UP की तर्ज पर BJP ने की मस्जिद से लाउडस्‍पीकर हटाने की मांग, JDU का जवाब- नीतीश मॉडल से चलेगा बिहार

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Published : Apr 30, 2022, 7:54 PM IST

लाउडस्‍पीकर पर बीजेपी और जेडीयू में मतभेद

उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी लाउडस्पीकर को लेकर राजनीति गरमाने लगी है. हालांकि इसको लेकर बीजेपी और जेडीयू में मतभेद (Differences between JDU and BJP) साफ नजर आ रहा है. बीजेपी कोटे से मंत्री जनक राम ने जहां कानून बनाकर मंदिर-मस्जिद से लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर दी तो वहीं सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने इसे 'फालतू बात' बताकर उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया. हालांकि बीजेपी के रुख से लगता नहीं कि ये विवाद आसानी से ठंडा पड़ने वाला है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

पटना: उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी मंदिर और मस्जिद में मस्जिद में लाउडस्पीकर को लेकर सियासत (Politics over Loudspeaker in Mosque) शुरू हो गई है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से कहा गया है कि जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में अवैध लाउडस्पीकर को अभियान चलाकर हटाया जा रहा है, उसी तरीके से बिहार में भी अभियान चलाने की जरूरत है. बिहार सरकार के खान मंत्री जनक राम (Janak Ram statement about loudspeaker) ने कहा कि धर्म कानून से बड़ा नहीं होता है. यूपी में यह कानून लागू हुआ है तो इसका असर बिहार में जरूर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि बिहार में भी इस कानून को लागू करेंगे. मंत्री ने कहा कि जब बिहार में कानून आएगा तो यहां भी मंदिर और मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटेगा. हालांकि लाउडस्पीकर को लेकर मंत्री जनक राम का बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पसंद नहीं आया. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए इसे 'फालतू बात' करार दे दिया.

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लाउडस्पीकर को लेकर नीतीश कुमार का बयान: वहीं, शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम माझी के आवास पर इफ्तार पार्टी बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar statement about loudspeaker) से पत्रकारों ने पूछा कि उनके मंत्रिमंडल में खान मंत्री जनक राम ने ये मांग दोहरायी कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाया जाना चाहिए. इस पर सीएम ने कहा कि ऐसी मांग फालतू बात है और राज्य में ऐसी मांगों से वो सहमत नहीं हैं. उन्होंने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों का नाम लिए बिना कहा कि जिसे जो कहना है, वो कहें.

मस्जिद से लाउडस्‍पीकर हटाने की मांग: बिहार बीजेपी की प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि यूपी के तरह ही बिहार में भी धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर को हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर के जरिए तेज आवाज करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण भी होता है. यह कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध है. लिहाजा इस पर बिहार सरकार को भी कार्रवाई करनी चाहिए.

"मुझे लगता है कि यूपी की तर्ज पर बिहार में भी धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर को हटाया जाना चाहिए. रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर के जरिए तेज आवाज करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. ऐसे में इस पर बिहार सरकार को भी कार्रवाई जरूर करनी चाहिए"- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी

लाउडस्पीकर पर बीजेपी-जेडीयू आमने-सामने: मस्जिद से लाउडस्‍पीकर हटाने की मांग पर एनडीए में मतभेद साफ नजर आता है. बीजेपी की मस्जिद से लाउडस्‍पीकर हटाने की मांग पर जेडीयू नेता डॉ. सुनील कुमार का मानना है कि बिहार में किसी योगी मॉडल की जरूरत नहीं है. वे कहते हैं कि राज्य के अंदर सभी धर्मों के लोगों को स्वतंत्रता है और उसी हिसाब से ही काम करते हैं. बिहार में नीतीश मॉडल चलेगा और इस तरीके के विवाद का कोई मतलब नहीं है.

"लाउडस्पीकर का मामला हो या कुछ और बिहार में किसी योगी मॉडल की जरूरत नहीं है. राज्य के अंदर सभी धर्मों के लोगों को स्वतंत्रता है और उसी हिसाब से ही काम करते हैं. बिहार में नीतीश मॉडल चलेगा और इस तरीके के विवाद का कोई मतलब नहीं है"- डॉ. सुनील कुमार, नेता, जनता दल यूनाइटेड

धर्म की राजनीति करते हैं बीजेपी के लोग: इस बारे में राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास के दावे करते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके दल के लोग धर्म की राजनीति कर रहे हैं और लोगों को बांटने का काम कर रहे हैं. मैं मानता हूं कि इस देश में हर किसी को अपने धर्म को मानने और उसके हिसाब से पूजा या इबादत का पूरा अधिकार है.

"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास के दावे करते हैं लेकिन उनके दल के लोग धर्म की राजनीति कर रहे हैं और लोगों को बांटने का काम कर रहे हैं. मुझे लगता है कि बीजेपी के बड़े नेताओं को सामने आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. क्या ऐसे कदम से सबका साथ सबका विकास का नारा सच होगा"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

लाउडस्‍पीकर विवाद पर सियासी संग्राम: वहीं, बिहार में लाउडस्‍पीकर को लेकर छिड़े सियासी संग्राम पर वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि लाउडस्पीकर विवाद को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. वे कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने मंदिर और मस्जिद दोनों जगहों से अवैध लाउडस्पीकर हटवाए हैं लेकिन बिहार में विवाद को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. यह पहला वाकया नहीं है जब बीजेपी और जेडीयू के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो. इससे पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड, जनसंख्या नियंत्रण, सीबीएसई के सिलेबस और बुलडोजर को लेकर भी दोनों दलों के नेता आमने-सामने रहे हैं.

"लाउडस्पीकर विवाद को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. यूपी में योगी आदित्यनाथ ने मंदिर और मस्जिद दोनों जगहों से अवैध लाउडस्पीकर हटवाए हैं लेकिन बिहार में विवाद को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. यह पहला वाकया नहीं है जब बीजेपी और जेडीयू के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो. इससे पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड, जनसंख्या नियंत्रण, सीबीएसई के सिलेबस और बुलडोजर को लेकर भी दोनों दलों के नेता आमने-सामने रहे हैं"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध: आपको बता दें कि रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध है और तेज आवाज में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता है. दरअसल 17 साल पहले 2005 में सुप्रीम कोर्ट में लाउडस्पीकर बजाने पर महत्वपूर्ण आदेश दिया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऊंची आवाज सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है. हर शख्स को शांति से रहने का अधिकार है. लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है लेकिन यह अधिकार जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकता. कोर्ट ने साफ कहा था कि किसी को भी इतना शोर करने का अधिकार नहीं है कि पड़ोसी या दूसरे लोगों को परेशानी हो. कोई भी व्यक्ति लाउडस्पीकर बजाते हुए अनुच्छेद 19 (1)a के तहत मिले अधिकार का दावा नहीं कर सकता.

लाउडस्पीकर पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउड स्पीकर की आवाज क्षेत्र के लिए तय मानकों से ज्यादा नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जहां भी इन मानकों का उल्लंघन हो तो लाउडस्पीकर और उपकरण को जब्त करने की दिशा में राज्य कार्रवाई करें. 17 साल पहले लाउडस्पीकर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, तब इसकी वजह एक खौफनाक घटना सामने आई थी. एक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था और लाउडस्पीकर की तेज आवाज के कारण उस बच्ची की चीखें दब गई और तभी सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और लाउडस्पीकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गाइड लाइन तय किए गए.

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