UP में गठबंधन बना प्रतिष्ठा का सवाल, आखिर अपने 'क्रेडिट' पर BJP की झोली से JDU को कितनी सीट दिला पाएंगे RCP?

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Published : Jan 12, 2022, 5:43 PM IST

बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती दांव पर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित हो गई है, लेकिन बीजेपी के साथ जेडीयू के तालमेल को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है. यूपी में बीजेपी और जेडीयू में गठबंधन (Alliance Between BJP and JDU in UP) का जिम्मा नीतीश कुमार ने अपने नजदीकी आरसीपी सिंह को दे रखा है. ऐसे में आरसीपी सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. इस बीच जेडीयू प्रभारी केसी त्यागी ने बीजेपी को अल्टीमेटम भी दे दिया है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

पटना: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) जेडीयू भी लगातार ताल ठोक रहा है. पार्टी वहां बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहती है. इसके लिए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) को जिम्मेदारी दी गई है लेकिन सीटों को लेकर अबतक दोनों दलों में पेंच फंसा हुआ है. उत्तर प्रदेश की बीजेपी इकाई जेडीयू को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देने की सलाह दे रही है.

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आरसीपी सिंह ने बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत होने और तालमेल की बात कही थी. इस बीच जेडीयू की तरफ से उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर एक सूची भी सीटों की सौंपी गई है, लेकिन अब तो विधानसभा चुनाव की तिथि भी चुनाव आयोग ने घोषित कर दी है. बावजूद इसके यूपी में बीजेपी और जेडीयू में गठबंधन (Alliance Between BJP and JDU in UP) पर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है.

देखें रिपोर्ट

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को बड़ी जिम्मेवारी दी है. वे सुलझे हुए नेता हैं. उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का पता है लेकिन देखना है कि बीजेपी से कितनी अधिक सीटें झटक पाते हैं क्योंकि बीजेपी के साथ तालमेल में कुछ भी सीट मिलती हैं तो यह आरसीपी सिंह की ही उपलब्धि होगी. वे कहते हैं कि यदि सीट नहीं ले पाए तो निश्चित रूप से पार्टी के अंदर उनकी भद्द पिटेगी.

"आरसीपी सिंह सुलझे हुए नेता हैं. उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का पता है लेकिन देखना है कि बीजेपी से कितनी अधिक सीटें झटक पाते हैं, क्योंकि बीजेपी के साथ तालमेल में कुछ भी सीट मिलती हैं तो यह आरसीपी सिंह की ही उपलब्धि होगी. यदि सीट नहीं ले पाए तो निश्चित रूप से पार्टी के अंदर उनकी भद्द पिटेगी"- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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उधर, जेडीयू का बीजेपी के साथ तालमेल अब तक नहीं होने पर आरजेडी की ओर से तंज कसा जा रहा है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि जब से आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने हैं, तभी से पार्टी के अंदर गुटबाजी है. सबको पता है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में जेडीयू को कोई भाव नहीं दे रही है. इसके बावजूद आरसीपी सिंह को जिम्मेवारी देकर एक तरह से फंसा दिया गया है.

"जब से आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने हैं, तभी से पार्टी के अंदर गुटबाजी है. सबको पता है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में जेडीयू को कोई भाव नहीं दे रही है. इसके बावजूद आरसीपी सिंह को जिम्मेवारी देकर एक तरह से फंसा दिया गया है"- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी


उत्तर प्रदेश के प्रभारी और राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने बीजेपी को तालमेल को लेकर अल्टीमेटम भी दिया है. वहीं, पार्टी के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी कहते हैं कि चुनाव की तिथि घोषित हो गई है लेकिन फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं है. वे कहते हैं कि आरसीपी सिंह बातचीत कर रहे हैं लेकिन जिस प्रकार से विलंब हो रहा है, स्वाभाविक है कि केसी त्यागी ने अपनी चिंता जताई है. हालांकि हम लोगों को अभी भी उम्मीद है कि बीजेपी के साथ तालमेल हो जाएगा.

"आरसीपी सिंह बातचीत कर रहे हैं लेकिन जिस प्रकार से विलंब हो रहा है, स्वाभाविक है कि केसी त्यागी ने अपनी चिंता जताई है. हालांकि हम लोगों को अभी भी उम्मीद है कि बीजेपी के साथ तालमेल हो जाएगा"- उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, जेडीयू संसदीय बोर्ड

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ ही यदि तालमेल होता है तो जेडीयू के लिए दिल्ली के बाद दूसरा प्रदेश होगा, जहां बिहार से बाहर कोई तालमेल होगा. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मणिपुर और गोवा को लेकर पहले ही घोषणा कर दी है कि पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी मणिपुर में 13 सीटों पर और गोवा में 4 से 5 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है, लेकिन यूपी को लेकर लगातार ही कहा जाता रहा है कि आरसीपी सिंह ही बातचीत कर रहे हैं. जेडीयू की तरफ से दावे तो बहुत हो रहे हैं खासकर पूर्वांचल के 25 से 30 सीटों पर, लेकिन बीजेपी के रवैया से साफ है कि जेडीयू को बहुत ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है. इसलिए कुछ सीट जेडीयू को बीजेपी दे देती है तो वही बहुत माना जाएगा और यह आरसीपी सिंह के लिए उपलब्धि होगी लेकिन तालमेल नहीं होता है तो पार्टी के अंदर आरसीपी सिंह की मुश्किलें बढ़नी तय है.

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