कब बदलेगी गाइडलाइन? HR-CT से पुष्टि को कोरोना मरीज नहीं मानती सरकार, सूची में नाम दर्ज कराने दर-दर भटक रहे परिजन

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Published : Jun 17, 2021, 8:07 AM IST

Updated : Jun 20, 2021, 6:38 AM IST

ICMR के गाइडलाइन में बदलाव की मांग

कोरोना की जांच के लिए किए जा रहे एंटीजन और RT-PCR टेस्ट से अलग एक और जांच है जिसका नाम है HR-CT स्कैन. ऐसे कई मरीजों की एंटीजन और RT-PCR में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर HR-CT टेस्ट में संक्रमित पाया गया है. हालांकि इसे सरकार से मान्यता नहीं मिली है. ऐसे में मेडिकल एक्सपर्ट ने कहा कि इस टेस्ट को मान्यता मिलनी चाहिए. साथ ही साथ ICMR को भी अपने गाइडलाइन में बदलाव करना चाहिए.

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona virus) की दूसरे लहर में काफी संख्या में लोग पॉजिटिव हुए इनमें से करीब 15% ऐसे मरीज रहे जिनकी एंटीजन और आरटीपीसीआर (RT-PCR) रिपोर्ट नेगेटिव थी, लेकिन एचआरसीटी चेस्ट स्कैन कराने पर वायरस की पुष्टि हुई. ऐसे में जिन मरीजों की जांच रिपोर्ट एचआरसीटी (High resolution computed tomography) में पॉजिटिव आयी. उनका चिकित्सकों ने कोरोना गाइडलाइंस के तहत इलाज किया और काफी संख्या में मरीज ठीक भी हुए मगर कई मरीजों की जान भी गई.

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HR-CT में कोरोना संक्रमण की पुष्टि..लेकिन
अब ऐसे में राज्य सरकार द्वारा कोरोना से मृत व्यक्ति के परिजनों को जो सहायता राशि देती है. उससे ऐसे संक्रमित मरीजों के परिजन वंचित हो जा रहे हैं. जिनका एचआरसीटी में रिपोर्ट पॉजिटिव है, लेकिन सरकार कोरोना के लिए एचआरसीटी जांच को मान्य नहीं मानती है. पटना के कंकड़बाग के रहने वाले शंभू शरण सहाय को अप्रैल महीने में सर्दी खांसी के साथ बुखार की शिकायत हुई. परिजनों ने दो बार एंटीजन किट से और एक बार RT-PCR टेस्ट कराया, मगर रिपोर्ट नेगेटिव आई. वहीं तबीयत में सुधार नहीं आई और स्थिति बिगड़ने लगी तब चेस्ट का सिटी स्कैन कराने पर रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण का पता चला. तब तक शंभू शरण का फेफड़ा 80% तक खराब हो गया था. जिसके बाद इलाज के दौरान अप्रैल में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.

कब बदलेगी सरकार की गाइडलाइन
कब बदलेगी सरकार की गाइडलाइन

सरकारी अनुदान को लेकर परेशानी
वहीं शंभू शरण सहाय का इलाज अस्पताल में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हुआ. अब उनके परिजन उनकी मौत को प्रदेश में कोरोना से मृतकों की सूची में दर्ज कराने के लिए परेशान हैं. इस प्रकार के पटना में कई ऐसे मामले सामने आए हैं. वहीं इस तरह के मामले पर पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि एंटीजन किट की सटीकता 45 से 50 फ़ीसदी रहती है. आरटी पीसीआर किट जिसे गोल्ड स्टैंडर्ड भी माना जाता है उसकी सटीकता लगभग 70% से 80% तक के बीच रहती है.

