जमुई में बर्खास्त शिक्षक का वेतन रोकने में लगे 12 साल, अब विभाग पर उठ रहे कई सवाल

author img

By

Published : Feb 15, 2022, 10:18 AM IST

Dismissed Teacher Salary Stopped

जमुई के सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय मकतब खरडीह (Primary School Maktab Khardih) में एक बर्खास्त शिक्षक के वेतन बंद करने में 12 साल लग गए. ऐसे में विभाग पर कई सवाल उठ रहे हैं. बात दें कि यह मामला तब सामने आया जब ग्रामीण इसके प्रमाण पत्र में फर्जी को लेकर विभाग से शिकायत की थी. पढ़ें पूरी खबर..

जमुई: सरकार शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार को लेकर चाहे जितना भी कार्य कर ले, लेकिन कुछ स्थानीय पदाधिकारी की उदासीनता से इसमें कमी रह जाती है. इसका खामियाजा विद्यालय में नामांकित छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. विभाग की बदनामी भी होती है. ताजा मामला जिले के सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय मकतब खरडीह से जुड़ा है. यहां बर्खास्त शिक्षक के वेतन बंद करने में 12 वर्ष (Dismissed Teacher Salary Stopped After 12 Years In Jamui) लग गए.

यह भी पढ़ें - 'शिक्षकों पर नहीं, दोषी अधिकारियों और नियोजन इकाइयों पर हो कार्रवाई- प्राथमिक शिक्षक संघ ने की मांग

जानकारी के अनुसार, विद्यालय में नामांकित छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले. इसे लेकर अन्य विद्यालय की तरह उक्त विद्यालय में पंचायत नियोजन इकाई के द्वारा स्वतंत्रता दिवस से 1 दिन पूर्व वर्ष 2010 के 14 अगस्त को उक्त गांव निवासी मो. जावेद इकबाल अंसारी नामक व्यक्ति का शिक्षक के रूप में चयन किया गया. इसके बाद ग्रामीण इसके प्रमाण पत्र में फर्जी को लेकर विभाग से शिकायत किया. उस समय के जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार सिन्हा इसे लेकर एक जांच कमेटी का गठन किया. जांच में जो बातें सामने आईं वो सभी के लिए चौंकाने वाली साबित हुईं. इससे विभाग की भी बदनामी हुई.

दरअसल, जांच में पाया गया कि उक्त शिक्षक 1990 में नियमित छात्र के रूप में जिला मुख्यालय स्थित जवाहर उच्च विद्यालय जमुई बाजार से मैट्रिक और इसी वर्ष मुंगेर जिला के तारापुर प्रखंड स्थित मदरसा तुल उलूम गाजीपुर विद्यालय से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. एक ही वर्ष में 2 डिग्री को विभाग ने फर्जीवाड़ा घोषित किया. अपने पत्रांक 99 दिनांक 15 सितंबर 2016 को उक्त शिक्षक के बर्खास्तगी को लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा. उनके आदेश को तत्कालीन स्थापना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी श्याम नारायण सिंह, काशी लाल पासवान ने भी बहाल रखा. बावजूद 12 वर्ष तक उक्त शिक्षक की बर्खास्तगी तो दूर नियमित रूप से वेतन पाता रहा. इससे विभाग को लाखों की राजस्व की हानि हुई.

बीते वर्ष 2021 में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उक्त शिक्षक द्वारा गांव के एक मुखिया उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जबकि विभाग के निर्देशानुसार कोई भी सरकारी शिक्षक किसी के पक्ष में प्रचार नहीं कर सकता है. लेकिन इसको लेकर विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. लोग विभाग द्वारा 12 वर्ष तक के उक्त शिक्षक के खिलाफ कोई कार्य नहीं करने को लेकर सवाल उठने लगे.

उक्त शिक्षक के मनमानी के खिलाफ बीते 3 फरवरी को स्थानीय ग्रामीणों द्वारा विद्यालय में ताला बंद भी किया गया. बावजूद विभाग के कोई अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया. अब क्षेत्र के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (Jamui Block Education Officer) रूपम कुमारी को एक पत्र देकर निर्देश दिया कि बीते बीते 12 वर्ष से उक्त शिक्षक के वेतन का भुगतान आखिर किस परिस्थिति में किया जा रहा है. जबकि उसके खिलाफ तत्कालीन डीईओ द्वारा बर्खास्तगी का पत्र निकाला गया है.

बीईईओ ने अपना जवाब में बताया है कि मामला उच्च न्यायालय में लंबित है. इस पर डीपीओ ने पूरी सख्ती के साथ 14 फरवरी दिन सोमवार को उन्हें जिला शिक्षा कार्यालय में प्रस्तुत होने को कहा. लेकिन इंटरमीडिएट परीक्षा ड्यूटी की हवाला देकर वो नहीं आई. उक्त शिक्षक के वेतन अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है. अब देखना है विभाग पूर्व के डीईओ द्वारा बर्खास्तगी के आदेश को क्या करता है.

यह भी पढ़ें - बोरा बेच रहे बिहार के मास्टर साहब...जानें क्यों?

यह भी पढ़ें - शिक्षक को जूते-चप्पलों की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया, जानिए क्या है वजह

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.