सात निश्चय योजना बरिसर पंचायत में फेल, गड्ढा खोदकर पानी जमा करने को मजबूर लोग

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Published : Sep 21, 2021, 1:33 PM IST

Panchayat elections in Gopalganj

बिहार में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है. नेता जनता के बीच जाकर वोट मांग रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम गोपलगंज के बरिसर पंचायत पहुंची और यहां के विकास कार्यों का जायजा लिया. इस पंचायत में सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चय योजना का हाल बेहाल है.पढ़िए पूरी खबर..

गोपालगंज: बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election 2021) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. नेता एक बार फिर से जनता के बीच जाकर बड़ी-बड़ी घोषणाएंं और वादे कर रहे हैं. लेकिन पिछले वादों पर कितना अमल किया गया इसकी बानगी जिले के हथुआ प्रखण्ड (Hathua Block) के बरिसर पंचायत (Barisar Panchayat) में देखने को मिली. इस पंचायत में लोगों को सरकार के सात निश्चय योजनाओं (Saat Nischay Yojana In Gopalganj) का लाभ आज तक नहीं मिला है, जिससे क्षेत्र की जनता, मुखिया के कार्यों पर सवाल उठा रहे हैं.

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दरअसल बिहार पंचायत चुनाव की सरगर्मियां काफी तेज हो गई है. ऐसे में विभिन्न क्षेत्र के प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्र के मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. साथ ही मतदाता भी अपने प्रतिनिधियो से पांच साल का हिसाब मांग रहे हैं.

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"हर घर नल का जल नहीं पहुंचा है. काम तो किया गया लेकिन सभी काम आधे अधूरे हैं. किसी के घर पानी नहीं पहुंचा. एक टंकी है, पाइप है वो भी टूटा हुआ है. सड़क भी टूटी फूटी है. शिकायत करने के बाद भी आज तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया."- ग्रामीण

अगर बात करें हथुआ प्रखण्ड के बरिसर पंचायत की तो यहां सरकार के सात निश्चय योजना दम तोड़ती हुई नजर आती है. इस पंचायत में हर घर नल का जल नहीं पहुंचा है. शायद ही कुछ ऐसे वार्ड हैं, जिसमे नल का जल मिल पाया हो. वार्ड नम्बर 13 व 14 में इन योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण लोगों मे मुखिया के प्रति आक्रोष है.

"नाली नहीं बना, गड्ढा खोदकर पानी गिराते हैं. मुखिया ने कुछ काम नहीं किया. हमारे लिए कोई सुविधा नहीं, नल का पानी भी नहीं मिला है. मुखिया से शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन दिया जाता है."-पूनम देवी, ग्रामीण

ईटीवी भारत की टीम जब हथुआ प्रखण्ड के बरिसर पंचायत में पहुंची तो इस दौरान कई लोगों ने अपनी अपनी बात रखी. कुछ लोगों का कहना है कि मुखिया द्वारा कुछ कार्य किये गए हैं, लेकिन सफल नहीं हुआ है. वहीं कुछ लोगों ने बताया कि 20 वर्षो से ज्यादा का समय बीत चुका है. इन 20 सालों में कई मुखियाओं ने यहां का प्रतिनिधितत्व किया, लेकिन किसी ने नाली बनवाने की व्यवस्था नहीं की.

"गांव में कोई विकास का काम नहीं हुआ है. नाली नहीं होने के कारण पानी जमा करना पड़ता है. किसी के दरवाजे में पानी जाता है तो गाली सुननी पड़ती है. क्या फायदा है ऐसे प्रतिनिधियों का."- ग्रामीण

गांव के लोगों को सुविधा के नाम पर फिर सब्जबाग दिखाया गया. मजबूरन ग्रामीण अपने घर के दरवाजे पर ही गड्ढे खोद कर पानी को जमा करते हैं. पानी भर जाने के बाद उसे दूसरी जगह फेंकते हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि जो क्षेत्र का विकास करेगा, जो ग्रामीणों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ेगा, उसे ही वोट दिया जाएगा.

आपको बताएं कि पंचायत चुनाव के लिए 24 सितंबर, 29 सितंबर, 8 अक्टूबर, 20 अक्टूबर, 24 अक्टूबर, 3 नवंबर, 15 नवंबर, 24 नवंबर, 29 नवंबर, 8 दिसंबर और 12 दिसंबर को मतदान होगा. चुनाव आयोग ने बताया कि मुखिया के 8072 पद, ग्राम पंचायत सदस्य के 113307 पद, पंचायत समिति सदस्य के 11104 पद, जिला परिषद सदस्य के 1160, ग्राम कचहरी सरपंच के लिए 8072 और पंच के लिए 113307 पदों पर चुनाव होंगे. कुल 255022 पदों के लिए वोट डाले जाएंगे.

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