जहरीली शराब से मौत का मामलाः विपक्ष ने कहा- 'शराबबंदी फेल, पुलिस की मिलीभगत से बिक रही है शराब'

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Published : Mar 14, 2022, 8:30 PM IST

बिहार में शराबबंदी

बिहार में शराबबंदी को लेकर विपक्षी दल के नेता सवाल खड़े करने में जुट गए हैं. हाल में भागलपुर और गोपालगंज में हुई मौतों के बाद नेता हमलावर हैं. सबी एक स्वर में कह रहे हैं कि शराबबंदी फेल है. पुलिस के संरक्षण में शराब तस्करी की जा रही है. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) के बावजूद जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. भागलपुर और गोपालगंज में जहरीली शराब से हुई मौत के बाद एक बार फिर शराबबंदी पर सवाल उठने लगे हैं. विपक्ष सवाल करने लगे हैं कि जहरीली शराब से मौत हो रही है तो फिर शराबबंदी कानून का क्या फायदा. विपक्षी दल के नेता कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री जिद के कारण शराबबंदी समाप्त नहीं कर रहे हैं.

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'जहरीली शराब से मौतें हो रही है. शराबबंदी तो लागू कर नहीं पा रहे हैं. इनके प्रशासन के पदाधिकारी तस्करों से मिले हुए हैं. आग्रह करूंगा कि तीनगुनी चौगुनी कीमत कीजिए. आपसे शराबबंदी लागू नहीं हो रही है. शराबबंदी की आड़ में जहरीली शराब बिक रही है. बच्चे ब्राउन शुगर पी रहे हैं और मौतें हो रही हैं. आप यहां कल कारखाना लगाइये, युवकों और बच्चों को रोजगार देने का काम कीजिए.' -अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक

'लगातार शराब के कारण मौतें हो रही हैं. बिहारशरीफ में भी हुई. अभी होली का वक्त है. जितना बॉर्डर का इलाका है, चारों तरफ से शराब आ रही है. पुलिस के संरक्षण में शराब माफिया शराब ला रहे हैं और बेच रहे हैं. इसके कारण आम लोग नतीजा भोग रहे हैं. लोगों को पता नहीं है कि किस तरह की शराब है. उसे लोग पीते हैं और मारे जाते हैं. ड्रोन और हेलीकॉप्टर लाकर सरकार के राजस्व का दुरुपयोग कर रहे हैं. इससे कोई फायदा नहीं है.' -राकेश रोशन, आरजेडी विधायक

'सरकार फेल हो गई है. जहरीली शराब से मौतों का कारण बस यही है कि सरकार शराबबंदी नहीं कर पा रही है. इसमें पुलिस के संरक्षण में शराब तस्करी हो रही है. तस्कर नकली शराब बना रहे हैं और ऊंचे दाम में बेच रहे हैं. अगर जहरीली शराब से मौत को रोकना है, तो पुलिस के ऊपर कार्रवाई करनी होगी.' -अजय कुमार, सीपीआईएम विधायक

'सरकार की यह नीति गलत है. इस साल में 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. सरकार इस मामले में फेल है. बड़े-बड़े माफियाओं को छूट दे दी गई है. गरीब लोगों को जेल भेजा जा रहा है. यह नीति सरकार की गरीब विरोधी नीति है.' -महानंद सिंह, माले विधायक

गोपालगंज में जहरीली शराब से मौत का तीसरा मामला: दरअसल बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से गोपालगंज में जहरीली शराब से मौत का यह तीसरा मामला है. इससे पहले 2 नवंबर 2021 को जिले के महम्मदपुर थाने के महम्मदपुर गांव में 21 लोगों की मौत हुई थी. प्रशासन ने 14 लोगों के मरने की पुष्टि की थी. जबकि उसी साल 20 फरवरी 2021 को विजयीपुर थाने के मझवलिया में जहरीली शराब से 6 लोगों की जानें गईं थीं. वहीं, जिस साल शराबबंदी कानून लागू हुआ था, उसी साल 15 अगस्त 2016 को नगर थाने के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. आंकड़ों पर गौर करें तो अबतक जहरीली शराब पीने से 50 लोगों की मौत हो चुकी है.

भागलपुर में 4 लोगों की मौतः एक दिन पहले ही भागलपुर में 4 लोगों की संदिग्ध मौत (Suspected Death of 4 People in Bhagalpur) के बाद हड़कंप मच गया था. दो लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. इस मामले में परिजनों का दावा था कि दारु पीने के बाद एकाएक तबीयत बिगड़ गई और जोर-जोर से सांस लेने लगा. अस्पताल में भर्ती किया लेकिन जान ना बची. 13 मार्च को इस घटना के उजागर होने के बाद भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं कि शराब पीने से मौत हुई है.

बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी: दरअसल, 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था. 1 अप्रैल 2016 से लागू हुए कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी नशीले पदार्थ या शराब का निर्माण वितरण परिवहन संग्रह भंडार खरीद बिक्री या उपभोग नहीं कर सकता है. हालांकि बिहार में जहरीली शराब से मौत के बाद शराबबंदी कानून को लेकर सवाल भी उठे हैं. जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी, उस समय सरकार को शराबबंदी की वजह से 4000 करोड़ की क्षति हुई थी. उसके बाद यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता गया. उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सामाजिक नुकसान इससे भी कहीं बढ़कर है. हम अन्य माध्यमों से घाटे की भरपाई करेंगे.

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