लीची के बगीचों में कड़कनाथ जैसे मुर्गों की फार्मिंग, किसानों को हो रहा डबल फायदा

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Published : Nov 25, 2021, 6:09 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 9:04 PM IST

Poultry Farming In Litchi Orchards

देश और विदेशों में मीठी और रसीली लीची के लिए प्रसिद्ध बिहार के लीची के बगीचों में अगर आपको मुर्गी और बकरी दिखे तो चौंकिएगा नहीं, क्योंकि अब लीची किसान अपने बगीचे में मुर्गी और बकरी पालन (Poultry Farming In Litchi Orchards)भी करने लगे हैं. इससे न केवल किसानों को आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि लीची के पौधों को भी कीड़ों से बचाया जा सकेगा. पढ़ें पूरी खबर..

मुजफ्फरपुर: लीची किसानों (Litchi Farmers Of Muzaffarpur) की आमदनी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Litchi) द्वारा दो वर्ष पहले ओपन मुर्गा फार्मिंग की योजना शुरू की गई थी. अब किसानों को मुजफ्फरपुर की शाही लीची (Muzaffarpur royal litchi) के साथ ही मुर्गी फार्मिंग से भी मुनाफा हो रहा है, बल्कि लीची के पौधों को भी कीड़ों से बचाया जा सकेगा.

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लीची के बागों में ओपन मुर्गी फार्मिंग कर मुर्गियों की अच्छी प्रजाति जैसे कड़कनाथ, वनराजा, शिप्रा से किसानों को डबल फायदा मिल रहा है. मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा लीची के किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए लीची के बगीचे में मुर्गी और बकरी पालन पर जोर दे रही है. केंद्र का मानना है कि इससे लीची के बाग में छोटे-छोटे पौधे और कीड़े-मकोड़े से नुकसान को रोकने के लिए कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं करना पड़ेगा. लीची के बगीचे में तरह-तरह के छोटे-छोटे पौधे हमेशा निकलते रहते हैं, जो पलने वाले बकरी का चारा बन जाएगा. उसी तरह लीची के बागों में जो कीड़े-मकोड़े उत्पन्न होते हैं वे सभी मुर्गों का भोजन हो जाएगा.

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लीची बागान में मुर्गी फार्मिंग से लीची के पेड़ों को लाभ मिल रहा है. वहीं, मुर्गी पालन में लागत भी कम आती है. ऐसे में किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है. मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में ओपन फार्मिंग के तहत देश के सर्वोत्तम देसी नस्लों के मुर्गों को पाला जा रहा है. जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कड़कनाथ, वनराजा और शिप्रा जैसे देसी मुर्गें शामिल हैं.

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राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में हो रहे इस ओपन फार्मिंग के नतीजे काफी सकारात्मक आए हैं. जिसके बाद अब संस्थान इस इंटीग्रेटेड फार्मिंग को लेकर जिले में लीची की बागवानी करने वाले किसानों को प्रशिक्षित कर रहा है. लीची के बागानों में देसी मुर्गों के ओपन फार्मिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें देसी मुर्गे और लीची के बाग दोनों एक दूसरे के लिए अनुपूरक का काम कर रहे हैं. लीची बागान में इन देसी मुर्गों के ओपन फार्मिंग से बगीचों में उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल की जरूरत आधी से भी कम हो गई है. जिससे लीची की गुणवत्ता और साइज में भी इजाफा देखने को मिल रहा है.

Poultry Farming In Litchi Orchards
लीची किसानों को दोगुना फायदा

"अगर देसी मुर्गों की फार्मिंग की नजर से देखा जाए तो लीची के बागानों में इन मुर्गों के पालन में आने वाला खर्च भी आधा हो जाता है. खुली जगह में मुर्गों को प्राकृतिक वातावरण मिलता है. जिसमें उनकी ग्रोथ तेजी से होती है. लीची के बगीचे में मिलने वाले कीट से मुर्गों को भोजन भी मिलता है. वही ठंड बढ़ने के साथ ही इन देशी नस्ल के मुर्गों की बाजार में मांग बेहद बढ़ गई है."- डॉ.एसडी पाण्डेय, निदेशक, लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर

बता दें कि बिहार की शाही लीची (Bihar Royal Litchi ) देश और विदेशों में भी चर्चित है. यहां की शाही लीची ब्रिटेन तक पहुंच चुकी है. शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है. बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय सहित कई जिलों में शाही लीची के बाग हैं, लेकिन लीची का सबसे अधिक उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है.

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Last Updated :Nov 25, 2021, 9:04 PM IST
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