कोरोना काल में हनुमान एम्बुलेंस कर रही संजीवनी का काम, समय पर अस्पताल पहुंचा बचा रही जान

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Published : Dec 18, 2020, 6:00 AM IST

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ई रिक्शा को मॉडिफाइ कर एम्बुलेंस बनाया गया है. इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी दवाएं रखने के लिए उचित स्थान बनाए गए हैं. मरीज के साथ दो लोग आराम से बैठ सकते हैं. मरीज को अकेला आदमी भी एम्बुलेंस पर चढ़ा सकता है.

पटना: बिहार के युवा डॉक्टर और उनके मित्रों ने मिलकर एक ऐसी पहल की है जो मरीजों के लिए संजीवनी की तरह काम कर रही है. इनके द्वारा शुरू की गई हनुमान एम्बुलेंस सेवा लोगों के लिए संकट मोचक साबित हो रही है. इसकी मदद से मरीज समय पर और कम पैसे खर्च कर अस्पताल पहुंचा रहे हैं.

कोरोना काल में आया आइडिया
कोरोना काल और लॉकडाउन में मरीजों को अस्पताल लाने और ले जाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. न तो समय पर एम्बुलेंस मिलता और न ही गूगल पर उपलब्ध नंबर काम करते. ऐसे में लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए पटना के युवा डॉक्टर नीरज झा ने कुछ करने की ठान ली. मकसद था कि हर जरूरतमंद को समय पर और सस्ते दर पर एम्बुलेंस उपलब्ध हो सके. डॉक्टर नीरज ने अपने 3 दोस्तों (संतोष सिंह, दीपक कुमार और संदीप कुमार) के साथ मिलकर हनुमान एम्बुलेंस की शुरुआत की.

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ई रिक्शा को मॉडिफाइ कर एम्बुलेंस बनाया.

जरूरतमंदों को सस्ती और इको फ्रेंडली एम्बुलेंस की सेवा देने के लिए ई-रिक्शा को एम्बुलेंस में तब्दील किया गया. डॉक्टर नीरज ने बताया "कोरोना काल में एम्बुलेंस की कमी से लोग काफी परेशान थे. एम्बुलेंस वाले मनमाना पैसा मांगते थे. इसलिए हम लोगों ने इस एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की ताकि कोई मरीज एम्बुलेंस की कमी के कारण इलाज से वंचित न रह जाए."

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डॉ. नीरज झा, फाउंडर, हनुमान एंबुलेंस

डॉ नीरज ने कहा "मरीज को एक अकेला आदमी भी इस एंबुलेंस पर चढ़ा सकता है. किराया भी काफी कम है. बेस चार्ज 50 रुपए और 8 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से रुपए लिए जाते हैं. एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी दवाएं रखने के लिए भी उचित स्थान बनाए गए हैं. मरीज के साथ दो लोग आराम से बैठ सकते हैं."

देखें रिपोर्ट

ऐप से बुक कर सकते हैं एम्बुलेंस
"हमने एक ऐप भी डेवलप किया है जिसके जरिए लोग आसानी से एम्बुलेंस बुक कर सकते हैं. किसी को अगर बिहार से बाहर भी जाना है तो उनके लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है. ऐप पर जाकर लोग डिटेल्स डालेंगे तो उन्हें एम्बुलेंस उपलब्ध हो जाएगा. अब तक 6 ई-रिक्शा और दूसरे एम्बुलेंस को मिलाकर कुल 300 एम्बुलेंस हमारे साथ जुड़ चुके हैं. वैसे लोग जो स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करते उनके लिए हमने टोल फ्री नंबर (18008891588) भी जारी किया है. इस नंबर पर कॉल करके लोग एम्बुलेंस को आसानी से अपने स्थान तक बुला सकते हैं. अब तक हमने करीब 2000 से अधिक लोगों की मदद की है. हमारा मकसद सिर्फ एक है कि अधिक से अधिक लोगों की मदद हो ताकि अधिक जानें बच सकें."- डॉ. नीरज झा, फाउंडर, हनुमान एंबुलेंस

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एम्बुलेंस में मरीज के साथ दो लोग आराम से बैठ सकते हैं

"मरीजों को अस्पताल जाने में काफी असुविधा होती थी. इसका ख्याल रखते हुए हमने इस पर काम किया. हमारी कोशिश है कि हर उस व्यक्ति की मदद करें, जिसके पास समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाता. हमने लोगों को रोजगार भी दिया है. लगभग 20 लोग फुल टाइम हमारे साथ जुड़े हैं और लगभग ढाई सौ लोग आवश्यकता अनुसार हमसे जुड़े रहते हैं. हमारी कोशिश है कि बिहार के हर एक मरीज को अस्पताल जाने के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध हो."- संतोष सिंह

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