'जाति के नाम पर वोट दे दे...!' बिहार के बाद अब UP चुनाव में भुनाने चले NDA के घटक

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Published : Jul 5, 2021, 8:59 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 9:10 PM IST

पटना

यूपी चुनाव (UP Elections) के बारे में प्रचलित है कि यहां वोटर प्रत्याशी को नहीं जाति को वोट देते हैं. ऐसे में बिहार एनडीए (Bihar NDA) के घटक दलों की भी नजर इस चुनाव पर है. जेडीयू (JDU), हम (HAM) और वीआईपी (VIP) पार्टी अपने-अपने जातीय वोट के आधार पर बीजेपी (BJP) के साथ चुनाव लड़ने की फिराक में है. देखिए ये रिपोर्ट

पटना: बिहार (Bihar) की तरह यूपी में भी जातिगत समीकरणों के सहारे सभी दल चुनाव में जीत के लिए अपनी रणनीति साधते रहे हैं. यूपी चुनाव (UP Elections) में जातिगत वोट बैंक (Caste Vote Bank) के सहारे पार्टियां अपनी-अपनी नैया पार लगाती रही हैं.

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अगले साल होने वाले यूपी चुनाव पर बिहार के सत्ताधारी एनडीए (Bihar NDA) के घटक दलों की भी नजर है. जदयू (JDU) ने 200 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है. वहीं, मुकेश सहनी की (वीआईपी) पार्टी ने 150 से अधिक सीटों पर लड़ने की बात कह रहे हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी (हम) भी यहां चुनाव लड़ेगी.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

कुर्मी वोट बैंक पर नीतीश की नजर
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की नजर उत्तर प्रदेश के कुर्मी वोट बैंक वाली सीटों पर है. उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में कुर्मी और पटेल वोट बैंक 6 से 12 फीसदी तक है. इनमें मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, इलाहाबाद, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले प्रमुख हैं. बिहार से सटे हुए पूर्वांचल पर नीतीश कुमार की विशेष नजर है. ऐसे में पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन की आस लगा रखी है. उसके लिए भी दबाव की राजनीति शुरू है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

यूपी की राजनीति में 'कुर्मी' का दबदबा
नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग के मास्टर माने जाते हैं. इसलिए यूपी में भी कुर्मी वोटों पर नजर है. जदयू अब तक कई राज्यों में चुनाव लड़ी है, अभी हाल में बंगाल में भी चुनाव लड़ी है, जिसमें उम्मीदवारों का खाता तक नहीं खुला. यूपी में जदयू बहुत कुछ करेगी, इसकी उम्मीद कम है. लेकिन, बिहार में अपनी ताकत के बहाने कुर्मी वोट बैंक को साधने की कोशिश जदयू जरूर करेगी. यूपी में कुर्मी का कुल वोट प्रतिशत 9 से 10 फीसदी के आसपास है. ऐसे में कुर्मी का दबदबा भी यूपी की राजनीति में है.

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BJP से तालमेल की कोशिश में JDU
जदयू के तरफ से आरसीपी सिंह, के सी त्यागी और उपेंद्र कुशवाहा ने भी कहा है कि चुनाव लड़ेंगे, लेकिन जदयू बीजेपी से तालमेल करने की कोशिश भी कर रही है. ऐसे में पार्टी फिलहाल खुलकर कुछ भी बोलने से बच रही है. आरसीपी सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि वहां हम अपनी ताकत देखकर सीटों पर लड़ने का फैसला करेंगे. उन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जहां पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए लोग मौजूद होंगे.

आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह

''नीतीश कुमार शुरू से जाति की राजनीति करते रहे हैं और उसकी उपज भी हैं. उत्तर प्रदेश में कुर्मी वोट काफी अच्छा खासा है और उसे हासिल कर लेते हैं, तो कांग्रेस को तो कोई नुकसान नहीं होगा. लेकिन, उनके गठबंधन के दलों को ही नुकसान हो सकता है.''- समीर सिंह, एमएलसी और कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार कांग्रेस

समीर सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार कांग्रेस
समीर सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार कांग्रेस

मांझी की दलित वोट बैंक पर नजर
यूपी में दलित वोट बैंक भी ज्यादा है और जीतन राम मांझी की नजर दलित वोट बैंक वाले सीटों पर है. ऐसे में मांझी की भी कोशिश है कि बीजेपी के साथ कुछ सीटों पर समझौता हो जाए. हम प्रवक्ता विजय यादव का कहना है कि हम लोग चुनाव बंगाल की तरह ही लड़ेंगे.

विजय यादव, प्रवक्ता हम
विजय यादव, प्रवक्ता हम

''हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा शक्ति से वहां चुनाव लड़ने जा रहे हैं. एनडीए गठबंधन के तहत अगर हम एक होकर लड़ते हैं, तो उसके और अच्छे नतीजे होंगे. वहां दलित का वोट काफी है और वहां के दलित लोग जागरूक भी हैं.''- विजय यादव, प्रवक्ता हम

अखिलेश कुमार सिंह, प्रवक्ता बीजेपी
अखिलेश कुमार सिंह, प्रवक्ता बीजेपी

''यूपी में बीजेपी स्वयं अपनी शक्ति में है, इसलिए वहां चुनवा लड़ती है. बिहार में यहां के मुद्दों पर गठबंधन हुआ है. यूपी के लिए गठबंधन तो हुआ नहीं है. हम केंद्र में साथ में हैं, बिहार में साथ में हैं. लेकिन, यूपी में वहां की परिस्थिति के हिसाब से हमारा गठबंधन है.''- अखिलेश कुमार सिंह, प्रवक्ता बीजेपी

''नीतीश कुमार की नजर बिहार से सटे पूर्वांचल की सीटों पर तो होगी. वहां अपने सुशासन वाली छवि के माध्यम से चुनाव लड़ने की कोशिश भी करेंगे. लेकिन यूपी में कुर्मी वोट काफी अधिक है. स्वाभाविक है उस पर नजर होगी. हालांकि, बहुत ज्यादा प्रभाव डालेंगे इसकी उम्मीद कम है. लेकिन, बीजेपी पर दबाव बनाने की एक रणनीति भी जदयू के तरफ से हो सकती है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

बिहार के NDA घटक दलों की रणनीति
बिहार में नीतीश कुमार की पकड़ कुर्मी वोट बैंक पर रही है और विधानसभा चुनाव में इस बार खराब परफॉर्मेंस के बाद कुशवाहा वोट बैंक को भी अपने साथ करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी में शामिल कराया है. यूपी में कुर्मी के कई नेता बीजेपी में भी है और अपना दल भी है. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए कोई स्पेस तो नहीं है, लेकिन पार्टी अपने स्थानीय संगठन के सहारे बंगाल की तरह ही कोशिश जरूर करना चाहती है.

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उसी तरह मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी भी अपने-अपने जातीय वोट के आधार पर अपनी उपस्थिति दिखाना चाहते हैं. यूपी चुनाव में अभी समय है और बीजेपी से तालमेल के लिए दबाव बनाने की रणनीति भी है. ऐसे में तीनों दल कितना सफल हो पाते हैं, ये तो देखने वाली बात है. यूपी के चुनावों के बारे में कहा जाता है कि यहां वोटर प्रत्याशी को नहीं जाति को वोट देते हैं. यूपी विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी को 30 प्रतिशत वोट मिलते हैं, उसकी जीत तय मानी जाती है.

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Last Updated :Jul 5, 2021, 9:10 PM IST
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