नवादाः वारिसलीगंज में यूरिया की किल्लत से किसान परेशान

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Published : Sep 22, 2021, 2:36 PM IST

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नवादा जिले का वारिसलीगंज प्रखंड धान उत्पादन में अव्वल माना जाता है. इस कारण प्रखंड को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के किसान यूरिया के लिए परेशान हैं.

नवादाः बिहार के नवादा (Nawada) जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के धान उत्पादक किसानों को यूरिया (Urea) खरीदने के लिए घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बाजार के लाइसेंसी उर्वरक विक्रेताओं के पास यूरिया का स्टॉक नहीं है. सिर्फ बिस्कोमान को बिहार शरीफ से एक हजार बोरा इफको यूरिया मिला है.

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ज्ञात हो कि यूरिया के लिए किसानों को दो से तीन दिनों तक कतार में खड़ा होना पड़ रहा है. धान रोपनी के समय से ही क्षेत्र के किसान उर्वरक की किल्लत का सामना कर रहे हैं. इस बाबत प्रखंड कृषि अधिकारी कहते हैं कि क्षेत्र के सभी पंचायतों में पैक्स की दुकानें हैं. जिसके अध्यक्ष को इफको यूरिया किसानों के बीच वितरण के लिए दिया जाता है. प्रखंड के 15 पैक्स अध्यक्षों के द्वारा द्वारा उर्वरक बिक्री का लाइसेंस ही नहीं लिया गया है. यूरिया संकट के लिए अधिकारी के साथ ही निर्वाचित पैक्स अध्यक्ष भी बराबर के दोषी हैं.

बता दें की वारिसलीगंज जिले में धान उत्पादन में अव्वल प्रखंड माना जाता है. इसमें सकरी नहर की अहम भूमिका होती है. फलतः प्रखंड को जिले में धान का कटोरा कहा जाता है. सर्वाधिक धान उपजाने वाले वारिसलीगंज में यूरिया की आवश्यकता भी अधिक होती है. इसके बावजूद प्रखंड क्षेत्र को उर्वरक का कम आवंटन किया गया है. धान रोपनी के समय से ही उर्वरक की किल्लत से किसान परेशान हो रहे हैं. किसान उर्वरक खरीदने के लिए घर के कई सदस्य सुबह से लेकर शाम तक उर्वरक के जुगाड़ में बिस्कोमान के इर्द-गिर्द पहुंच जाते हैं.

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार इलाके में महज 6700 हेक्टेयर धान आच्छादन है लेकिन अनुमानित आठ हजार हेक्टेयर भूभाग में धान की फसल की रोपनी की जाती है. क्षेत्र के किसानों को धान रोपनी से लेकर धान उपजाने तक करीब 50 हजार बैग यूरिया की आवश्यकता होती है. लेकिन धान रोपनी के समय से ही बिस्कोमान को बहुत कम खाद आवंटल मिला है.

वहीं, जिला कृषि कार्यालय ने खुदरा उर्वरक बिक्रेताओं को सरकार द्वारा निर्धारित दर पर ही खाद बिक्री करने का निर्देश दिया है. जिस कारण से किसान उर्वरक खरीदने के लिए परेशान हैं. वहीं पैक्स अध्यक्ष, अधिकारी और उर्वरक के अधिकृत विक्रेताओं के रवैये से किसान नाराज हैं.

दूसरी ओर पैक्स अध्यक्षों ने लाइसेंस निर्गत करने में अधिकारियों पर उदासीनता का आरोप लगाया है. पैक्स अध्यक्षों की मानें तो शुरुआत में कुछ पैक्स अध्यक्षों द्वारा उर्वरक बिक्री का लाइसेंस लेने की कोशिश की गई थी. लेकिन एग्रीकल्चर से स्नातक डिग्री प्राप्त होने पर ही लाइसेंस देने की बात पैक्स अध्यक्षों को बताई गई थी.

हालांकि कुछ दिन बाद ही जिलाधिकारी द्वारा एग्रीकल्चर पास होने की व्यवस्था को निरस्त कर पैक्स अध्यक्ष को उर्वरक लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. इसके बाद भी ज्यादातर पैक्स अध्यक्षों ने उर्वरक का लाइसेंस लेना जरूरी नहीं समझा. वहीं अधिकारी अगर चाहते तो पैक्स को लाइसेंस लेना जरूरी कर सकते थे. तब पैक्स अध्यक्षों के द्वारा लाइसेंस लिया जाता और किसानों में खाद को लेकर अफरा-तफरी कम होती.

इस बाबत जिला कृषि पदाधिकारी लक्ष्मण प्रसाद कहते हैं कि किसानों की आवश्यकता को देखते हुए 23 सितम्बर की शाम तक वारिसलीगंज में इफको यूरिया का रैक आ जायेगी. प्रखंड को तीन हजार बैग यूरिया आवंटित किया गया है. किसानों को सरकारी दर पर सुलभता पूर्वक यूरिया उपलब्ध हो, इसका जिम्मा कृषि कर्मियों को सौंपा गया है.

नोट-खाद की आपूर्ति मिलने में परेशानी हो तो पटना स्थित कृषि विभाग के कंट्रोल रूम में 0612-2233555 नंबर पर करें शिकायत.

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