चुनाव आते ही परेशान हुए इस पंचायत के लोग, साजिश रचने और अवैध वसूली का लगाया आरोप

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Published : Sep 18, 2021, 9:44 AM IST

Updated : Sep 18, 2021, 2:36 PM IST

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कटिहार में पंचायत चुनाव को लेकर कुछ लोगों के माध्यम से ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि वोटरों को रिझाने की आड़ में अवैध वसूली की जा रही है. इसके साथ ही कहासुनी की जाती है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

कटिहार: बिहार में पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election 2021) की गहमागहमी तेज हो गई है. उम्मीदवार वोटरों को रिझाने में लगे हुए हैं. वहीं इस गहमागहमी की आड़ में कुछ लोग अपने विरोधियों पर भी निशाना लगा रहे हैं. कुछ ऐसा ही बिहार के कटिहार जिले में देखने को मिल रहा है. बकिया सुखाय दियारा इलाके (Bakiya Sukhay Diyara) के लोग इनदिनों कुछ ऐसी ही परेशानियों से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से आवेदन देकर मदद की गुहार लगायी है.

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जिले के बरारी प्रखण्ड के बकिया सुखाय दियारा के ग्रामीण इन दिनों पंचायत चुनाव को लेकर हो रहे गहमागहमी से तंग आ गए हैं. जिसके बाद ग्रामीण जिला पदाधिकारी से मिलने पहुंचे. जहां ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कुछ लोग साजिश कर परेशान करने में जुटे रहते हैं. आए दिन किसी न किसी बात को लेकर कहासुनी हो जाती है.

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स्थानीय ग्रामीण सुबोध यादव ने बताया कि शेख हिदायत लोगों को परेशान करता है. कभी किसी के गायब होने की झूठी कहानी रच पंचायती बैठाता है, तो कभी किसी के खेत के फसल मवेशियों द्वारा खा लेने की पंचायती बैठाकर लोगों से पैसा ऐंठता है.

'पंचायत में चुनाव की रणनीति चल रही है. शेख हिदायत अपना निजी राजनीति रोटी सेकने के लिए संप्रदायिक गंगा का रूप देना चाहता है और जातिवाद का जहर घोलकर पंचायत को जलाना चाहता है. ये अन्याय का प्रतीक है. एक आदमी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को लेकर पूरे पंचायत के लोगों को परेशान कर रहा है. इस पर जल्द-जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए.' -सुबोध यादव, स्थानीय

देखें रिपोर्ट.

स्थानीय ग्रामीण अनूप लाल यादव ने भी अपनी परेशानियों को बताते हुए कहा कि साजिश के तहत सभी ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है. हालांकि जिला पदाधिकारी उदयन मिश्रा ने ग्रामीणों की गुहार पर तत्काल कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है

गांव की दुर्दशा पर बोत करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि हालात यह हैं कि गांव पहुंचने के लिए आजतक पक्की सड़क का निर्माण ही नहीं कराया गया. गांव के लोग पूरे 12 महीने नाव से ही आवागमन करते हैं. ग्रामीणों के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है. यदि किसी को जल्दबाजी में गांव पहुंचना होता है, तो उसे भागलपुर होकर जाना पड़ता है. ऐसा स्थिति के कारण कोई भी पुलिस पदाधिकारी गांव नहीं आना चाहते हैं. .

Last Updated :Sep 18, 2021, 2:36 PM IST
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