खुलासे के बाद भी बिहार में PFI पर नहीं लगा बैन, JDU मंत्रियों में भी विरोधाभास

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Published : Jul 21, 2022, 1:16 PM IST

Updated : Jul 21, 2022, 2:03 PM IST

संजय जायसवाल और नीतीश कुमार

पीएफआई (PFI) के खिलाफ देश में सांप्रदायिक द्वेष और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में शामिल होने के सबूत मिलने के बाद बीजेपी के कई नेताओं ने बिहार सरकार से इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, लेकिन जदयू के मंत्रियों में इसे लेकर विरोधाभास (Contradictions Among JDU Ministers Over PFI) दिख रहा है. खबर में आगे पढ़िये क्या है, पीएफआई पर जदयू नेताओं की राय...

पटनाः फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल (Phulwari Sharif Terror Module) के बाद बिहार में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की गतिविधियों को लेकर जिस प्रकार से उद्भेदन हुए हैं, इससे साफ जाहिर के ये संस्था बिहार के लिए ये बड़ा खतरा है. इसके बावजूद बिहार में अब तक इस पर बैन नहीं लगा है. नीतीश सरकार फैसला नहीं ले पा रही है, जबकि बीजेपी की तरफ से लगातार बैन लगाने की मांग (Demand For Ban On Popular Front Of India) हो रही है. उधर जदयू में पीएफआई को लेकर एक राय नहीं दिख रही है. हालांकि जदयू के मंत्री सुनील कुमार का कहना है कि यहां भी बिहार सरकार विधि सम्मत कार्रवाई जरूर करेगी.

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बीजेपी नेताओं ने की है बैन की मांगः पीएफआई को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं. उन्माद फैलाने से लेकर देश विरोधी गतिविधियों में इस संस्था की संलिप्तता के खुलासे के बाद भी अब तक बिहार में नीतीश सरकार ने इस पर बैन नहीं लगाया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और बीजेपी मंत्री जीवेश मिश्रा ने भी बैन लगाने की मांग की है. बीजेपी के कई और नेताओं की ओर से भी यह मांग उठी है. वहीं, जदयू की तरफ से भी लगातार कहा जा रहा है कि जो संस्था राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल है, उस पर कड़ी कार्रवाई सरकार कर रही है. लेकिन जदयू के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान का कहना है अभी कुछ भी क्लियर नहीं हुआ है. संगठन को आप गलत नहीं कह सकते हैं, जांच चल रही है.

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जदयू नेताओं की अलग-अलग है रायः पीएफआई पर बैन को लेकर पूछे गए सवाल पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान का कहना है कि अभी तो कुछ भी क्लियर नहीं है. किसी के कहने से बैन नहीं लगेगा, कहते रहें. जांच चल रही है. जांच में कुछ गड़बड़ी होगी, तभी कोई कार्रवाई होगी. तो वहीं मंत्री मदन सहनी का कहना है कि समाचार से तो इनकी भूमिका साफ संदिग्ध लगती है और खुफिया एजेंसियों ने बड़ी घटना होने से पहले ही इनकी गिरफ्तारी कर ली है. जबकि मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि इस तरह की आतंकी गतिविधी पर पहले भी कार्रवाई होती रही है और आगे भी करवाई होगी. वहीं, मंत्री सुनील कुमार जो आईपीएस अधिकारी भी रहे हैं, उनका कहना है कि झारखंड सरकार का अपना निर्णय है, यहां भी बिहार सरकार विधि सम्मत कार्रवाई जरूर करेगी.

