'संकल्प' से वैक्सीनेशन के शिखर पर बिहार.. संसाधन की कमी और बाढ़ भी नहीं बन सकी रोड़ा

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Published : Sep 19, 2021, 7:50 PM IST

Updated : Sep 19, 2021, 9:34 PM IST

बिहार में रिकॉर्ड वैक्सीनेशन

पीएम मोदी के जन्मदिन पर एक दिन में बिहार में पूरे देश की अपेक्षा सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज लगाए गए. इस रिकॉर्ड के साथ बिहार ने देश में न सिर्फ शीर्ष स्थान हासिल किया है, बल्कि देश-दुनिया को एक संदेश भी दिया है कि बिहार ने जब-जब कुछ ठाना है, उसे पूरा कर दिखाया है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

पटनाः 17 सितंबर को पूरे देश में नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (PM Modi Birthday) पर हुए विशेष टीकाकरण अभियान (Mega Corona Vaccination) में बिहार ने पूरे देश पटल पर अपने काम का लोहा मनवा दिया. देशभर में सबसे बड़ा टीकाकरण बिहार में हुआ. 1 दिन में पूरे देश में सबसे ज्यादा टीकाकरण का रिकॉर्ड भी बिहार ने अपने नाम कर लिया.

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पूरे विश्व में सबसे ज्यादा टीकाकरण का रिकॉर्ड भी भारत के नाम है. वहीं, पूरे भारत में सबसे तेजी और 1 दिन में सबसे ज्यादा टीकाकरण का रिकॉर्ड बिहार के खाते में है. बिहार सरकार ने 30 लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा था. लक्ष्य को पार करते हुए 17 सितंबर को पूरे बिहार में वैक्सीन के 30 लाख 67 हजार 918 डोज लगाए गए थे. दरअसल, बिहार ने यह मन बना लिया है अगर कोरोना को हराना है तो बिहार को जीतना होगा. इसके लिए वैक्सीनेशन ही सबसे बेहतर उपाय और विकल्प है, और इसके लिए बिहार ने संकल्प भी ले लिया है.

यह बिहार की ऐतिहासिक और पौराणिक विरासत है कि बिहार कुछ ठान लेता है तो उसे कर डालता है. गौतम बुद्ध की बात हो यह महावीर की, गुरु गोविंद सिंह की बात हो या फिर सीता की, पहले लोकतंत्र की बात हो या फिर आज के बिहार की. बिहार में ही संकल्प की वह शक्ति है जो किसी भी मजबूत चीजों को आधार दे जाती है.

हां, ये अलग बात है कि सियासत की कमजोरी कई बार बिहार को रुला जाती है. कोरोना वायरस में जो कुछ दिखा था उसे बिहार ने सहा भी. अपनों को खोया भी, खूब रोया भी. अस्पतालों में आईसीयू बेड थे लेकिन चलाने वाले टेक्नीशियन नहीं. बिहार के अस्पताल भूसा घर बन गए थे और अस्पताल के परिसर जानवरों के खटाल. कोरोना के समय में बिहार इन्हीं परिस्थितियों से दो-चार हुआ था.

उसके बाद बिहार ने संकल्प ले लिया कि यदि कोरोना से सुरक्षित रहना है तो हर हाल में वैक्सीन लगाना ही होगा. क्योंकि, सरकार के पास बताने के लिए सिर्फ यही चीजें थी, करने के लिए शायद ही कुछ और. यह इसलिए कि बिहार सरकार को जब ऑक्सीजन देना था तो नेताओं के पास कोई जवाब नहीं थे.


17 सितंबर को हुए मेगा वैक्सीनेशन को लेकर राजनीतिक दल चाहे जो भी दलीलें दें, लेकिन उनके लिए सुन लेना जरूरी है. क्योंकि, राजनीति है तो होगी लेकिन बिहार को संकल्पित रहना है. अगर बिहार को जिताना है तो कोरोना वायरस संक्रमण की रोकताम के लिए सभी को वैक्सीन लेना पड़ेगा.आईसीयू बेड के मामले पर बिहार का कोई मंत्री-नेता जवाब देने को तैयार नहीं हुआ. बिहार कोरोना के समय में जितना रोया वह आज भी बिहार के हर व्यक्ति के मानस पटल पर बना है. ऐसे में वैक्सीनेशन ही बिहार को एक बेहतर विकल्प दिखा है जिसमें कम से कम बिहार के लोग ज्यादा से ज्यादा टीका लगवा कर खुद को सुरक्षित कर रहे हैं. यह बिहार के मनोबल को बताता है.

जिन लोगों ने 17 सितंबर को वैक्सीन लिया है, उन्हें ईटीवी भारत की तरफ से बहुत-बहुत बधाई. लेकिन जो लोग बच गए हैं उन्हें भी वैक्सीन ले लेना चाहिए, क्योंकि कोरोना के खिलाफ जंग में यह सबसे बड़ा हथियार और विकल्प है. इसी का संकल्प बिहार को लेना है. क्योंकि, बिहार ने हर उस संकल्प को पूरा किया है जिसे ठान लिया है.

अब कोरोना को भी हराने का मन बिहार बना चुका है. इसके लिए जरूरी है कि सभी लोग वैक्सीन लगवा लें. अगर वैक्सीन से बिहार बच गया तो फिर अस्पतालों की जो स्थिति है, उसमें जान बच पाएगी या नहीं, कहना मुश्किल है. वैक्सीनेशन इसलिए भी जरूरी है कि कोरोना वायरस दोबारा लौट न पाए. लोगों को एकजुट करें और उनको वैक्सीन जरुर दिलवाएं. यह ईटीवी भारत की अपील भी है और भारत को बचाने की जरुरत भी. कोरोना वायरस को हराकर ही बिहार को जिताया जा सकता है.

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Last Updated :Sep 19, 2021, 9:34 PM IST
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