इस नटवरलाल से SP-DIG तो छोड़िए.. DGP भी खा गए गच्चा, जानिए श्री 420 की इनसाइड स्टोरी

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Published : Oct 17, 2022, 11:16 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 7:42 AM IST

आईपीएस आदित्य कुमार

आईपीएस आदित्य कुमार के कारनामों से पुलिस महकमा हैरान है. आदित्य कुमार के करीबी मित्र अभिषेक अग्रवाल को आर्थिक अपराध इकाई ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. अभिषेक पहले भी जेल जा चुका है. बावजूद इसके आईपीएस ऑफिसर के क्लोज रिंग में रहता था. अभिषेक अधिकारियों को फर्जी सीनियर ऑफिसर बन कर धमकाने का काम करता था. इस बार तो उसने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनकर डीजीपी को ही अपने चंगुल में फंसा लिया.

पटना: बिहार में नटवरलाल की कमी नहीं है. सोशल मीडिया के दौर में कब कैसे ठग लिया जाए कोई नहीं जानता. राजधानी पटना का नटवरलाल अभिषेक अग्रवाल ने राज्य के डीजीपी को ही झांसे में ले लिया. आईपीएस आदित्य कुमार से सांठगांठ कर अभिषेक अग्रवाल ने बड़े कारनामे को अंजाम दिया. अभिषेक अग्रवाल और अमित कुमार ने मिलकर एक गेम प्लान किया और फर्जी सिम कार्ड जारी कराया.

फर्जी सिम कार्ड से खेल: नटवरलाल अभिषेक गोलकिया ने पटना सिटी के खाजेकलां से वोडाफोन का नंबर 9709303397 का सिम कार्ड जारी कराया था. पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की तस्वीर डीपी में लगाई गई. सिम कार्ड राहुल कुमार के नाम से जारी किया गया था और बीजेपी के सरकारी नंबर 9431602303 पर कारनामे को अंजाम दिया गया.

जानिए श्री420 की इनसाइड स्टोरी


इस मामले में IPS आदित्य पर गिरफ्तारी की तलवार : दरअसल 2011 बैच के आईपीएस आदित्य कुमार गया के एसएससी हुआ करते थे. मुख्यमंत्री के आदेश पर गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ फतेहपुर थाने में उत्पाद अधिनियम की धारा 51 के तहत 312/2022 मुकदमा दर्ज कराया गया था. जिसमें थाना प्रभारी संजय कुमार और आदित्य कुमार अभियुक्त थे. आदित्य कुमार को दंड स्वरूप गया से हटाया गया. कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद आदित्य कुमार लंबे समय तक छुट्टी पर रहे. लेकिन हाई कोर्ट से बेल मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय में एआईजी इंस्पेक्शन के पद पर उनकी जॉइनिंग हुई. आपको बता दें कि आदित्य कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 353, 387, 419, 420 ,467 468, 120 बी धारा 66 सी और 66 डी के तहत मामला दर्ज कराया गया था.


फर्जी चीफ जस्टिस बनकर डीजीपी को दिया झांसा: आईपीएस आदित्य कुमार ने अपने ऊपर लगे आरोपों से मुक्ति के लिए अभिषेक अग्रवाल के साथ गेम प्लान किया. योजना के मुताबिक अभिषेक अग्रवाल को छद्म मुख्य न्यायधीश बनाया गया. अभिषेक अग्रवाल ने मुख्य न्यायाधीश के नाम पर बिहार के डीजीपी एसके सिंघल को फोन किया और आदित्य कुमार पर चल रहे प्रोसीडिंग खत्म करने का आदेश दिया. अभिषेक अग्रवाल मुख्य न्यायाधीश बन कर 30 से 40 बार डीजीपी एसके सिंघल से बात करते हैं. फिर आदित्य कुमार को डीजीपी के स्तर से क्लीनचिट दे दिया जाता है. मामले की भनक जब मुख्यमंत्री सचिवालय को लगी तब पुलिस महकमे में हड़कंप मचा. जांच की कार्रवाई शुरू हुई.