"कोई भी संगठन हो चाहे आरएसएस, बजरंग दल हो या पीएफआई हो. किसी न किसी पार्टी से जुड़ा हुआ है, जांच होनी चाहिए. अगर संगठन कुछ गलत करता है तभी कार्रवाई होनी चाहिए. किसी के कहने से बैन नहीं लगेगा. जो कह रहे हैं, कहने दीजिए किसी पार्टी के कहने से थोड़े प्रतिबंध लग जाएगा"- जमा खान, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

"देश विरोधी गतिविधि में शामिल लोगों का उद्भेदन कोई बड़ी घटना होने से पहले हमारी खुफिया एजेंसी ने किया है तो उसकी सराहना करनी चाहिए. बिहार में जो पकड़े गए हैं तो प्रशासनिक रूप से और भी सतर्क रहने की जरूरत है-समाचार से जो जानकारी मिल रही है, उसमें इनकी भूमिका संदिग्ध तो साफ दिख रही है"- मदन सहनी, समाज कल्याण मंत्री

वहीं, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का तो साफ कहना है कि इस तरह की आतंकी गतिविधियों में जो भी लोग लगे हैं, उनके खिलाफ बिहार में पहले भी कार्रवाई होती रही है और अभी भी कार्रवाई हो रही है. आगे भी होगी. वहीं, आईपीएस अधिकारी रहे मंत्री सुनील कुमार का कहना है कि विधि सम्मत जो भी कार्रवाई होगी. बिहार सरकार करेगी झारखंड में बैंन पर सुनील कुमार का कहना है कि वह झारखंड सरकार का अपना फैसला है. बिहार सरकार अपना फैसला लेगी.

नीतीश सरकार के फैसले का इंतजारः आपको बता दें कि पड़ोसी राज्य झारखंड में तो पहले से ही पीएफआई पर बैन है. बिहार में इस संस्था के तार जिस प्रकार से कई जिले में फैले हैं और एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं. साथ ही संस्था के पाकिस्तान बांग्लादेश सहित कई देशों से संपर्क होने के भी खुलासे हुए हैं. ऐसे में बैन लगाने की मांग बिहार में भी तेज हो रही है. अब देखना है नीतीश सरकार इस पर कब फैसला लेती है. ऐसे पीएफआई पर बैन को लेकर पुलिस मुख्यालय के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

कैसे चला बिहार में PFI की गतिविधियों का पताः दरअसल 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह आगमन से पहले ही 11 जुलाई की शाम 7:30 बजे फुलवारी शरीफ में अतहर परवेज और जलालुद्दीन को पकड़ा गया था. ये लोग दो महीने से पीएम मोदी के आगमन को लेकर किसी बड़ी साजिश का षड्यंत्र रच रहे थे. FIR में दर्ज बयान के आधार पर ये कहा गया कि बहुत से लोग पीएम के आगमन को लेकर बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए जुटे हैं. पिछली 6-7 जुलाई को भी इन लोगों ने गुप्त मीटिंग की थी जिसमें अनजान लोगों का आना जाना हुआ था. यानी दोनों की साजिश के तार काफी गहरे दिखे. प्रधानमंत्री आगमन को लेकर IB द्वारा मिली रिपोर्ट के आधार पर इन दोनों को गिरफ्तार किया गया था. आईबी ने जब इनसे पूछताछ शुरू कि तो परत दर परत आरोपियों का चिट्ठा जांच में खुलता गया. पूरे मामले की छानबीन के दौरान ही बिहार में पीएफआई की गतिविधियों का खुलासा हुआ.

आगे भी हो सकते हैं कई बड़े खुलासे: फुलवारी शरीफ मामले में अब तक 8 संदिग्ध गिरफ्तार हो चुके है. हालांकि अब भी 18 लोगों की एनआईए को तलाश है. अब तक वकील नुरूद्दीन जंगी, मोहम्मद जलालुद्दीन, अतहर परवेज, अरमान मलिक, ताहिर अहमद, शब्बिर मलिक, शमीम अख्तर और इलियास ताहिर उर्फ मगरूब को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं, पटना के सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआइ) के कार्यालय में छापेमारी के दौरान पुलिस ने जो पोस्टर बरामद किए हैं. इसमें तीस्ता सीतलवाड़, आल्ट न्यूज के पत्रकार मो. जुबैर और श्री कुमार की तस्वीरें हैं. पीएफआई की साजिश के खुलासे के बाद एनआईए, आईबी और पटना पुलिस लगातार तफ्तीश में जुटी है. रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. वहीं पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच सही दिशा में जा रही है. देश विरोधी गतिविधियों को लेकर आगे कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

Last Updated :Jul 21, 2022, 2:03 PM IST
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