Junior Doctors Strike: हड़ताल पर बिहार के सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

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Published : Dec 20, 2021, 2:19 PM IST

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स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने कार्य का बहिष्कार ( Junior Doctors Strike ) कर दिया है. एमबीबीएस इंटर्न की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने समेत कुल 5 सूत्री मांग को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

पटना: बिहार के जूनियर डॉक्टर (Junior Doctors Protest In Patna) यानी एमबीबीएस इंटर्न एक बार फिर स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग (Stipend Increase Demand) को लेकर हड़ताल पर हैं. सोमवार सुबह 10 बजे से पीएमसीएच समेत सभी 9 मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया (Junior Doctors Boycott Work) है. नीट पीजी में नए सत्र के लिए काउंसलिंग और एमबीबीएस इंटर्न की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने समेत कुल पांच सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है. ये जूनियर डॉक्टर सिर्फ कोरोना ड्यूटी के लिए उपस्थित रहेंगे.

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जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन बिहार के प्रेसिडेंट डॉ कुंदन सुमन ने बताया कि हमारी मांग है कि कोरोना के दूसरे लहर के दौरान सरकार ने जो भी प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी, वह राशि अविलंब दिया जाए. इसके अलावा एमबीबीएस इंटर्न के स्टाइपेंड में वृद्धि की जाए. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि कार्य का बोझ काफी अधिक हो गया है. ऐसे में नीट पीजी काउंसलिंग की पहल सरकार जल्द करें और बांड में स्टडी लीव के प्रावधान को नियमावली में शामिल किया जाए.

देखें रिपोर्ट.

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इस बार डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए नॉन एकेडमी जूनियर रेजिडेंट की बहाली की जाए. डॉक्टरों ने कहा कि इंटर्न के स्टाइपेंड वृद्धि की मांग हो या फिर प्रोत्साहन राशि देने की मांग जब भी वह अपनी मांग को लेकर सरकार के पास जाते हैं, तो जल्द दिए जाने का आश्वासन दिया जाता है. लेकिन महीनों हो गए और अब तक इसे पूरा नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जब तक उन लोगों की मांगे पूरी नहीं होती है. वह काम पर नहीं लौटेंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश भर के सभी मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर और एमबीबीएस इंटर्न कार्य बहिष्कार पर हैं. पीएमसीएच में लगभग 500 डॉक्टर्स कार्य बहिष्कार पर हैं. जिसमें 350 जूनियर डॉक्टर और 150 एमबीबीएस इंटर्न शामिल हैं.


टस्टाइपेंड में वृद्धि जनवरी 2020 में ही होना था लेकिन कोरोना के वजह से यह एक साल आगे बढ़ा दिया गया. 3 महीने पहले मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार किए थे, तो सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया था कि 2 सप्ताह के अंदर स्टाइपेंड बढ़ोतरी पर निर्णय ले लिया जाएगा. लेकिन 3 महीने हो गए और अब तक पूरा नहीं किया गया. -डॉ रोहित रंजन, एमबीबीएस इंटर्न

डॉ रोहित ने बताया कि प्रदेश के 9 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इंटर्न को मात्र ₹15000 प्रतिमाह स्टाइपेंड मिलता है जबकि सबसे अधिक काम उन्हीं लोगों का होता है. वहीं, आईजीआईएमएस में एमबीबीएस इंटर्न की स्टाइपेंड राशि ₹26400 है. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार स्टाइपेंड में बढ़ोतरी का निर्णय नहीं लेती है, कार्य पर वापस नहीं लौटेंगे. प्रदेश में लगभग 900 मेडिकल इंटर्न कार्य बहिष्कार पर हैं और पीएमसीएच में उन लोगों की संख्या 150 है.

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