तेज प्रताप के 'सम्मान की लड़ाई' में RJD की हिल रही नींव, लालू ले सकते हैं बड़ा फैसला

author img

By

Published : Aug 22, 2021, 6:08 PM IST

लालू परिवार

लालू परिवार इन दिनों दिल्ली में है. सम्मान की लड़ाई के कारण परिवार में कुछ ठीक नहीं चल रहा है. तेज प्रताप ने बगावत का रुख कर लिया है. कहा जा रहा है कि पार्टी और परिवार के बीच ऐसे ही घमासान जारी रहा, तो इसका फायदा चाचा नीतीश को जरूर हो जाएगा. अब देखना होगा कि लालू इन तमाम उलझनों को कितनी जल्दी समेट पाते हैं.

पटनाः लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का विवाद पटना से दिल्ली पहुंच गया है. हालांकि जब लालू यादव (Lalu Yadav) पटना से दिल्ली जाते थे, तो सियासत (Bihar Politics) में बहुत कुछ बदला हुआ होता था. वे दिल्ली से आते थे तो बहुत कुछ बदलते थे. लेकिन इस बार लालू यादव के साथ पटना से दिल्ली जाकर जो कुछ हो रहा है उसके मायने भी बदले हुए हैं और सियासी मसौदा भी. समझौते की राजनीति और कही जाने वाली बातों से इस बार लालू परिवार (Lalu Family) का पूरा कुनबा ही उलझ गया है. सुलझाने के लिए हर वह हथकंडा अपनाया जा रहा है, जिससे अपनों की बात बन जाए. अब यह अलग बात है कि अपने लोग बात बनाने में कितना समझौता कर पाते हैं.

यह भी पढ़ें- कृष्ण की चेतावनी... लालू परिवार में महाभारत, तेज प्रताप ने फेसबुक पोस्ट कर मांगा अपना हक!

जगदानंद सिंह बिहार में बचे हैं, जो राष्ट्रीय जनता दल के हैं. और जो लोग दिल्ली गए हैं, वे लालू वाले राष्ट्रीय जनता दल के हैं. दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल अगर लोगों की पार्टी होती तो जगदानंद सिंह के फैसले का स्वागत होता. क्योंकि यह लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल है. ऐसे में जगदानंद सिंह किनारे हो गए हैं और लालू वाले राष्ट्रीय जनता दल का हर किरदार जोर-जोर से बोल रहा है. लालू दिल्ली में हैं, मीसा भारती भी दिल्ली में है, तेजस्वी दिल्ली चले गए, अब तेजप्रताप भी दिल्ली पहुंचे हुए हैं. राबड़ी देवी तो दिल्ली में हैं ही.

ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल जो लालू यादव का है, वह पूरे तौर पर दिल्ली में है. यही वजह है कि दिल्ली से बनने वाली नीति जब पटना पहुंचेगी, तो सियासत का कौन सा आधार खड़ा करेगी, यह तो राष्ट्रीय जनता दल ही समझे. लेकिन लालू यादव की दिल्ली में होने वाली राजद की बैठक में बहुत कुछ सामान्य होगा. यह कहा जाना बड़ा मुश्किल है.

यह भी पढ़ें- 'बगावत' कर अलग-थलग पड़ गए हैं तेज प्रताप, न तो पार्टी का साथ मिल रहा है और न ही परिवार का!

राष्ट्रीय जनता दल में परिवार की लड़ाई की शुरुआत चुनाव के समय में भी हुई. हालांकि 2015 के चुनाव में तेजस्वी और तेजप्रताप ने अपने जीवन के राजनैतिक सफर को शुरू किया था. दोनों ने जीत दर्ज की थी. नीतीश के साथ मंत्री भी बने थे. अब जब नीतीश के साथ छूटा, तो यह तय होना मुश्किल हो रहा था कि तेज प्रताप की भूमिका क्या होगी.

तेजस्वी की भूमिका नेता प्रतिपक्ष के तौर पर लालू यादव ने तय कर दी. क्योंकि लालू यादव की पार्टी थी, तो माना भी जा रहा था कि लालू के घर से ही कोई नेता प्रतिपक्ष होगा. यह अलग बात है अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे तमाम बड़े नेता रहे तो जरूर. लेकिन उन्हें कोई जगह नहीं मिली. उसके बाद 2019 के चुनाव के लिए तेजस्वी ने जिस तरीके की रणनीति बनाई, उसमें तेज प्रताप का बहुत कुछ चला नहीं.

यह भी पढ़ें- सुलझ गया 'मुद्दा' या डैमेज कंट्रोल, जगदानंद बोले- RJD में कोई कलह नहीं

मीसा भारती भी बहुत कुछ करना चाह रही थीं, लेकिन बात जांच करने वाली एजेंसियों के दफ्तर से आगे जा नहीं पाई. सबसे बड़ा सियासी बवाल 2020 के विधानसभा चुनाव में शुरू हुआ. जब सीट बदलने को लेकर पहली बार तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी को आंखें तरेरी थी. हालांकि इसके पहले परिवार में क्या कुछ चल रहा था, इससे न तो बिहार को मतलब था और ना ही बिहार की सियासत को.

क्योंकि वह परिवार का मामला था. इसलिए इस पर कोई कुछ कहने को तैयार ही नहीं था. लेकिन सियासत करने वाले परिवार में जब परिवार ही सियासत हो गया है, तो बात उठना भी लाजिमी है कि तेजस्वी पर तेज इतनी तारीफ क्यों हो गए. बीच में भले ही जगदानंद सिंह हैं, लेकिन मूल लड़ाई में तेज प्रताप की वह बातें हैं, जिसमें लगातार उन्हें तवज्जो नहीं देने की बात आ रही है.

यह भी पढ़ें- RJD में 'बगावत' का अंजाम: साधु और सुभाष के बाद अब तेज प्रताप यादव की बारी, लालू सुनाएंगे फैसला!

हालांकि तेज प्रताप का अपना अलग अंदाज है. लेकिन सियासत की तो अपनी चाल होती है. उसमें किसी व्यक्ति का अंदाज नहीं चलता. सियासत जिस अंदाज में चलती है, व्यक्ति को उसी अनुसार बनना पड़ता है. अब दिल्ली में बैठक शुरू होगी. लालू चीजों को सुनेंगे, समझेंगे, जानेंगे, क्योंकि लालू वाली पार्टी में बेटे और बेटियां हैं. लालू वाले राष्ट्रीय जनता दल में पटना में वह भाई, जिसे लालू यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के 25वें स्थापना दिवस पर कहा था कि जगदानंद हमारे भाई हैं.

अब भतीजे को कितना जगदानंद सहेज पाएंगे और भतीजे चाचा का कितना सम्मान कर पाएंगे और इसे करवाने में लालू यादव कितनी मजबूत भूमिका निभा पायेंगे, इंतजार पूरे बिहार को है. क्योंकि जगदानंद चाचा से ही अगर भतीजे लड़ाई लड़ते रह गए, तो नीतीश चाचा और क्या-क्या पलट देंगे यह लालू को भी पता है, तेजस्वी को भी और तेज प्रताप को भी. अब देखना है कि राजद अपनी इस आधार को कैसे मजबूत करती है.

यह भी पढ़ें- सड़क मार्ग से दिल्ली रवाना हुए तेज प्रताप, लालू यादव से करेंगे मुलाकात

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.