पटना: लगातार तीसरे दिन हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर, लिखित आश्वासन नहीं मिलने तक करेंगे हड़ताल

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Published : Dec 25, 2020, 8:51 PM IST

जूनियर डॉक्टर हड़ताल

लगभग 3 हजार जूनियर डॉक्टर और इंटर्न अपने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बने रहे.

पटना: प्रदेशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लगभग 3 हजार जूनियर डॉक्टर और इंटर्न अपने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बने रहे. डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 की ड्यूटी छोड़कर इमरजेंसी, आईसीयू, ओपीडी समेत तमाम विभागों में काम बंद है. सरकार जब तक उनसे बातचीत नहीं करती है और उनकी मांगों पर लिखित रूप से आश्वासन नहीं देती है, वह हड़ताल पर बने रहेंगे.

पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ कुंदन सुमन ने बताया कि लगातार तीसरे दिन पूरे बिहार के 9 मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर और इंटर्न हड़ताल पर बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से लापरवाह है और अब तक हड़ताल खत्म करने को लेकर उनसे बातचीत करने का भी किसी अधिकारी ने प्रयास नहीं किया है.

'गुरुवार के दिन पीएमसीएच में स्वस्थ विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत पहुंचे और लगभग 2 घंटा समय बिताया. पीएमसीएच के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस में बैठकर उन्होंने चाय भी पीया. प्रधान सचिव से मिलने के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस के गेट के बाहर सभी जूनियर डॉक्टर काफी संख्या में लगभग 3 घंटे खड़े रहे. लेकिन प्रधान सचिव ने बाहर निकलते समय जूनियर डॉक्टरों से एक बार नजर तक नहीं मिलाई और हाल-चाल तक नहीं पूछा. जूनियर डॉक्टर चाह कर भी प्रधान सचिव से नहीं मिल पाए.' -डॉ कुंदन सुमन, ज्वाइंट सेक्रेटरी, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन.

जूनियर डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल 1 साल से कर रहा इंतजार
डॉ कुंदन सुमन ने कहा कि उन्हें इस बात का बहुत खेद है कि सरकार ने ऐसी नौबत ला दी है कि उन्हें अस्पताल में कार्य बहिष्कार करना पड़ रहा है. हड़ताल की वजह से गरीब मरीजों को बहुत परेशानी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि उनकी हड़ताल पर बहुत से लोग मानव हित की बात कर रहे हैं और हड़ताल खत्म करने की बात कह रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

वहीं पिछले 1 साल से जूनियर डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल लगातार स्वास्थ्य विभाग में जाकर प्रधान सचिव से मुलाकात कर अपने मसले को रखने की कोशिश कर रहा है. लेकिन एक बार भी उन्हें प्रधान सचिव का अपॉइंटमेंट नहीं मिला. जिसके कारण मजबूर होकर पूरे प्रदेश के जूनियर डॉक्टर कोविड-19 के कार्य छोड़कर सभी विभाग में कार्य बहिष्कार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार का ही निर्देश है कि हर 3 साल पर जूनियर डॉक्टरों का स्टाइपेंड इंक्रीमेंट होगा. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी इस मसले पर अब तक स्वास्थ्य विभाग के किसी भी आला अधिकारी की तरफ से उन्हें लिखित में उचित आश्वासन नहीं मिला है. अधिकारी भी जूनियर डॉक्टरों से नहीं मिलते हैं.

उचित आश्वासन नहीं मिलने तक जारी रहेगा हड़ताल
जूनियर डॉक्टर प्रशांत कुमार ने कहा कि उन्हें इस बात का बहुत दुख है जब प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत पीएमसीएच पहुंचे तो जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से उन्होंने कोई बातचीत नहीं की और ना ही कोई आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान सभी अधिकारी और मंत्री डॉक्टरों का गुणगान करते नजर आए. लेकिन हकीकत यह है कि सचिवालय में जाने पर अधिकारी डॉक्टरों से मिलने का अपॉइंटमेंट तक नहीं देते.

पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर डॉ दीपक कुमार ने बताया कि जब तक लिखित में उन्हें कोई उचित आश्वासन नहीं मिलता है वह हड़ताल पर बने रहेंगे. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री जूनियर डॉक्टरों से मानवता की उम्मीद कर रहे हैं मगर उनकी मानवता तब कहां चली जाती है, जब जूनियर डॉक्टर उनसे मिलने के लिए उनके कार्यालय का चक्कर काटते हैं और मुलाकात नहीं हो पाती है. उन्होंने कहा कि हड़ताल का निर्णय लेने के पूर्व वह दिसंबर में दो बार स्वास्थ्य मंत्री से इस मसले पर मिलने का प्रयास कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि जब तक वार्ता नहीं होती है और लिखित में उचित आश्वासन नहीं मिलता है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.

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