रंग लाई ETV भारत की मुहिम, DM के आदेश पर हो रहा है चौसा युद्धस्थल का सौंदर्यीकरण

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Published : Sep 4, 2021, 11:09 AM IST

बक्सर में चौसा के युद्धस्थल का हो रहा है सौंदर्यीकरण

बक्सर के महत्वपूर्ण लड़ाई के मैदानों में चाहे वह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का चौसा का लड़ाई मैदान हो, या फिर आधुनिक काल में लड़ी गई, भारतीय शासकों और अंग्रेजों के बीच का बक्सर युद्व हो, आने वाले समय में अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें हेरिटेज के रूप में विकसित किया जाएगा.

बक्सर: आखिरकार रंग लाने लगी ETV भारत की मुहिम और जिलाधिकारी अमन समीर (District Magistrate Aman Sameer) की कार्य योजना की प्रतिबद्धता. डीएम के आदेश पर चौसा के युद्धस्थल (Battle of Chausa) का सौंदर्यीकरण (Beautification) हो रहा है. मध्यकालीन भारतीय इतिहास (Medieval Indian History) की चौसा का लड़ाई मैदान हो, या फिर आधुनिक काल (Modern Period) में लड़ी गई भारतीय शासकों (Indian Rulers) और अंग्रेजों (British) के बीच का बक्सर युद्व (Buxar War) हो, आमे वाले समय में अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें हेरिटेज (Heritage) के रूप में विकसित किया जाएगा.

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बक्सर में डीएम के तौर पर पदस्थापन के समय ही जिलाधिकारी अमन समीर ने ETV भारत के सवाल पर कहा था कि, बक्सर के महत्वपूर्ण लड़ाई के मैदानों को चाहे वह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का चौसा का लड़ाई मैदान हो, या फिर आधुनिक काल में लड़ी गई, भारतीय शासकों और अंग्रेजों के बीच का बक्सर युद्व हो, आने वाले समय में अतिक्रमण मुक्त कराकर, उन्हें हेरिटेज के रूप में विकसित किया जाएगा.

ऐसे में दोनों लड़ाई के मैदानों को अतिक्रमण मुक्त कराकर उनके सौंदर्यीकरण का कार्य जोरों पर चल रहा है. मौके पर मुआयना करने पहुंचे जिलाधिकारी अमन समीर ने ETv भारत से खास बातचीत की. डीएम ने कहा कि यह स्थल पर्यटन के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है.

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'किसी भी जगह के विकसित होने के लिए उसके ऐतिहासिक गुण और सांस्कृतिक विरासत को संजोने की आवश्यकता होती है. जिला प्रशासन इस महत्वपूर्ण युद्धस्थल को भी इस प्रकार संजोना चाहता है कि, आने वाली पीढ़ी इस बात से अवगत हो सके कि ऐतिहासिक दृष्टि से यह जगह कितना महत्वपूर्ण है.' : अमन समीर, जिलाधिकारी

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उन्होंने कहा कि अभी इसे एक पारंपरिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है. किंतु, आने वाले समय में इसे इसके महत्व के अनुरूप ऐतिहासिक धरोहर के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा. यहां लड़ाई से संबंधित आर्ट गैलरी बनाया जाएगा. ताकि, कोई भी पर्यटकीय दृष्टिकोण से यहां के बारे में जान और समझ सके. यहां मध्यकालीन भारतीय इतिहास को दर्शाया जाएगा. बच्चों को इतिहास और विज्ञान में रुचि हो, इस प्रकार इसे विकसित किये जाने की योजना है.


गौरतलब है कि 25 जून 1539 में हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच मध्यकालीन भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण युद्ध हुआ था. जिसे इतिहास में चौसा का युध्द कहा गया. 25 जून 1539 ईसवी को हुए इस युद्ध में हुमायूं की बुरी तरह हार हुई थी. मुगल शासक हुमायूं को अपनी जान बचाने के लिए उफनती गंगा में कूदना पड़ा था. तब इसी चौसा के निजाम नामक भिश्ती ने अपने मशक के सहारे हुमायूं को डूबने से बचाकर उसकी जान की रक्षा की थी.

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एहसानमंद हुमायूं पुनः सत्ता की बागडोर सम्हालने के बाद निजाम को एक दिन के लिए मुगल सल्तनत का बादशाह नियुक्त करते हुए तख़्त और ताज सौंपा था. दिल्ली तख्त पर काबिज होते ही निजाम भिश्ती ने मशहूर चमड़े का सिक्का चलाया था. बताते चलें कि यह युद्ध बक्सर के चौसा स्थित गंगा और कर्मनाशा नदियों के संगम स्थल पर लड़ा गया था. इस युद्ध में मुगल बादशाह हुमायूं बुरी तरह पराजित हुआ और निजाम नामक भिस्ती की मदद से गंगा नदी पार कर अपनी जान बचाई थी.

अगर भारत मुगल और अफगान शासन प्रणाली और उसके प्रभाव की बातें करें तो निश्चित रूप अफगानों का शासन प्रभाव हिंदुस्तानियों के दिल के बेहद करीब रहा है. मुगलिया शासन कहीं न कहीं क्रूरता, डर और लालच के दम पर स्थापित हुआ और चला भी. वहीं सूरी शासनकाल शांति, समृद्धि, सुव्यवस्था और भाईचारे पर स्थापित दिखती है.

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