मुख्यमंत्री सचिवालय के एक्टिव होने पर खुली पोल: अभिषेक अग्रवाल को साइबर सेल की टीम ने गिरफ्तार किया. चुपके से कोर्ट में पेश किया और फिर जेल भी भेज दिया गया. क्योंकि इस शख्स ने पुलिस महकमे में ऐसी सनसनी मचाई है कि बड़े-बड़े अधिकारी भी अपना चेहरा बचा रहे हैं. अभिषेक अग्रवाल ने गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार की पैरवी के लिए एक बड़ी साजिश रची. इस साजिश के तहत खुद अभिषेक अग्रवाल ने पटना हाई कोर्ट के एक सीनियर जज की फेक आई डी बनाई और फिर जज बनकर आदित्य कुमार के केस को जल्द ख़त्म करने का दबाव बड़े साहेब पर बनाया. अब बड़े साहब इतना डर गए थे कि आनन फानन में जाँच रिपोर्ट में मिस्टेक ऑफ़ फैक्ट बताते हुए रिपोर्ट कोर्ट में जमा कराया. पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार को इस मामले में क्लीन चिट दे दिया गया. लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री सचिवालय की नजर पड़ी और मामले की जांच EoU और साइबर सेल को दी गई. ईओयू की टीम ने अभिषेक को धर दबोचा. कई सिम कार्ड और मोबाईल फोन मिले हैं. जाँच में सामने आया की इन्ही नम्बरों से कॉल किया गया था.


अभिषेक गोलकिया का काला चिट्ठा: यह भी जानकारी मिली है कि अभिषेक के ऊपर पूर्व में भी ऐसे मामले दर्ज हैं. दिल्ली पुलिस ने भी इसे जेल भेजा था. दिल्ली के कमला मार्केट थाना में भी उनके खिलाफ 43 /2021 केस दर्ज किया गया था. 16 मार्च 2021 को अभिषेक जेल भेजा गया था और 5 दिन अभिषेक तिहाड़ जेल में रहा था. अभिषेक पर आरोप था कि एमसीडी के एमडी को गृह मंत्री के सचिव साकेत सिंह के नाम पर धमकाने का काम किया था. अभिषेक अग्रवाल के खिलाफ बिहार के कहलगांव थाने में भी प्राथमिकी दर्ज कराया गया था. अभिषेक ने आईपीएस ऑफिसर सौरभ शाह के पिता कृष्ण कुमार से लगभग एक करोड़ की ठगी की थी. कहलगांव थाना में आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

''आर्थिक अपराध इकाई पूरे मामले की जांच कर रही है. अभिषेक अग्रवाल और आदित्य कुमार के अलावा कुछ और लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. मामले में आदित्य कुमार, अभिषेक अग्रवाल, गौरव राज शुभम कुमार और राहुल रंजन को अभियुक्त बनाया गया है''- जितेन्द्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय


एसके पुरी थानेदार को भी हड़का चुका है अभिषेक: अभिषेक के खिलाफ पटना के श्री कृष्णापुरी थाने में भी 2015 में थानेदार को धमकाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराया गया था. लेकिन किसी सीनियर आईपीएस ऑफिसर ने केस को फॉल्स करार दे दिया. FIR में अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि आईपीएस आदित्य कुमार के हमारे करीबी संबंध हैं. पिछले 4 साल से हमारी उनकी मित्रता है. आदित्य के खिलाफ चल रहे मुकदमों को लेकर हम लोगों ने प्लान बनाया और केस खत्म कराने के लिए मुख्य न्यायाधीश के नाम से डीजीपी को फोन किया गया.

EoU और साइबर टीम की जांच जारी: आपको बता दें कि गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ चल रहा मामला सितंबर के पहले पखवाड़े में खत्म हो गया. डीजीपी ने पूरे मामले में आदित्य कुमार को क्लीन चिट भी दे दिए. एडीजी मुख्यालय जी एस गंगवार ने कहा कि आर्थिक अपराध इकाई पूरे मामले की जांच कर रही है. अभिषेक अग्रवाल और आदित्य कुमार के अलावा कुछ और लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. मामले में आदित्य कुमार, अभिषेक अग्रवाल, गौरव राज शुभम कुमार और राहुल रंजन को अभियुक्त बनाया गया है. एडीजी ने कहा कि मामले में जो कोई भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.


Last Updated :Oct 18, 2022, 7:42 AM IST
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