ज्ञानवापी, तेजोमहालय और विष्णु स्तंभ पर अपना अधिकार वापस मांगना असहिष्णुता नहीं: जगद्गुरु रामभद्राचार्य

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Published : May 12, 2022, 9:26 AM IST

श्री रामभद्राचार्य महाराज

महावीर मंदिर पटना (Mahavir Mandir patna) पहुंचे पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि अपने अधिकार को मांगना असहिष्णुता नहीं है. अपने अधिकार खोकर बैठे रहना महादुष्कर्म है. धार्मिक शिक्षा को स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाना बेहद जरूरी है.

पटनाः बिहार की राजधानी पटना के प्रतिष्ठित महावीर मंदिर में बुधवार को तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य महाराज (Jagadguru Rambhadracharya Maharaj) ने भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की. इस दौरान उन्होंने अपनी नई रचना को हनुमान जी के सामने सुनाया. इसके बाद पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में रहना है तो राघव का गुणगान करना होगा बाबर का नहीं. इस मौके पर महावीर मंदिर के आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) भी मौजूद रहे.

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भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करने के बाद रामभद्राचार्य महाराज ने प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने बनारस में काशी विश्वनाथ परिसर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद की चर्चा की. उन्होंने कहा कि मस्जिद में जो ज्ञान व्यापी कुआं है, उसका जल पीने के बाद आदमी सर्वोच्च ज्ञानी बन जाता है और उन्होंने भी उसके जल को पीया है. लाउडस्पीकर विवाद पर उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सहअस्तित्व में विश्वास रखता है और मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाना बहुत उचित है. ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे होना चाहिए.

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'बीते समय में आक्रांताओं ने 30,000 से अधिक मंदिरों को ध्वस्त कर वहां पर मस्जिद और अन्य निर्माण किए. ज्ञानवापी कुआं का पौराणिक पुराणों में वर्णन है. जहां ताजमहल है वो भगवान शिव का प्रख्यात मंदिर रहा है. जिसे तेजोमहालय के नाम से जाना जाता था. अपने अधिकार को मांगना असहिष्णुता नहीं है. अपने अधिकार खोकर बैठे रहना महादुष्कर्म है'- श्री रामभद्राचार्य महाराज, जगद्गुरु

'विष्णु स्तंभ की मांग जायज है': कुतुबमीनार को विष्णु स्तंभ का दर्जा दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 30,000 से अधिक मंदिरों और हिंदू धार्मिक स्थलों को मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा बर्बाद किया गया है. या फिर उसे बदल दिया गया है. ऐसे में यह जो मांग की जा रही है कि विष्णु स्तंभ का दर्जा दिया जाने की यह जायज है. नई शिक्षा नीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि धार्मिक शिक्षा को स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाना बेहद जरूरी है. ताकि नई पीढ़ी में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार का भी वास हो.

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