लाउडस्पीकर विवाद के बाद अब पुजारी को वेतन देने को लेकर सियासी संग्राम, BJP की मांग पर JDU की चुप्पी

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Published : May 12, 2022, 8:04 PM IST

LoudSpeaker Controversy in Bihar

लाउडस्पीकर पर राजनीति के बाद अब बिहार के सियासी गलियारों (Bihar politics) में नई चर्चा छिड़ गई है. बीजेपी कोटे से बिहार सरकार में मंत्री प्रमोद कुमार ने राज्य के पंजीकृत मंदिरों के पुजारियों को वेतन देने की मांग उठाकर राजनीति गरमा दी है. हालांकि इस पर जेडीयू ने चुप्पी साध रखी है. पढ़ें खास खबर...

पटना: बिहार में लाउडस्पीकर विवाद (Loudspeaker Controversy in Bihar) अभी शांत भी नहीं हुआ कि एक और विवाद ने सियासत को गरमा दिया है. ऐसा लगता है कि पूरे देश के साथ ही प्रदेश में भी धार्मिक मसलों पर राजनीति की दिशा और दशा तय करनी की कोशिश में तमाम राजनीतिक दल जुटे हुए हैं. बिहार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार (Law Minister Pramod Kumar) ने मौलवियों की तरह ही मंदिर और मठों के पुजारियों के लिए वेतनमान (Demand for salary of priest in bihar) की मांग कर सूबे में सियासी भूचाल ला दिया है.

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बिहार के पुजारियों के पक्ष में खड़ी भाजपा: पहले लाउडस्पीकर और अजान को लेकर विवाद हुआ और अब बिहार में पुजारी को तनख्वाह देने की मांग जोर शोर से उठने लगी है. भाजपा कोटे के विभागीय मंत्री ने मामले को जोर-शोर से उठाया है. प्रमोद कुमार ने कहा है कि मंदिरों के पुजारियों के लिए भी वेतन की व्यवस्था होनी चाहिए. अभी तक ऐसी व्यवस्था बिहार में कायम नहीं है. मंदिर से जो आमदनी होती है उससे एक निश्चित राशि वेतन के तौर पर मंदिर के पुजारियों को दिया जाना चाहिए ताकि उनका जीवन का भरण पोषण हो सके.

पुजारियों के लिए वेतनमान की मांग: मस्जिद में काबिज मौलाना को तनख्वाह तो मिलती है लेकिन मंदिर के पुजारी के लिए तनख्वाह की व्यवस्था नहीं है. बिहार में बड़ी संख्या में मस्जिदों में नमाज पढ़ने वाले मौलवी और मोअज्जिन अजान देने वाले नियुक्त किए गए हैं. उन्हें 5 से 8000 प्रति माह उनको वेतन दी जाती है. बिहार के सुन्नी वक्फ बोर्ड उनके वेतन की व्यवस्था करती है. इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड भी है. बोर्ड के जरिए भी मौलवी को वेतन दिया जाता है.

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प्रति वर्ष तीन करोड़ का अनुदान : बिहार के मस्जिदों में जहां दुकान या अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान है या फिर दान मिलता है उसी रकम से मौलवी के मानदेय या वेतन की व्यवस्था होती है. मगर ज्यादातर मस्जिदों में मौलवी के वेतनमान की व्यवस्था सुन्नी वक्फ बोर्ड के जरिए होती है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को बिहार सरकार की ओर से हर साल 3 करोड़ रुपए अनुदान मिलते हैं और इसी से कर्मचारियों का वेतन भी चलता है. पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में वहां के सुन्नी बोर्ड मानदेय दे रहे हैं.

करनी होगी 4000 पुजारियों के लिए तनख्वाह की व्यवस्था: पुजारियों की अगर बात कर लें तो उनका खर्चा भगवान भरोसे है. दान से ही उनकी रोजी-रोटी चलती है. बिहार के धार्मिक न्यास बोर्ड में लगभग 4000 मंदिर निबंधित हैं और फिलहाल 4000 पुजारियों के लिए तनख्वाह की व्यवस्था करनी होगी. इसके अलावा बड़ी संख्या में मंदिर निबंधन के लिए प्रक्रियाधीन है.आपको बता दें कि बिहार के मठ मंदिर और वक्फ बोर्ड के पास अरबों रुपए की संपत्ति है मठ मंदिरों के परिसंपत्तियों के देखरेख का जिम्मा जहां न्यास बोर्ड के पास है. वहीं मस्जिदों की संपत्तियों के देखरेख का जिम्मा वक्फ बोर्ड के पास है.

"मंदिर के पुजारी भी गरीबी और मुफलिसी में जीवन जीने को मजबूर हैं. उनके भरण-पोषण के लिए भी सरकार को सोचने की जरूरत है. पुजारी को भी निश्चित वेतन मिले तभी वह जीवन यापन कर सकते हैं."- अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता

जदयू ने साधी चुप्पी: धार्मिक मामलों पर जदयू का स्टैंड भाजपा से अलग रहा है. हालांकि पुजारी के वेतन की मांग किए जाने के मसले पर नेताओं ने चुप्पी साध रखी है. पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि इस सरकार का मामला है. पार्टी के स्तर पर इस मुद्दे पर कुछ भी कहना मुनासिब नहीं होगा.

"अगर पुजारी को वेतन मिले तो इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कोई परेशानी नहीं है. जहां तक सवाल मौलवी को वेतन देने का है तो सरकार ये वेतन नहीं देती. वक्फ बोर्ड के जरिए मौलवियों को वेतन मिलता है. अगर पुजारी को भी न्यास समिति के जरिए तनख्वाह मिले तो किसी को दिक्कत नहीं है लेकिन भाजपा ऐसे मुद्दों को उठाकर सांप्रदायिक राजनीति को रंग देने की कोशिश करती है."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

"इन दिनों राजनीतिक दल धर्म के जरिए सियासत कर रहे हैं. कोई भी दल इसमें पीछे नहीं है. वोट बैंक साधने के लिए धर्म की राजनीति का सहारा लिया जा रहा है. राजनीतिक दल वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मुद्दों को हवा दे रहे हैं."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

मध्य प्रदेश में पुजारी को कितना मानदेय? : बता दें कि मध्य प्रदेश में मंदिर के पुजारी को मानदेय मंदिरों की जमीन के अनुपात में दिया जाता है. यानि जिस मंदिर के पास जमीन कम है उन्हें कम और जिन पर जमीन न के बराबर है उन्हें सबसे अधिक मानदेय मिलता है. यानी, जिन मंदिरों की जमीन नहीं है, उनके पुजारियों को 3000 रुपए महीना, जिन मंदिरों की 5 एकड़ या कम जमीन है, उनके पुजारियों को 2100 रुपए और जिन मंदिरों की 5 एकड़ से ज्यादा जमीन है, उनके पुजारियों को 1500 रुपए महीना मानदेय दिया जाता है.

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