...तो क्या NDA से एग्जिट का बहाना ढूंढ रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार?

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Published : Jan 18, 2022, 3:32 PM IST

जेडीयू और बीजेपी में तनातनी

बिहार की राजनीति में तूफान के पहले की खामोशी जैसा माहौल है. पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने तो चुप्पी साध रखी है लेकिन जेडीयू और बीजेपी में तनातनी (Dispute Between JDU and BJP) बढ़ती जा रही है. ऐसे में ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या नीतीश बीजेपी से अलग होने का बहाना ढूंढ रहे हैं? पढ़ें खास रिपोर्ट...

पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में महासंग्राम छिड़ा हुआ है. जेडीयू और बीजेपी में तनातनी (Dispute Between JDU and BJP) बढ़ती जा रही है. दोनों के बीच सियासी लड़ाई धमकी तक आ पहुंची है. दोनों दलों के नेता आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं. नेताओं ने गठबंधन धर्म को भी तिलांजलि दे दी है. इन सब के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने चुप्पी साध रखी है. जिस वजह कई चीजों पर स्थिति स्पष्ट होती नहीं दिख रही है. दरअसल, कुछ मुद्दों को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच गहरे मतभेद हैं. सम्राट अशोक के मामले ने आग में घी का काम किया और लड़ाई आर-पार तक पहुंच गई. जेडीयू नेता अपने स्टैंड से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.

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जेडीयू हाल के कुछ दिनों में स्पेशल स्टेटस को लेकर मुखर है. नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से जेडीयू नेता बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जा की मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ जातिगत जनगणना को लेकर भी जेडीयू की तरफ से बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए गए. जेडीयू की तरफ से कहा गया कि जातिगत जनगणना पर बीजेपी सहयोग नहीं कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जातिगत जनगणना को लेकर असमर्थता जाहिर कर चुके हैं.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भी जेडीयू को निराशा हाथ लगी है. यूपी में बीजेपी ने जेडीयू को गठबंधन में जगह नहीं दी है. उत्तर प्रदेश में जेडीयू अकेले चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी में है. सम्राट अशोक पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर भी जेडीयू नेताओं ने आंदोलन छेड़ रखा है और अवार्ड वापसी की मांग पर अड़े हैं. हालांकि बीजेपी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है. प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने स्पष्ट किया है कि अवार्ड वापसी कि कोई परिपाटी अब तक सामने नहीं आई है. बावजूद इसके जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि इस मुद्दे पर हम पीछे नहीं हटेंगे.

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वहीं, शराबबंदी कानून पर भी बीजेपी नेता हमलावर हैं. संजय जायसवाल लगातार जहरीली शराब से मौत के मामले को लेकर उनकी सरकार पर हमले कर रहे हैं. इसके साथ ही समीक्षा की मांग भी की जा रही है. बिहार में जब राजनीतिक परिस्थितियां नीतीश कुमार के प्रतिकूल होती है तो वह चुप्पी साध लेते हैं और अपने जूनियर नेताओं को सहयोगी दलों पर हमले करने के लिए लगा देते हैं. जब महागठबंधन से अलग हो रहे थे, तब भी माहौल ऐसा ही था. पार्टी के प्रवक्ता अजय आलोक तब लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर रोज हमले कर रहे थे और परिणति क्या हुई, वह सबके सामने है.

एक बार फिर नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में असहज महसूस कर रहे हैं. उनकी मांगे पूरी नहीं हो रही है, ऐसे में जेडीयू की ओर से सबसे जूनियर प्रवक्ता अभिषेक झा को बीजेपी के प्रदेश स्तर के शीर्ष नेताओं पर हमले करने के लिए लगा दिया गया है. ऐसी परिस्थिति में बीजेपी नेताओं को धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ा है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय झा ने कहा कि नीतीश कुमार को एनडीए में हर रोज बीजेपी के नेता अपमानित कर रहे हैं और वह अपमान का घूंट पीकर कुर्सी से चिपके हैं, उन्हें जल्द फैसला लेना चाहिए.

हालांकि जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बीजेपी और जेडीयू दोनों अलग-अलग दल हैं. अलग-अलग मुद्दों पर राय अलग-अलग हो सकते हैं. इसको इस रूप में नहीं समझा जाना चाहिए कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में मतभेद है. नीतियों के क्रियान्वयन में कोई मतभेद नहीं है और गठबंधन एकजुट है. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन मजबूत है लेकिन कुछ लोग भस्मासुर की भूमिका में है. वह जिस डाल पर बैठते हैं, उसी डाल को काटते हैं. ऐसे में जेडीयू को वैसे नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए.

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तो क्या नीतीश बीजेपी से अलग होने का बहाना ढूंढ रहे हैं, इस सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि बिहार की राजनीति में सब कुछ ठीक-ठाक तो नहीं कहा जा सकता है. वे कहते हैं कि वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वैकल्पिक राजनीति के लिए जाना जाता है. उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले या फिर चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में बड़े उलटफेर हो सकते हैं.

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