'लेटर की राजनीति' से तेजस्वी को नहीं होगा कोई फायदा: श्रवण कुमार

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Published : Sep 29, 2021, 3:40 PM IST

पटना

नेता प्रतिपक्ष के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने पर बयानबाजी शुरू हो गई है. जदयू के वरिष्ठ नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने तेजस्वी यादव पर तंज कसा है. उन्होंने अपनी बयानबाजी में लालू प्रसाद यादव के शासनकाल को भी शामिल किया.

पटनाः नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक बार फिर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को पत्र लिखा है. इस बार बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) से निजात और नदी जोड़ योजना को लेकर प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi) से शिष्टमंडल मिले, इसके लिए मुख्यमंत्री से आग्रह की गई है. पत्र लिखने के मुद्दे पर अब बयानबाजी शुरू हो गई है. जदयू के वरिष्ठ नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने तेजस्वी पर तंज कसा है. उन्होंने न सिर्फ तेजस्वी यादव के बारे में बयान दिया, बल्कि बयानबाजी में लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल को भी घसीट लिया.

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'तेजस्वी यादव राजनीति कर रहे हैं. उन्हें इसका कुछ लाभ मिलने वाला नहीं है. जब उनके पिता और माता का 15 साल शासन रहा, उन्होंने बिहार को गर्त में पहुंचा दिया. उन लोगों की सोच संकुचित है. बिहार में जबसे नीतीश कुमार ने शासन संभाला है. लगातार विकास के कार्य हो रहे हैं. इसलिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राजनीति कर रहे हैं. चाहते हैं कुछ प्राप्त हो जाए. लेकिन इसका कोई लाभ मिलने वाला उन्हें नहीं है.' -श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री

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बता दें कि तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा है कि बिहार देश का एक ऐसा राज्य है जो प्रतिवर्ष बाढ़ की भयानक विभीषिका के साथ-साथ सुखाड़ की गंभीर समस्याओं को भी झेलता है. इससे प्रतिवर्ष करोड़ों लोग प्रभावित होते हैं. हजारों लोगों की असामयिक मृत्यु होती है तथा अरबों रुपयों की फसल व जान-माल की क्षति होती है.

बिहार के कम-से-कम 20 जिले- सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सीवान, मधुबनी, मधेपुरा, सहरसा, भागलपुर, कटिहार, वैशाली, पटना प्रत्येक वर्ष बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं.

बिहार की बाढ़ की समस्या के समाधान हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा सिर्फ घोषणाएं ही की जा रही हैं लेकिन इस समस्या के स्थायी एवं ठोस समाधान की दिशा में ईमानदार कोशिश नहीं हो रही है. इन गंभीर समस्याओं के निदान हेतु कई नहरों एवं बराजों के निर्माण कराने के साथ-साथ राज्य की नदियों को जोड़ने की मांग पहले से की जाती रही है.

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वर्ष 2011 में राज्य में नदी जोड़ने की परियोजनाएं (River Linking Projects) की घोषणा की गई थी. इसमें राज्य की कई नदियों को जोड़ने के लिए अनेक योजनाओं यथा- बागमती-बूढ़ी गंडक लिंक, बूढ़ी गंडक-बाया-गंगा लिंक, कोसी-बागमती-गंगा लिंक आदि की बात कही गई थी. केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019 में इनमें से मात्र एक 'कोशी-मेची' नदी को जोड़ने की योजना को हरी झंडी दी थी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस योजना का क्रियान्वयन अभी तक शुरू नहीं हुआ है.

नेता प्रतिपक्ष ने आगे लिखा है कि कोशी, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, घाघरा, महानन्दा आदि सभी बारहमासी नदिया हैं तथा बरसात के मौसम में इन नदियों के जलग्रहण क्षेत्र (Catchment Areas) में बारिश होने पर पानी के बहाव की मात्रा और प्रबलता अचानक अत्यधिक हो जाती है.

इससे प्रभावित लोगों को संभलने का मौका ही नहीं देता और ये नदियां भयंकर तबाही लाती हैं. राज्य में बाढ़ की विभीषिका के स्थायी समाधान हेतु इन नदियों को राज्य की अन्य नदियों, जिनमें कम पानी रहता है, उससे जोड़ना अति आवश्यक है.

उन्होंने लिखा है कि प्रतिवर्ष हजारों जानमाल तथा अरबों की आर्थिक क्षति को देखते हुए इन योजनाओं को तीव्र गति से मिशन मोड में करने की आवश्यकता है. यह योजना बाढ़ नियंत्रण, पेय जल की उपलब्धता, सिंचाई, पनबिजली उत्पादन सहित राज्य की आंतरिक जलमार्ग के रूप में अति उपयोगी साबित होगा.

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इससे राज्य के चहुंमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि नदियों को जोड़ने की योजना कछुए की गति से चल रही है. एकमात्र योजना के हरी झंडी मिलने के तीन वर्ष बीतने के उपरांत अभी तक कार्य शुरू नहीं हुआ है.

चूंकि वर्तमान में केंद्र और राज्य दोनों जगह एनडीए (NDA) की ही सरकार है, ऐसी स्थिति में राज्य के लोगों के जान-माल से जुड़ी तथा राज्यहित की इन अत्यंत महत्वपूर्ण योजनाओं के कार्यान्वयन में इतनी उदासीनता समझ से परे है. विदित है कि डबल इंजन की सरकार तथा 40 में से 39 एनडीए के लोकसभा सांसद होने के बावजूद राज्य को विशेष दर्जा देने की बात तो दूर अभी तक विशेष पैकेज भी नहीं मिल पाया है.

विगत चार वर्षों में बाढ़ राहत के लिए केन्द्र से बिहार को उचित मदद नहीं मिल पाई है जबकि बिहार से कम जनसंख्या वाले राज्यों को जहां बिहार की तुलना में बाढ़ की विभीषिका भी काफी कम होती है, उन्हें बिहार से अधिक आर्थिक सहायता मिली है.

उन्होंने अनुरोध किया है कि नदियों को जोड़ने, बांधों एवं नहरों को बनाने की उपर्युक्त सभी योजनाओं को केंद्र सरकार से 'राष्ट्रीय योजना' घोषित कराने की मांग की जाए जिससे एक तरफ तो इन योजनाओं के ससमय क्रियान्वयन हेतु निधि की शतप्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और वहीं दूसरी तरफ राज्य के अल्प संसाधनों की उपयोगिता राज्य की अन्य विकासात्मक एवं कल्याणात्मक योजनाओं के कार्यान्वयन में हो सके.

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