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