रोजगार देने के लिए गठित आयोगों में सदस्यों की भारी कमी, 8 साल में नहीं पूरी हुई लेक्चरर की भर्ती

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Published : Nov 22, 2022, 10:31 PM IST

Updated : Nov 22, 2022, 11:10 PM IST

बिहार मे नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा

बिहार में युवाओं की आबादी सबसे ज्यादा (Highest Population Of Youth In Bihar) है. राजनीतिक दल युवाओं की ताकत को समझते हैं और उन्हें रोजगार का लॉलीपॉप भी थमाया जाता है और रोजगार के लिए जब धरातल पर काम करने की बारी आती है तो सरकार के दावों की पोल खुल जाती है. सूबे में रोजगार देने के लिए गठित आयोगों का खस्ताहाल है. जिससे युवाओं को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. पढे़ं पूरी खबर...

पटना: बिहार जैसे राज्यों से रोजगार के लिए लोगों का पलायन (Migration Of People For Employment In Bihar) बड़ी चुनौती है. बड़ी संख्या में युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं हैं. युवाओं को रिझाने के लिए राजनीतिक दलों ने चुनाव के दौरान रोजगार को लेकर लंबे-चौड़े वायदे किए. महागठबंधन का हाथ थामने के बाद सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने आगे बढ़कर 20 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा कर दिया. बिहार में युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए विभिन्न आयोग सरकार के द्वारा गठित किए गए हैं. बिहार लोक सेवा आयोग, विश्वविद्यालय सेवा आयोग, कर्मचारी भर्ती आयोग और तकनीकी सेवा भार्ती आयोग का गठन किया गया. सरकार ने आयोगों का गठन तो कर दिया लेकिन आयोग में बराबर अंतराल पर सदस्य नहीं नियुक्त किए जा सके जिसका नतीजा यह हुआ कि भर्ती प्रक्रिया लंबी खींचती चली गई.

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बिहार में युवाओं को रोजगार देने के नाम पर राजनीति : मिसाल के तौर पर 14 सितंबर 2014 को बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा व्याख्याताओं के लिए नियुक्ति आमंत्रित किए गए. कुल 3364 पदों के लिए नियुक्ति निकाली गई. 41 विषयों से छात्रों का चयन होना था लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हुई. कुछ विषयों की नियुक्ति प्रक्रिया अब भी जारी है. सरकार ने व्याख्याताओं की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन किया और 23 सितबंर 2020 को विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 4838 पदों के लिए वैकेंसी निकाली. कुल 52 विषयों के लिए व्याख्याताओं की नियुक्ति की जानी थी. 3 साल पूरे होने को हैं, नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हुई. बिहार लोक सेवा आयोग की छवि हाल के कुछ वर्षों में धूमिल हुई है और प्रश्न पत्र लीक बिहार लोक सेवा आयोग की पहचान बन गई है.

रोजगार के नाम पर सरकार युवाओं को दे रही है लॉलीपॉप : सरकार भी बीपीएससी को लेकर गंभीर नहीं दिखती. बिहार लोकसेवा आयोग (Bihar Public Service Commission) के 6 में से 3 सदस्य कार्यरत हैं. एक पद 22 माह से और दो पद 6 माह से खाली है. पांच साल पहले के पीपर लीक कांड में दोषी पाए गए कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष तीन साल बाद जेल से छूटे. आयोग के सचिव अब भी जेल में हैं. इस चार सदस्यीय आयोग के दो पद खाली हैं. तकनीकी सेवा आयोग डेढ साल से कामचलाऊ अध्यक्ष के सहारे है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग में अध्यक्ष के अलावा 6 सदस्य होते हैं, फिलहाल विश्वविद्यालय सेवा आयोग में 5 सदस्य हैं और आज की तारीख में भी एक पद खाली पड़े हैं. विभिन्न आयोगों में सदस्यों के पद खाली रहने से एक और जहां भर्ती प्रक्रिया लंबी होती है, वहीं पारदर्शिता की कमी आती है.

BPSC की छवि हुई धूमिल : प्रश्न पत्र लिक जैसी घटना ऐसे में घटित होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है. सदस्य कम रहने से अध्यक्ष को मनमानी करने का मौका भी मिल जाता है. आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं. शिक्षा जगत से जुड़े पटना विश्वविद्यालय सिंडिकेट के सदस्य नीतीश कुमार टन टन का मानना है कि बिहार में सरकार के प्रयासों के बावजूद भर्ती प्रक्रिया काफी लंबी खींच रही है.

'सदस्यों का कम होना एक प्रमुख वजह है. सरकार को भी चाहिए कि जो लोग गेस्ट फैकेल्टी के तौर पर काम कर रहे हैं उनको दूसरे राज्यों के तर्ज पर परमानेंट कर दिया जाए.' - नीतीश कुमार टन टन, सदस्य, पटना विश्वविद्यालय सिंडिकेट

'रोजगार देने के नाम पर सरकार सिर्फ ढोंग कर रही है. रोजगार देने के लिए बिहार में जितने आयोग गठित है. वहां पर्याप्त सदस्य नहीं है. ऐसे में सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं.' - विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष

'तेजस्वी यादव ने युवाओं को रोजगार देने का वायदा किया है और हम उस दिशा में लगातार काम भी कर रहे हैं. विभिन्न आयोगों में सदस्य के जो पद खाली हैं, उसे भी शीघ्र भरा जाएगा. सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है.' - विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष

Last Updated :Nov 22, 2022, 11:10 PM IST
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