विजयादशमी उत्‍सव पर RSS ने किया शस्‍त्र पूजन, जानिए क्यों की जाती ये पूजा

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Published : Oct 15, 2021, 12:38 PM IST

RSS organized weapon worship on Vijayadashmi in Golapganj

गोपालगंज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विजयादशमी उत्सव पर शस्त्र पूजन का आयोजन किया. इस दौरान संघ के स्वयंसेवकों ने बारी-बारी से शस्त्रों का पूजन किया. जानिए दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा..

गोपालगंज: जिले के वीएम फील्ड के पास स्थित गायत्री मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) ने विजयादशमी (Vijayadashmi) उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया. इस दौरान संघ के स्वयं सेवकों ने बारी-बारी से शस्त्रों का पूजन किया. साथ ही विजयादशमी के दिन शस्त्रों के पूजन (Worship Of Weapons) का विस्तार से महत्व बताया गया. आयोजन में अरएसएस के पदाधिकारियों और स्‍वयं सेवकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया.

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दरअसल, प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विजयादशमी उत्सव पर शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया. इस दौरान भारत मां, आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगवार और द्वितीय सरसंघ चालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की तस्वीर के सामने शस्त्र रख कर उस पर पुष्प चढ़ाकर पूजन किया गया.

स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए राजेश कुमार ने कहा कि आरएसएस वर्ष भर में कुल छह उत्सव मनाता है. विजयादशमी उसमें से एक है. यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का द्योतक है.

बात दें कि विजयादशमी के दिन ही डॉ. केशव राव बलिराम हेडगवार ने 1925 में नागपुर में संघ की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय जन मानस की आत्मा हैं. अयोध्या राजपरिवार में जन्म लेने वाले राजकुमार जब पिता की आज्ञा से महल छोड़ते हैं. तो वह अपनी सामर्थ्य और सामाजिक संरचना के बल पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बन जाते हैं. आसुरी शक्तियां उनके शरणागत हो जाती हैं. पुरातन काल से हम शक्ति की उपासना करते रहे हैं. आरएसएस विजयादशमी पर शस्त्र पूजन की परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मनुष्यत्व ही हिंदुत्व है, और हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है.

दशहरा के मौके पर शस्त्रधारियों के लिए हथियारों के पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन शस्त्रों की पूजा घरों और सैन्य संगठनों द्वारा की जाती है. नौ दिनों की उपासना के बाद 10वें दिन विजय कामना के साथ शस्त्रों का पूजन करते हैं. विजयादशमी पर शक्तिरूपा दुर्गा, काली की पूजा के साथ शस्त्र पूजा की परंपरा हिंदू धर्म में लंबे समय से रही है. छत्रपति शिवाजी ने इसी दिन मां दुर्गा को प्रसन्न कर भवानी तलवार प्राप्त की थी.

विजयादशमी का पर्व जगजननी माता भवानी की दो सखियों के नाम जया-विजया पर मनाया जाता है. यह त्यौहार देश, कानून या अन्य किसी काम में शस्त्रों का इस्तेमाल करने वालों के लिए खास है. शस्त्रों का पूजन इस विश्वास के साथ किया जाता है कि शस्त्र प्राणों की रक्षा करते है. विश्वास है कि शस्त्रों में विजया देवी का वास है.

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