जनाब ये बिहार है : पुल के बाद अब पंचायत भवन ही बेच डाला

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Published : May 10, 2022, 12:37 PM IST

Updated : May 10, 2022, 5:02 PM IST

पंचायत भवन को बेच डाला

बिहार में पुराने हो चुके सराकारी भवनों और सामानों (Government Property Theft In Bihar) पर चोरों की नजर गड़ गई है. यही वजह है कि एक के बाद एक कई जिलों में सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है, या फिर उसकी चोरी हो रही है. हैरत की बात तो ये है कि संबंधित अधिकारियों को इसकी कानों कान खबर तक नहीं होती. इस बार बिहार के मुजफ्फरपुर में चोरों ने पंचायत भवन को ही बेच डाला. पढ़ें क्या है पूरा मामला...

मुजफ्फरपुरः बिहार में इन दिनों सरकारी भवनों और समानों को बेचने का ट्रेंड चल गया है. प्रदेश के पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से रेल इंजन और रोहतास जिले से लोहे के पुल चोरी की घटना ने सबको हैरान कर दिया था. इसके बाद तो बिहार में सरकारी संपत्ति को बेचने का सिलसिला ही शुरू हो गया. कई जगहों पर लोहे के पुल बेचे गए तो कहीं अस्पताल और स्कूल. लेकिन इस बार तो हद हो गई. बिहार के राजस्व मंत्री रामसूरत राय (Revenue Minister Ramsurat Rai) के विधानसभा क्षेत्र में एक सरकारी पंचायत भवन (Panchayat Bhawan Sold in muzaffarpur) को तोड़कर बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है.

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पंचायत भवन को बेच डाला: दरअसल बिहार के मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड में औराई पंचायत भवन (aurai panchayat bhawan) को बिना किसी सरकारी आदेश के बेच दिया गया. आरोप है कि मुखिया और पंचायत सचिव की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया. दोनों ने मिलकर भवन को जेसीबी से तोड़वाया और इमारत की एक-एक ईंट को बेचने का काम शुरू कर दिया. जिसे लेकर स्थानीय लोग भी मुखिया और सचिव की इस हरकत से आक्रोशित हैं. दोनों पर सरकारी संपत्ति को नष्ट करने, वित्तीय अनियमितता और वरीय पदाधिकारियों से सूचना छिपाने का आरोप लगाया गया है. वहीं, इस मामले में प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी गिरिजेश नंदन ने मुखिया और पंचायत सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है.

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15 साल पुराना पंचायत भवन: बताया जाता है कि औराई पंचायत भवन 15 साल पहले बनाया गया था, लेकिन भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका था. निर्माण में अनियमितता के कारण एक कर्मचारी को जेल भी जाना पड़ा था. 15 साल बाद उसी भवन को मुखिया और पंचायत सचिव ने जेसीबी से तोड़वाकर भवन के मलबे को बेच दिया. पंचायत भवन को तोड़ने का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.

BPRO ने मामले में लिया संज्ञान: मामला सामने आने के बाद बीपीआरओ (प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी) ने भी संज्ञान लिया हैं. बीपीआरओ ने बताया कि ''शिकायत मिलने पर स्थल की जांच की. इस क्रम में पाया कि बिना नीलामी के पंचायत भवन को तोड़कर बेच दिया गया है. इसकी रिपोर्ट जिला के वरीय अधिकारियों को भेजी गई है. आरोपी पंचायत सचिव रामनरेश सहनी का फोन लगातार बंद आ रहा है.'' उन्होंने कहा कि मामले में जांच के बाद दोनों पर कार्रवाई होगी.

''औराई पंचायत भवन जीर्ण शीर्ण अवस्था में था. कहीं भी बैठने की जगह नहीं थी. इसलिए बीडीओ समेत अन्य पदाधिकारियों की सहमती से भवन तोड़ा गया है. उसी जगह सामुदायिक भवन बनेगा, जहां बैठ कर विकास को गति दी जायेगी'' - मुखिया, उमाशंकर गुप्ता

जांच चल रही है- बीडीओ : इधर, जब इस मामले में बीडीओ महेश्वर पंडित से पूछा गया तो उन्होंने मुखिया द्वारा कोई भी सूचना देने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि बिना नीलामी के सरकारी भवन को बेचना अपराध है. जो भी इसमें दोषी होगा, उस पर नियमसंगत कार्रवाई की जाएगी.

देखें वीडियो

'मुखिया और पंचायत सचिव से स्पष्टीकरण की मांग की गई है. बिना किसी नीलामी या आदेश के पंचायत सरकार भवन क्यों तोड़ा गया. यह वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है. इसको लेकर अब तक जवाब नहीं आया है, पंचायत सचिव छुट्टी पर हैं. उनके आने के बाद ही जवाब आएगा. इसकी जानकारी जिला पंचायती राज पदाधिकारी को भी फोन पर दी गई है, जो भी निर्देश होगा उसके अनुसार कार्रवाई होगी'. गिरिजेश नंदन, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी

इससे पहले भी हुई चोरी की घटनाः बता दें कि सबसे पहले पूर्णिया में रेल इंजन को बेचने का मामला सामने आया था. उसके कुछ ही दिनों के बाद रोहतास से पुल को बेचने की बात ने सबको चौंका दिया था. सरकारी सामानों को बेचना का सिलसिला यहीं नहीं रूका. उसके बाद तो मुजफ्फरपुर में एक सरकारी अस्पताल को ही बेच डाला गया और अब पंचायत भवन को मुखिया और पंचायत सचिव की मिलीभगत से बेचने का मालमा सामने आया है. आपको बता दें कि इससे पहले बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज स्थित आदर्श ग्राम अमियावर में 60 फीट लंबा पुल चोरी कर लिया गया था. जिसके बाद से मामले को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर था और सरकार की खूब किरकिरी हुई थी.

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अधिकारियों और चोरों की रहती है मिलीभगत: इन मामलों में कर्मचारी और पदाधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी भी की गई. इसके बावजूद विभाग के अधिकारियों ने रोहतास की घटना से सबक नहीं लिया. इसके तुरंत बाद जहानाबाद-बिहारशरीफ शहर को जोड़ने वाले दरधा नदी पर ब्रिटिश काल के लोहा के पुल को चोरों द्वारा काटे जाने की खबर आई. उसके बाद बांका में भी चोरों ने पुल पर हाथ साफ किया था. इन तमाम मामलों में लोगों का कहना है कि सबंधित विभाग के पदाधिकारियों, कर्मचारियों और चोरों की मिलीभगत से यह कारनामा हो रहा है. अगर इसकी जांच कराई जाए तो इसमें बड़े से लेकर छोटे पदाधिकारी की मिलीभगत और कारनामे उजागर हो सकते हैं, लेकिन जो भी हो अगर विभाग द्वारा इसी तरह लापरवाही बरती गई तो वह दिन दूर नहीं, जब चोर कई अन्य पुराने सरकारी समानों को भी बिना आदेश और नीलामी के बेच डालेंगे.

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Last Updated :May 10, 2022, 5:02 PM IST
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