दूसरे जगह का हाल छोड़िए नीतीश जी, आपके पटना में ही दम तोड़ रही 'हर घर नल जल' योजना

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Published : Aug 10, 2021, 6:05 PM IST

nal jal yojna bihar

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का ड्रीम प्रोजेक्ट 'हर घर नल जल' योजना (Nal Jal Yojana) राजधानी में ही दम तोड़ रही है. कहीं नल नहीं पहुंचा तो जहां नल लगा है उससे पानी की एक बूंद नहीं आती. पढ़िये पूरी खबर..

पटना: 6 साल से चल रही बिहार सरकार (Bihar Government) की सबसे महत्वकांक्षी योजना 'हर घर नल का जल' (Nal Jal Scheme) का काम कछुए की गति से आगे बढ़ रही है. राजधानी पटना में सभी 75 वार्ड में इस कार्य को लेकर निगम प्रशासन कार्य में लगा हुआ है. लेकिन अभी तक मात्र 30 से 40% ही काम हो पाया है.

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योजना की धीमी रफ्तार के कारण राजधानीवासी पानी के एक एक बूंद के लिए अभी भी तरस रहे हैं. निगम प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्यों पर पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू ने सवाल खड़ा किया है. तो वहीं नगर आयुक्त की मानें तो यह परियोजना लंबा है कार्य करने में सभी कर्मी लगे हुए हैं.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) शुद्ध पेयजल हर घर तक पहुंचा सके इसके लिए उन्होंने 2015 में सात निश्चय योजना के तहत 'हर घर नल का जल' योजना (Nal Jal Scheme Of Bihar) की शुरुआत की थी. इस योजना को शुरू हुए लगभग 6 साल होने को है. लेकिन अभी भी इस योजना का काम आधा अधूरा है. राजधानी पटना में ही यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है.

हर घर नल का जल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी परियोजना है. पंचायतों में मुखिया पर इस योजना को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी है. वहीं शहरी इलाकों में नगर निकाय, नगर निगम के मध्यम से जनप्रतिनिधियों के माध्यम से कार्य को धरातल पर उतारने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन राजधानी पटना में नगर निगम क्षेत्र में यह योजना अभी तक पूरी तरह से सफल होती नजर नहीं आ रही है.

पटना नगर निगम के सभी 75 वार्डों में 'नल का जल योजना' का कार्य हो रहा है. कुल 75 वार्डों में लगभग 875 किलोमीटर पाइप बिछाने हैं. ताकि लोगों को इस योजना के तहत शुद्ध पेयजल मुहैया हो सके, लेकिन इस योजना को लेकर नगर विकास विभाग और नगर निगम के बीच आपसी समन्वय नहीं होने के कारण अभी तक यह योजना 6 साल में मात्र 40% पूरा हो सका है.

नगर निगम की मानें तो सरकार की तरफ से नगर निगम को पांचवें वित्त आयोग के तहत हर साल 187 करोड़ रुपए विकास कार्य योजना के लिए मिलते हैं. उसमें से 30% राशि नल जल योजना में खर्च करने होते हैं. लेकिन सरकार की तरफ से जो राशि हर साल उपलब्ध होती है. वह राशि संपूर्ण नहीं मिल पाती है जिसकी वजह से योजना की रफ्तार धीमी है.

मेरे घर में नल तो लगा है. 2 साल से नल लगा है लेकिन पानी नहीं आता. कोई देखने नहीं आता. टंकी का पानी दूर से लेकर आते हैं.- रजिया खातून, पटनावासी

सरकार की यह योजना बेहतरीन है. लेकिन उसे धरातल पर उतारने वाले कर्मी सुस्त रवैया अपनाये हुए हैं. जिस कारण योजना धरी की धरी रह जाती है. पाइप तो बिछाई गई लेकिन अभी तक इसमें पानी नहीं आया है. कुछ इलाकों में अभी भी पाइप नहीं बिछी है. जिसकी वजह से लोगों को दूर से पानी लाना पड़ता है.

दूर से पानी लाते हैं बहुत परेशानी होती है. नल नहीं लगा हमारे यहां तो पाइप भी नहीं बिछा है तो पानी कैसे मिलेगा- आशा देवी,पटनावासी

जिस काम पर मेयर को ध्यान देना चाहिए उसपर तो उनका ध्यान है नहीं. पटना मेयर का ध्यान सिर्फ इसी बात पर है कि निजी एजेंसी, आउटसोर्स एजेंसी को कितना अधिक से अधिक भुगतान हो जिससे वह कमीशन की उगाही कर सके.- विनय कुमार पप्पू, पूर्व डिप्टी मेयर, पीएमसी

पटना में नल जल योजना के कार्य में हो रही लेट लतीफी को लेकर पटना नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू ने मेयर सीता साहू पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि महापौर को इस योजनाओं में कोई दिलचस्पी नहीं है. वह सिर्फ निजी एजेंसी आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से कार्य कैसे हो, इन एजेंसियों के माध्यम से उन्हें कमीशन कैसे मिले इसपर ज्यादा फोकस है.

सरकार की यह योजना बड़ी परियोजना है. इसको लेकर कार्य भी हो रहे हैं. पटनावासियों को पानी की कभी किल्लत नहीं होगी. इसके लिए शहर में जो पुराने जल मीनार हैं उसके माध्यम से लोगों को पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है. साथ ही जो नई योजना के तहत अट्ठारह हाई स्पीड बोरिंग का निर्माण कार्य चल रहा है. बहुत जल्द पाइप लाइन बिछाने के बाद लोगों के घरों तक पानी पहुंचना शुरू हो जाएगा.- हिमांशु शर्मा, आयुक्त, पीएमसी

बता दें कि 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात निश्चय योजना बनाई थी. उन्हीं योजनाओं में से एक महत्वकांक्षी योजना लोगों को शुद्ध पेयजल मिले इसके लिए हर घर नल का जल पहुंचाने का निश्चय किया गया था. इस योजना को लेकर 6 साल होने को है लेकिन राजधानी पटना में ही सरकार की यह योजना दम तोड़ रही है. ऐसे में अन्य जिला या गांव का क्या हाल होगा अंदाजा लगाया जा सकता है.

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