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'कई केसेज में ये भी देखने को मिला है कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट फॉल्स नेगेटिव है. ऐसे केसेज के लिए हाई रेजोल्यूशन चेस्ट एक्स-रे करना यानी कि एचआरसीटी में डिटेक्ट होता है कि लंग्स में कोविड-19 के इंफेक्शन के पैटर्न हैं. ऐसे में उसके आधार पर सीटी वैल्यू तय की जाती है कि इंफेक्शन का लंग्स पर कितना इंवॉल्वमेंट रहा है.' :- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक

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कई देशों में HR-CT टेस्ट को मान्यता
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि चीन में और अन्य कई देशों में भी कोरोना जांच के तौर पर एचआरसीटी की मान्यता है. आईसीएमआर ने भी कहा है कि एचआरसीटी में अगर वायरस के इंफेक्शन का पैटर्न नजर आते हैं तो कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत मरीज का इलाज करना है. वहीं आईसीआईएमआर (ICMR) ने कोरोना की डायग्नोसिस के लिए एचआरसीटी को मान्यता नहीं दी है. सिर्फ आरटीपीसीआर और एंटीजन किट को ही मान्यता दी है.

कोरोना की जांच कराते मरीज
कोरोना की जांच कराते मरीज

'अभी के समय में आईसीएमआर अपने गाइडलाइन में परिवर्तन करना चाहिए. कोरोना के जांच के लिए एचआरसीटी को भी मान्यता देता कि एचआरसीटी से जिन मरीजों का कोरोना का पता चले उन्हें सरकार द्वारा कोविड-19 के मरीजों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ मिल सके.' :- डॉ दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक

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क्या होता है HR-CT टेस्ट?
सीटी स्कैन का मतलब है Computerized Tomography Scan. टोमोग्राफ़ी का मतलब किसी भी चीज़ को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसका अध्ययन करना. कोविड के केस में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो है HR-CT चेस्ट यानी सीने का हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन. इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों की एक 3डी यानी त्रिआयामी इमेज बनती है जो बहुत बारीक डिटेल्स भी बताती है. इससे ये पता चल जाता है कि क्या फेफड़ों में किसी तरह का कोई इन्फेक्शन है?

ईटीवी इंफो ग्राफिक्स
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यदि इंफ़ेक्शन है, तो कितना गहरा है, कहां तक फैला है इस प्रक्रिया में आपको एक बेंच पर लिटाया जाता है. लिटाने के पहले आपसे कहा जाता है कि धातु का बना सारा सामान या गहना उतार दीजिए. फिर वो बेंच सरककर एक छल्ले की तरह की मशीन में चली जाती है. मशीन शरीर के भीतर की तस्वीरें लेती है, ठीक वैसे ही जैसे एक्स-रे होता है. लेकिन एक्स-रे से ज़्यादा व्यापक और सटीक जानकारी के साथ.

सीटी स्कोर...सीटी वैल्यू क्या है?
यहां कुछ चीजें समझनी हैं. मसलन ये कि सीटी वैल्यू जितनी कम होती है, संक्रमण उतना अधिक होता है और ये जितना अधिक होती है, संक्रमण उतना ही कम होता है. ICMR (Indian Council of Medical Research) ने अभी सीटी वैल्यू 35 निर्धारित की हुई है. इसका अर्थ ये है कि 35 और इससे कम सीटी वैल्यू पर कोविड पॉजिटिव माना जाएगा और 35 से ऊपर यदि सीटी वैल्यू है तो पेशेंट को कोविड नेगेटिव माना जाएगा.

ईटीवी इंफो ग्राफिक्स
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सीटी स्कोर से ये पता चलता है कि इंफेक्शन ने फेफड़ों को कितना नुकसान किया है. अगर ये स्कोर अधिक है तो फेफड़ों को नुकसान भी अधिक हुआ है और यदि स्कोर नॉर्मल है तो इसका अर्थ ये है कि फेफडों में कोई नुकसान नहीं हुआ है. इस नम्बर को CO-RADS कहा जाता है. यदि CO-RADS का आंकड़ा 1 है तो सब नॉर्मल है. लेकिन यदि CO-RADS 2 से 4 है तो हल्का फुल्का इन्फेक्शन है लेकिन यदि ये 5 या 6 है तो पेशेंट को कोविड माना जाता है.

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Last Updated :Jun 20, 2021, 6:38 AM IST
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